इंदौर
श्री सूर्यनारायण शनिदेव प्रसन्ता हेतु 14 को निशुल्क 1 कुंडीय महायज्ञ : शनि महाराज को तिल काफी प्रिय
चेतन बागोरा-आशीष जोशीइंदौर। (विनोद गोयल...) 14 जनवरी 2021 गुरुवार मकर संक्रांति के पावन पर्व पर बालस्वरूप शनिदेव मंदिर 43 व्यासफला जूनि इंदौर पर श्री सूर्यनारायण शनिदेव प्रसन्ता हेतु निशुल्क 1 कुंडीय महायज्ञ एवं आदित्य ह्रदय स्त्रोत पाठ पुरुसूक्त पाठ प्रातः9 से दोपहर 3 बजे तक रखा गया है। उक्त जानकारी पंडित अमित पुराणिक ने दी। सनातन धर्म में मकर संक्रांति का बहुत ही महत्व है। पौष मास में जब सूर्य अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं, तभी इस पर्व को मनाया जाता है। इस बार यह शुभ तिथि 14 जनवरी 2021 दिन गुरुवार को है। इस दिन जप, तप, दान और स्नान का विशेष महत्व है। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करेंगे तब पांच ग्रहों का संयोग बनेगा, जिसमें सूर्य, बुध, गुरु, चंद्रमा और शनि भी शामिल रहेंगे। इस मकर संक्राति पर कई विशेष संयोग बन रहे हैं, जो इस पर्व को और भी शुभ बना रहे हैं।
● मकर संक्रांति पर सूर्य मिलेंगे अपने पुत्र शनि से : मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से निकल अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं। माना जाता है कि इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए खुद उनके घर आते हैं। इस वजह से इस खास दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। इस साल अच्छी बात है कि गोचर में शनि मकर राशि में ही चल रहे हैं जिससे मकर संक्रांति और महत्वपूर्ण बन गई है। इस दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि उत्तरायण देवताओं का दिन और दक्षिणायन रात होती है। सूर्य के उत्तरायण होने पर गरम मौसम की शुरुआत हो जाती है। इस दिन दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और इसका फल कई जन्मों तक मिलता है।
● मकर संक्रांति को लेकर कई कथाएं : सबसे पहली कथा श्रीमद्भागवत एवं देवी पुराण में बताई गई है। इनके अनुसार, शनि महाराज को अपने पिता सूर्यदेव से वैर भाव था क्योंकि सूर्यदेव ने उनकी माता छाया को अपनी दूसरी पत्नी संज्ञा के पुत्र यमराज से भेदभाव करते हुए देख लिया था। इस बात से सूर्य देव ने संज्ञा और उनके पुत्र शनि को अपने से अलग कर दिया था। इससे शनिदेव और उनकी छाया ने सूर्यदेव को कुष्ठ रोग का शाप दे दिया था।
● सूर्यदेव के कुष्ठ रोग से पीड़ित : यमराज काफी दुखी हुए और उन्होंने इस रोग से मुक्ति के लिए तपस्या भी की थी। सूर्यदेव ने क्रोध में आकर शनि महाराज के घर कुंभ, जिसे शनि की राशि कहा जाता है, उसको अपने तेज से जला दिया था। इससे शनि देव और उनकी माता छाया को कष्ट भोगने पड़े। यमराज ने अपनी सौतेली माता और अपने भाई शनि को कष्टों में देखकर उनके कल्याण के लिए सूर्यदेव को काफी समझाया।
● सूर्यदेव ने शनि महाराज को आशीर्वाद दिया : यमराज के समझाने पर सूर्य देव उनके घर कुंभ में पहुंचे थे। वहां सबकुछ जला हुआ था। उस समय शनिदेव के पास काले तिल के अलावा कुछ नहीं था इसलिए उन्होंने काले तिल से ही उनकी पूजा की। शनि की पूजा से प्रसन्न होकर सूर्यदेव ने शनि महाराज को आशीर्वाद दिया कि शनि का दूसरा घर मकर राशि में मेरे आने पर वह धन-धान्य से भर जाएगा। तिल के कारण ही शनि महाराज को उनका वैभव फिर से प्राप्त हुआ था, इसलिए शनि महाराज को तिल काफी प्रिय हैं। इसी वजह से मकर संक्रांति के दिन तिल से सूर्य देव और शनि महाराज की पूजा का नियम शुरू हुआ और इसे तिल संक्रांति के नाम भी जाना जाने लगा।
● पालीवाल वाणी ब्यूरों-चेतन बागोरा-आशीष जोशी...✍️
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