इंदौर

मेल-फीमेल दोनों आवाज़ों में समान अधिकार के साथ गाने वाले विलक्षण कलाकार श्री साईंराम अय्यर ने कार्यक्रम में समां बांधा

sunil paliwal-Anil Bagora
मेल-फीमेल दोनों आवाज़ों में समान अधिकार के साथ गाने वाले विलक्षण कलाकार श्री साईंराम अय्यर ने कार्यक्रम में समां बांधा
मेल-फीमेल दोनों आवाज़ों में समान अधिकार के साथ गाने वाले विलक्षण कलाकार श्री साईंराम अय्यर ने कार्यक्रम में समां बांधा

संगीत मेरे लिए साधना है, मिमिक्री नहीं : साईंराम अय्यर

इंदौर. ईश्वर की कृपा से मैं आज दसियों गायक-गायिकाओं की आवाज़ कॉपी कर सकता हूं लेकिन मेरे लिए सुरों और गीत की आत्मा के साथ न्याय करना सबसे महत्वपूर्ण है, मिमिक्री करना मेरा लक्ष्य नहीं। रिएलिटी शोज़ प्रतिभाओं को सिर्फ मंच दे सकते हैं, आगे की यात्रा उन्हें अपने दम पर ही तय करनी होती है। 

ये बातें मेल - फीमेल दोनों ही स्वरों में समान कुशलता से गा सकने की विलक्षण क्षमता के कारण देश -दुनिया में अपनी पहचान बनाने वाले कलाकार श्री साईंराम अय्यर ने स्टेट प्रेस क्लब, मप्र द्वारा आयोजित 'संवाद' कार्यक्रम में व्यक्त किए। उन्होंने दोहरी आवाज़ से प्रसिद्धि की अपनी यात्रा बताते हुए उन्होंने कहा कि किशोरावस्था में उनकी आवाज़ बदलने के साथ क्रैक हो गई थी और वे अपनी आवाज़ का हश्र देखकर घर के मंदिर में ठाकुर जी के सामने रोया करते और उन्हें  अपनी टूटी-फूटी आवाज़ में भजन सुनाया करते थे। ईश्वर कृपा से ही उनकी न केवल पुरुष आवाज़ प्रभावी और भारी हो गई बल्कि फीमेल वॉइस में भी मिठास आ गई। उन्होंने इंटर कॉलेज प्रतियोगिता में फीमेल वॉइस से खिताब जीता और निर्णायक बड़े असमंजस में रहे।

सोलह वर्ष की उम्र में दोहरी आवाज़ के साथ पहला स्टेज शो किया और तबसे यह सिलसिला निरंतर जारी है। कुछ ईएनटी विशेषज्ञों ने उनके गले का परीक्षण भी करना चाहा, लेकिन श्री अय्यर ने माना कर दिया। आशा भोंसले,कविता कृष्णमूर्ति, लक्ष्मीकांत- प्यारेलाल आदि सहित अनेक कलाकारों और संगीतकारों को वे प्रभावित कर चुके हैं तथा स्वयं के ओरिजिनल गीत भी मेल और फीमेल दोनों ही आवाज़ों में रिकॉर्ड कर चुके हैं। 

श्री अय्यर ने कहा कि संगीत उनके लिए मिमिक्री नहीं बल्कि साधना है इसीलिए वे शास्त्रीय संगीत की तालीम भी ले रहे हैं और फीमेल वॉइस में भी उपशास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति कई नामचीन शास्त्रीय संगीत कलाकारों के सामने दे चुके हैं। उन्हें हतोत्साहित करने वाले लोग भी बहुत मिले।

एक अख़बार के म्यूज़िक क्रिटिक उन्हें कहते थे कि तुम्हें झेलना पड़ता है बड़ी मुश्किल से लेकिन कालांतर में आंख बंदकर गायकी सुनने से उनकी राय बदली। संगीत की प्रस्तुति के दौरान वे कई बारीकियों का ध्यान रखते हैं तथा माइक्रोफोन की डायनेमिक्स का मूड के अनुरूप अच्छे उपयोग का उदाहरण भी उन्होंने प्रत्यक्ष प्रदर्शित किया। 

हास्य - विनोद से परिपूर्ण इस यादगार आयोजन में श्री साईंराम अय्यर ने अपने गाए गीतों के साथ कई प्रसिद्ध गीत - कुहू कुहू बोले कोयलिया, हमें तुमसे प्यार कितना, इक प्यार का नगमा है, काटे नहीं कटते दिन ये रात आदि भी सुनाए और सूत्र संचालक श्री आलोक बाजपेयी के साथ झूठ बोले कौआ काटे डुएट गीत भी गाया।

कार्यक्रम के आरंभ में स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल,वरिष्ठ पत्रकार सुनील जोशी, सचिव आकाश चौकसे, रचना जौहरी, कोषाध्यक्ष सोनाली यादव ने अतिथियों का पुष्पगुच्छ एवं अंगवस्त्र से स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन संस्कृतिकर्मी पत्रकार आलोक बाजपेयी ने किया। इस अवसर पर विट्ठलभाई पटेल स्मृति न्यास के श्री ललित अग्रवाल  एवं श्री सत्येन्द्र हर्षवाल सहित बड़ी संख्या में पत्रकार एवं संगीत प्रेमी उपस्थित थे।

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