Saturday, 22 November 2025

इंदौर

मध्यप्रदेश के स्थायी कर्मियों को मिलेगा 7वां वेतनमान, बकाया भुगतान का भी आदेश : हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

sunil paliwal-Anil Bagora
मध्यप्रदेश के स्थायी कर्मियों को मिलेगा 7वां वेतनमान, बकाया भुगतान का भी आदेश : हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
मध्यप्रदेश के स्थायी कर्मियों को मिलेगा 7वां वेतनमान, बकाया भुगतान का भी आदेश : हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

इंदौर. 

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, इंदौर खंडपीठ ने राज्य के हजारों स्थायी कर्मियों (Sthayi Karmi) को बड़ी राहत देते हुए 7वें वेतन आयोग का लाभ देने का आदेश पारित किया है। न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति बिनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने एक साथ सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया।

हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला में आज एक बार फिर साबित हो गया है, कि दैनिक वेतन भोगियों के प्रति सरकार का रवैया कुछ भी हो, मगर माननीय न्यायालय में निर्णय लेते समय न्यायहित की ही बात होगी. ऐतिहासिक फैसले के बाद मध्यप्रदेश के स्थायी कर्मियों को मिलेगा 7वां वेतनमान के साथ बकाया भुगतान का भी आदेश सरकार को दिया हैं. मस्टर कर्मचारी संगठन संवाद प्रमुख संयोजक संवाद प्रमुख संयोजक प्रवीण तिवारी ने खुशी जाहिर करते हुए अपने साथियों को बधाई देते हुए कहा कि दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के हित में अतिशीघ्र और भी खुशियां आने वाली हैं, साथियों आप सबने र्धर्य का परिचय देते हुए एक बार फिर साबित कर दिया है, कि आपका संघर्ष वास्तव में ऐतिहासिक रहा, आपके संघर्षों के कारण ही मध्य प्रदेश के स्थाईकर्मीयों को 7 वां वेतनमान और बकाया भुगतान अतिशीघ्र होने जा रहा हैं. माननीय न्यायालय के न्यायधीशों को कोटि...कोटि प्रणाम के साथ धन्यवाद, आपने छोटे कर्मचारियों के प्रति चिंता जाहिर करते हुए न्याय किया.

  • पृष्ठभूमि : राज्य सरकार ने वर्ष 2016 में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को “स्थायी कर्मी” (Sthayi Karmi) का दर्जा देने के लिए नीति बनाई थी। इस नीति के तहत कर्मचारियों को तीन वर्गों—अकुशल (unskilled), अर्ध-कुशल (semi-skilled) और कुशल (skilled)— में बाँटा गया और उन्हें निश्चित वेतनमान (फिक्स पे) दिया गया।

हालाँकि, 2017 से जब मध्यप्रदेश शासन ने 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू कीं, तो इन स्थायी कर्मियों को उससे वंचित रखा गया। कर्मचारियों ने इसका विरोध किया और अदालत का दरवाज़ा खटखटाया।

  • याचिकाकर्ताओं की दलील : याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता प्रखर कर्पे एवं श्रेय चांडक  द्वारा अदालत के समक्ष दलील रखी कि:

स्थायी कर्मी नियमित कर्मचारियों की तरह ही काम करते हैं, इसलिए उन्हें वेतनमान से वंचित रखना समान कार्य के लिए समान वेतन के संवैधानिक सिद्धांत का उल्लंघन है।

5वें और 6वें वेतन आयोग का लाभ इन कर्मचारियों को पहले दिया जा चुका है, ऐसे में 7वें वेतन आयोग से वंचित रखना न्यायसंगत नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट के जगजीत सिंह बनाम पंजाब सरकार और राम नरेश रावत बनाम अश्विनी राय जैसे मामलों में स्पष्ट किया गया है कि समान कार्य करने वाले अस्थायी या स्थायी कर्मियों को न्यूनतम वेतनमान मिलना ही चाहिए।

राज्य सरकार का पक्ष : राज्य सरकार ने अपने जवाब में कहा कि : स्थायी कर्मी नियमित कर्मचारी नहीं हैं, इसलिए उन्हें वेतन आयोग का लाभ नहीं दिया जा सकता। 2016 की नीति में स्पष्ट कर दिया गया था कि इन कर्मियों को केवल फिक्स पे और महँगाई भत्ता मिलेगा। जब ये कर्मचारी इस नीति के तहत लाभ ले रहे हैं, तो अब वे अतिरिक्त लाभ का दावा नहीं कर सकते।

हाईकोर्ट का अवलोकन : हाईकोर्ट ने सरकार की दलीलों को अस्वीकार करते हुए कहा : स्थायी कर्मियों को जीवनभर एक ही वेतनमान में बाँधकर रखना भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक है। जब नियमित कर्मचारियों का वेतनमान 7वें वेतन आयोग से बढ़ाया गया है, तो स्थायी कर्मियों का भी न्यूनतम वेतनमान उसी अनुपात में संशोधित होना चाहिए।

कोर्ट ने राम नरेश रावत और दिलीप सिंह पटेल के मामलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला दिया और कहा कि स्थायी कर्मियों को कम से कम संशोधित न्यूनतम वेतनमान का अधिकार है, भले ही उन्हें इंक्रीमेंट नियमितीकरण के बाद ही मिले।

फैसला : कोर्ट ने मध्यप्रदेश वेतन पुनरीक्षण नियम, 2017 की धारा 2(b)(viii) को असंवैधानिक (ultra vires) घोषित किया। अब स्थायी कर्मियों (अनस्किल्ड, सेमी-स्किल्ड और स्किल्ड) को 1 जनवरी 2016 से 7वें वेतन आयोग के अनुरूप न्यूनतम वेतनमान और भत्तों का लाभ मिलेगा। राज्य सरकार को सभी पात्र स्थायी कर्मियों को बकाया (arrears) का भुगतान करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

असर

इस फैसले से राज्यभर के हजारों स्थायी कर्मियों को सीधा फायदा मिलेगा। अब वे न केवल 7वें वेतन आयोग के तहत संशोधित वेतनमान पाएंगे, बल्कि वर्षों से रोके गए बकाया की राशि भी उन्हें मिलेगी।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह आदेश अन्य राज्यों में भी स्थायी या संविदा कर्मियों से जुड़े मामलों पर प्रभाव डाल सकता है। यह फैसला “समान कार्य के लिए समान वेतन” की अवधारणा को और मजबूत करता है और सरकार को कर्मचारियों के साथ किए जा रहे भेदभाव को खत्म करने की दिशा में बाध्य करता है।

स्थायी कर्मियों में खुशी का जश्न

आदेश की जानकारी मिलते ही निगम परिसर में स्थायी कर्मियों ने जमकर खुशी का इजहार किया. निगम कर्मचारी ने एक दुसरे को बधाई देते हुए खूब खुशी का इजहार किया. सर्वश्री मस्टर कर्मचारी संगठन संवाद प्रमुख संयोजक संवाद प्रमुख संयोजक प्रवीण तिवारी, सफाई कर्मचारी कल्याण संघ अध्यक्ष देव कुमार वीरगडे, भारतीय मजदूर संघ संगठन महामंत्री राजेश सोनकर, अजय सोनकर, माझी मछुआ संघ अध्यक्ष दीपक गौड़ एवं महामंत्री अनिल पंचवाल, रजनीश शर्मा, अनिल यादव, मुन्ना कौशल, राम अवतार सिंह पवार, केदार यादव, दिनेश यादव,  सहित ने एकजुट रहने का संदेश दिया. सभी कर्मचारीयों ने संगठन के जांबाज पदाधिकारियों को विशेष रूप से बधाई देते हुए नजर आए वहीं पदाधिकारीयों ने साथी कर्मचारियों से कहा कि संगठन की शक्ति आप लोग है, आप सबका साथ समय-समय पर हमेशा मिलता रहेगा, तो शेष मांगो को भी शीघ्र पुरा किया जाएगा.

whatsapp share facebook share twitter share telegram share linkedin share
Related News
Latest News
Trending News