इंदौर

पालीवाल समाज में रक्षा बंधन श्रावणी पूर्णिमा महापर्व संपन्न

महेन्द्र बागोरा
पालीवाल समाज में रक्षा बंधन श्रावणी पूर्णिमा महापर्व संपन्न
पालीवाल समाज में रक्षा बंधन श्रावणी पूर्णिमा महापर्व संपन्न

इंदौर : (महेन्द्र बागोरा)

पालीवाल ब्राह्मण समाज 44 श्रेणी इंदौर के द्वारा प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी रक्षा बंधन श्रावणी पूर्णिमा महापर्व के अवसर पर श्री पालीवाल बजरंग मंडल के युवा एवं वरिष्ठ जनों का श्रावणी उपाकर्म का आयोजन श्री चारभुजा नाथ मंदिर प्रांगण में संपन्न हुआ. 

इस अवसर पर वैदिक मंत्र उच्चारण के साथ शास्त्रोक्त पद्धति से गुरुजनों के द्वारा साधकों को करीब 27 प्रकार के स्नान जिसमें मृतिका स्नान, पंचगव्य स्नान,फल रस स्नान, गोबर स्नान, गोमूत्र स्नान, औषधि स्नान, अन्न स्नान, कुशा के साथ पवित्र नदियों के जल से स्नान उपरांत हवन किया गया. हवन उपरांत नवीन जनेऊ पवित्र धारण करके पुराने यज्ञोपवीत का विसर्जन किया गया. यज्ञ नारायण की आरती पश्चात प्रसाद वितरण का कार्यक्रम हुआ. पूर्णिमा श्रावणी महापर्व पर युवाओं की अधिकता रहने से सामाजिक संस्कारों की झलक देखने को मिली वहीं सनातन धर्म के परचम को विश्व में फैलने का संकल्प लिया गया. इस अवसर पर समाज के विभिन्न पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं का सराहनीय सहयोग देखने को मिला.

जनेऊ को लेकर है ये मान्यता : इस बारे में पण्डित अश्विन खेड़े ने बताया कि मूल्यतः 27 नक्षत्र माने गए हैं, ये नक्षत्र दिन तिथि की गति के अनुसार बदलते हैं, श्रावणी अमावस्या के दिन चंद्रमा श्रावण नक्षत्र में होता है. इस दिन को कई शुभ कार्यों के लिए उत्तम माना जाता है. तो वहीं इसके अलावा इस दिन से जुड़ी जनेऊ को लेकर मान्यता है, जिसके बारे में शायद बहुत कम लोग जानते हैं.

इस दिन बदले जनेऊ : पंडित अश्विन खेड़े बताते है कि ये दिन खास तौर पर ब्राह्मणों के लिए विशेष होता है. मान्यता है इस दिन जनेऊ बदलना शुभ होता है. इसलिए जो लोग जनेऊ धारण करते हैं वे श्रावणी पूर्णिमा के दिन धर्मावलंबी मन, वचन और कर्म की पवित्रता का सकंल्प लेकर जनेऊ बदलते हैं. बता दें खास तौर पर अगर पूरे वर्ष में किसी व्यक्ति को कभी भी जनेऊ बदलने की आवश्यकता होती है तो इस दिन पूजा करके जनेऊ धारण करना चाहिए.

जनेऊ पहनने के हैं फायदे :  धर्म ग्रंथों में जनेऊ पहनने के कई फायदे बताए गए हैं. जनेऊ धारण करने से बुरे सपने नहीं आते, याददाश्त तेज होती है, मन में पवित्रता का अहसास रहता है. अधिकांश ब्राह्मण परिवारों में बच्चों का यज्ञोपवीत संस्कार बाल्य काल में ही करवा दिया जाता है. श्रावणी पर्व पर नया यज्ञोपवीत का पूजन कर यज्ञोपवीत धारण कर ऋषि वंशादि का परिचय करवाया जाता है.

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