इंदौर

चूक गए चौहान... : ब्राह्मण महाकुंभ के आयोजकों ने मुख्यमंत्री को रखा ग़फ़लत में-सर्व ब्राह्मण युवा परिषद ने ब्राह्मण महाकुंभ करने वालो की नीयत पर उठाया सवाल

नितिनमोहन शर्मा
चूक गए चौहान... : ब्राह्मण महाकुंभ के आयोजकों ने मुख्यमंत्री को रखा ग़फ़लत में-सर्व ब्राह्मण युवा परिषद ने ब्राह्मण महाकुंभ करने वालो की नीयत पर उठाया सवाल
चूक गए चौहान... : ब्राह्मण महाकुंभ के आयोजकों ने मुख्यमंत्री को रखा ग़फ़लत में-सर्व ब्राह्मण युवा परिषद ने ब्राह्मण महाकुंभ करने वालो की नीयत पर उठाया सवाल
  •  भगवान परशुराम जयंती पर छुट्टी की घोषणा 2013 में ही कर चुके है मुख्यमंत्री 

  •  राज्य के  2023 के सामान्य अवकाश में भी दर्ज है छुट्टी, इस बार भी 22 अप्रैल को था जयंती पर अवकाश 

  •  10 साल से लागू अवकाश की फिर से घोषणा क्यो? तालियां क्यो बजवाई 

  •  परिषद ने चेताया मुख्यमंत्री को, कहा- आप तैयार रहे जमीनी ब्राह्मण संगठन आपके निवास जल्द आएंगे 

 नितिनमोहन शर्मा...✍️

राजनीति जो करवाए, कम हैं। अब जो छुट्टी 10 साल पहले घोषित हो चुकी हैं, उसकी फिर से मंच पर घोषणा होती हैं। तालियाँ बजती है, बटोरी भी जाती हैं। आयोजक, प्रायोजक वाहवाही लूट लेते हैं। फ़जीहत हो जाती हैं घोषणा करने वाले व्यक्ति की । 

बात है रविवार को राजधानी भोपाल में हुए ब्राह्मण महाकुंभ की। इस कुम्भ की जाजम बिछाई थी कांग्रेस भाजपा ने मिलकर। राजनीति से परे हटकर। जाति के नाम पर। भाजपा के बाहुबली गोपाल भार्गव और कांग्रेस के पीसी शर्मा इसके आयोजन के पीछे थे।

कुंभ की जाजम के मुख्य किरदार शिवराज सिंह चौहान 

सूत्र बताते है कि पहले तो सीएम पर चुनावी साल में ब्राह्मण समाज के नाम पर दबाव बनाने के लिए ये आयोजन हो रहा था। कार्यक्रम के जरिये मुख्यमंत्री को ताकत दिखाने और बाद में उस ताकत को भुनाने की मंशा से ये कुम्भ आहूत किया गया था। लेकिन सूत्रों की माने बाद में भार्गव और सीएम के बीच इस पर तालमेल हो गया और कुंभ की जाजम के मुख्य किरदार शिवराज सिंह चौहान हो गए। वैसे भी वे इन दिनों मिशन 2023 के मद्देनजर विभिन्न जातियों और समाजों को साधने की दिशा में दिन रात एक किये हुए हैं। कल ही भोपाल में किरार, धाकड़, नागर समाज का भी बड़ा जमावड़ा था। उसमें भी मुख्यमंत्री ने अहम घोषणाएं की। 

सीएम बाद में ब्राह्मण महाकुंभ में पहुँचे। वहां उन्होंने समाज के लिए कई अहम घोषणाएं की जिसमे पुजारियों को मानदेय से लेकर संस्कृत में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिये 6 से 10 हजार स्कालरशिप देना प्रमुख था। मंच पर सीएम के संग प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी थे। यहां सीएम से भगवान परशुराम जयंती पर सरकारी छुट्टी की घोषणा भी करवाई गई। जबकि स्वयम मुख्यमंत्री 10 साल पहले इसकी घोषणा कर चुके हैं। 

 सीएम की इस चूक पर इन्दौर ब्राह्मण समाज की राजनीति को गरम कर दिया। समाज ने आयोजको की नीयत पर सवालिया निशान लगाते हुए मुख्यमंत्री को चेताया कि जल्द ही आपका सामना तहसील और जिला स्तर पर जमीन पर काम करने वाले संगठनों से होगा और इसके लिए हम जल्द आपके निवास पर आ रहे हैं।

 ये अवकाश कौन सी परशुराम जयंती का है ? 

महाकुंभ में अवकाश की घोषणा की खबर लगते ही सोशल मीडिया पर नई बहस छिड़ गई कि सीएम साहब ये अवकाश कौन सी जयंती का हैं? सर्व ब्राह्मण समाज के विकास अवस्थी ने इस सम्बंध में सीएम को पत्र लिखा। इसमें कहा गया है कि  आदरणीय मुख्यमंत्रीजी, आज अखबारों में देखा की आपने परशुराम जयंती पर शासकीय अवकाश की घोषणा की है। इस खबर से बहुत आश्चर्य हो रहा है क्योकि आज से 10 वर्ष पूर्व जो घोषणा आप कर चुके हैं, जो घोषणा लागू भी है उसकी पुनः घोषणा करके आयोजक क्या दर्शाना चाहते हैं।

सर्व ब्राह्मण युवा परिषद ने इंदौर से पूरे प्रदेश में ब्राह्मण एकता अभियान चलाया

आपको याद होगा वर्ष 2013 में सर्व ब्राह्मण युवा परिषद ने इंदौर से पूरे प्रदेश में ब्राह्मण एकता अभियान चलाया था। लगभग सभी जिले में जाकर परशुरामजी की प्रतिमा भेंट की और उन जिलों के संगठन को जोड़कर परशुराम जयंती पर शासकीय अवकाश घोषित कराने के लिए आंदोलन चलाया। सभी संगठन ने पूरे प्रदेश में एक दिन एक समय 15 अप्रैल 2013 को जिला एवं तहसील मुख्यालय पर आपके नाम ज्ञापन दिए थे। चुनावी वर्ष होने के कारण आपने 20 दिन बाद ही 5 मई 2013 को हम सबको मुख्यमंत्री निवास पर बुलाया। वहां पर भी लगभग सभी जिले/तहसील के प्रतिनिधि पहुंचे और आपको पुनः ज्ञापन दिया। ज्ञापन का वाचन  प्रदेश अभियान के संयोजक पंडित विकासजी अवस्थी ने किया। आपने शिव चौबे जी एवं रमेश शर्मा जी के कहने पर तत्काल परशुराम जयंती के अवकाश की घोषणा की जोकि अब तक लागू है। पूरे ब्राह्मण समाज ने आपका प्रदेश भर में बहूमान किया। 

10 वर्ष से लागू घोषणा कर को पुनः घोषणा करा कर तालियां क्यों बजवाई ? 

 ब्राह्मणों के आशीर्वाद से ही वर्ष 2013 के चुनाव में आपको विजयश्री मिली। कल आपने पुनः परशुराम जयंती के अवकाश की घोषणा की है। यह कौन सी परशुराम जयंती है? हमें तो केवल एक ही परशुराम जयंती की जानकारी है। इससे ब्राह्मण समाज आहत हुआ। महाकुंभ का आयोजन करने वाले ब्राह्मण बंधुओं की नियत पर भी प्रश्नचिन्ह लगाता है कि उन्होंने इस प्रकार 10 वर्ष से लागू घोषणा कर को पुनः घोषणा करा कर तालियां क्यों बजवाई ? खैर आप तैयार रहें। मध्यप्रदेश में जिला और तहसील स्तर के जमीनी ब्राह्मण संगठनों द्वारा ओरिजनल ब्राह्मण हित के लिए आंदोलन का शंखनाद कर दिया गया है। बहुत जल्द हम आपके निवास पर आने वाले हैं।

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