इंदौर

गीता प्रेस गौरखपुर ने पहली बार मूल ग्रंथ के बजाय टीका ग्रंथ का प्रकाशन किया

विनोद गोयल
गीता प्रेस गौरखपुर ने पहली बार मूल ग्रंथ के बजाय टीका ग्रंथ का प्रकाशन किया
गीता प्रेस गौरखपुर ने पहली बार मूल ग्रंथ के बजाय टीका ग्रंथ का प्रकाशन किया

डोंगरे महाराज द्वारा रचित भागवत ग्रंथ की टीका का लोकार्पण

इंदौर : (विनोद गोयल) ऑल इंडिया मूवमेंट फॉर सेवा (एम्स) के प्रदेश प्रमुख स्वामी ऐश्वर्यानंद सरस्वती ने आज एक औपचारिक समारोह में गीता प्रेस गौरखपुर द्वारा प्रकाशित एवं देश के मूर्धन्य भागवताचार्य प.पू. केशवजी डोंगरे महाराज द्वारा रचित भागवत ग्रंथ का लोकार्पण किया। गीता प्रेस ने पहली बार किसी मूल ग्रंथ के बजाय डोंगरेजी महाराज द्वारा रचित इस टीका ग्रंथ का प्रकाशन किया है। शहर के समाजसेवी ब्रह्मलीन हरिशंकर गुप्ता एवं पुरुषोत्तम गुप्ता की पुण्य स्मृति में प्रकाशित इस ग्रंथ में डोंगरेजी महाराज ने सरल एवं सुबोध शब्दों में जीवन की जटिलताओं एवं संशयों को सुलझाने के अद्भभुत प्रयोग लिखे हैं। 

स्वामी ऐश्वर्यानंद सरस्वती ने इस मौके पर गीता प्रेस के इस निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि यह एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिससे पढ़ने और समझने के बाद किसी अन्य ग्रंथ की जरुरत ही नहीं पड़ेगी। डोंगरेजी महाराज की अमृतवाणी से भरपूर यह ग्रंथ वाचन, मनन और अध्ययन के लिए सर्वथा उपयुक्त है। कार्यक्रम में गुप्ता परिवार के बंटी गुप्ता, प्रतीक गुप्ता, गगन गुप्ता, चंद्रशेखर स्वामी, राहुल बड़ोले एवं हरीश नाईक उपस्थित थे जिन्होंने स्वामी ऐश्वर्यानंद का स्वागत करते हुए ग्रंथ की भूमिका बताई। इस ग्रंथ की एक हजार प्रतियां गुप्ता परिवार की ओर से शहर के प्रबुद्धजनों को भेंट की जाएगी।

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