इंदौर
कर्मचारियों के हित में फैसला, न्यायालय में कंटेंप्ट आफ कोर्ट का दिया नोटिस : सरकार हाईकोर्ट के आदेश को भूल गई
Anil Bagora-
हाईकोर्ट ने 120 दिन की समयसीमा में याचिकाकर्ताओं के मामले में विचार करने का आदेश दिया था लेकिन इस मामले में विभागों ने ना तो अब तक दैनिक वेतन भोगियों से संबंधित कोई जानकारी मंगाई और ना ही इस मामले में विचार किया. न्यायलाय ने दिया 3 जुलाई तक का समय.
इंदौर. मध्य प्रदेश के एक लाख से ज्यादा दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को 27 जून 2024 का इंतजार करते रहे, मगर अफसरशाही इतनी हावी है कि मोहन सरकार भी मौन होकर तमाशा देख रही है, मगर सरकार की हिम्मत इतनी भी नहीं हैं कि अफसरों पर नकेल कस सके. हाईकोर्ट के आदेश पर दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को 27 जून 2024 तक नियमित किया जाना था लेकिन इस मामले में विभागों ने अब तक कोई जानकारी नहीं मंगाई है, इतना साफ है कि सरकार हाईकोर्ट के आदेश को भूल गई.
कार्यवाहक अध्यक्ष प्रवीण तिवारी, मीडिया प्रभारी अनिल यादव, महामंत्री अनिल पंचवाल, इसरार अहमद, वाहन चालक संघ अध्यक्ष अनिल सोनी, अब्दुल रजाक, केदार यादव, कर्मचारी नेता राजेंद्र यादव, महेश बान्गे, सफाई कर्मचारी कल्याण संघ अध्यक्ष देव कुमार बिगरड़े ने पालीवाल वाणी को बताया कि न्यायालय आदेश को लेकर भोपाल में हुई वार्ता से नहीं माने संगठन. समय ज्यादा ना लगे, इसको लेकर कहीं बात. शीघ्र हो कर्मचारियों के हित में फैसला न्यायालय में कंटेंप्ट आफ कोर्ट का दिया नोटिस. न्यायालय ने 3 जुलाई 2024 तक का समय दिया. अध्यक्ष गोकुल राय अशोक वर्मा के एल राय साकेतनगरिया निभा रहे है, सक्रिय रूप से भूमिका.
शासन को निर्णय करने के लिए निर्णय नहीं होने पर, जो-जो विभाग इस याचिका में हैं. वह कंटेंप्ट का कोर्ट के लिए उत्तरदाई होंगे. प्रदेश संगठन ने सभी मंत्रियों को देगा ज्ञापन. सभी जिले में हो रही हैं. बैठक मंत्रियों के माध्यम से संगठन शीघ्र कार्रवाई कराएंगे.
10 साल पूरा करने वालों को मिलेगा लाभ
हाईकोर्ट के आदेश के तहत जो कर्मचारी 10 वर्ष या उससे अधिक समय तक सरकारी विभागों में सेवाएं दे चुके हैं, उनको नियमित करना होगा. इसके लिए हाईकोर्ट ने 120 दिन की समय सीमा दी थी जो कि कल 27 जून 2024 को पूरी हो गई. सरकार इस मामले में अब तक मौन धारण में लीन हैं.
नियमित करने के लिए 2004 में हुआ था समझौता
दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी महासंघ के प्रांतीय अध्यक्ष गोकुल चंद्र राय ने बताया कि 31 जनवरी 2004 को लोक अदालत के दौरान दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियो और स्थाई कर्मियों को नियमित करने के लिए सरकार ने सहमति दी थी. लेकिन अब तक कर्मचारियों को नियमितीकरण का लाभ नहीं मिला.
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लाड़ली बहनों को पैसा दे रहे, भाइयों को क्यों नहीं...
इस मामले की सुनवाई बीते 18 अक्टूबर 2023 को जस्टिस गुणपाल सिंह कर रहे थे, तब उन्होंने सरकार के वकील से कहा था कि मिस्टर गांगुली आप इससे बच नहीं सकते. कर्मचारियों को नियमित करना पड़ेगा. भले ही चार-चार बैंकों से कर्ज लेकर पैसा देना पड़े. जब लाड़ली बहनों को पैसा दे रहे हो, तो भाईयों को क्यों नहीं.