देश-विदेश

दुनिया पर तीसरे विश्व युद्ध का संकट : रूस ने यूक्रेन को तीन तरफ से घेरा, जंग की ओर बढ़ा यूरोप ?

Paliwalwani
दुनिया पर तीसरे विश्व युद्ध का संकट :  रूस ने यूक्रेन को तीन तरफ से घेरा, जंग की ओर बढ़ा यूरोप ?
दुनिया पर तीसरे विश्व युद्ध का संकट : रूस ने यूक्रेन को तीन तरफ से घेरा, जंग की ओर बढ़ा यूरोप ?

रूस की 1 लाख से ज्‍यादा सेना ने यूक्रेन की अब तीन तरफ से घेरेबंदी पूरी कर ली है। एक तरफ जहां रूस ने अपनी यूक्रेन से लगती सीमा पर 1 लाख से ज्‍यादा सैनिकों को तैनात किया है, वहीं अब बेलारूस में भी पुतिन के 30 हजार सैनिक जोरदार अभ्‍यास कर रहे हैं। इस बीच रूस की शाक्तिशाली नौसेना ने अपने महाविनाशक युद्धपोतों को यूक्रेन के पास काला सागर में तैनात कर दिया है। रूस के खतरनाक मंसूबों को देखते हुए अब अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने अपने नागरिकों को तुरंत यूक्रेन छोड़कर चले जाने की चेतावनी दी है।

अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने अपने नागरिकों से अपील की कि वे तत्‍काल यूक्रेन छोड़ दें। उन्‍होंने चेतावनी दी कि रूस के साथ जंग छिड़ सकती है। ऐसे में रूसी और अमेरिकी सैनिकों को जमीन पर एक-दूसरे का सामना करने दें। बाइडन ने कहा, 'हम अभी किसी आतंकी संगठन से नहीं बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी सेनाओं में से एक का सामना कर रहे हैं। यह बहुत अलग स्थिति है, चीजें कभी भी खतरनाक स्थिति में बदल सकती हैं।'

रूस ने S 400 एयर डिफेंस सिस्‍टम को भी तैनात किया

बाइडन की यह डरावनी चेतावनी ऐसे समय पर आई है जब रूस ने बेलारूस के साथ मिलकर यूक्रेन को तीन तरफ से घेर लिया है। रूस पिछले 20 दिनों से लगातार यूक्रेन के खिलाफ जोरदार किलेबंदी कर रहा है। बताया जा रहा है कि अक्‍टूबर 2021 में इस तैनाती के शुरू होने के बाद यह अब तक कि सबसे बड़ी सैन्‍य तैनाती है। रूस ने परमाणु बम गिराने में सक्षम मिसाइलें और हाइपरसोनिक मिसाइलों से लैस फाइटर जेट को यूक्रेन की सीमा के पास तैनात कर दिया है। इसके अलावा रूस ने एस 400 एयर डिफेंस सिस्‍टम को भी तैनात किया है ताकि किसी भी हवाई खतरे से निपटा जा सके।

इस बीच रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध रोकने की कूटनीति की पृष्ठभूमि में मास्को द्वारा बेलारूस भेजे गए हजारों सैनिक सैन्य अभ्यास में जुटे हैं। इस बीच, नाटो के और सुरक्षा बल अपने सहयोगी देश यूक्रेन की पूर्वी सीमाओं की ओर बढ़ रहे हैं जबकि ब्रिटेन ने पूर्वी यूरोप में मानवीय संकट की आशंका के मद्देनजर 1,000 सैनिकों को तैयार रहने को कहा है। अगर रूस अपने पड़ोसी देश यूक्रेन पर हमला करता है और लड़ाई शुरू होती है तो मानवीय संकट की आशंका पैदा हो सकती है। हालांकि रूस ने कहा है कि उसकी हमले की कोई योजना नहीं है। वह पश्चिम देशों से यह गारंटी चाहता है कि नाटो यूक्रेन तथा पूर्व सोवियत संघ के अन्य देशों को इस पश्चिमी सैन्य गठबंधन का हिस्सा बनने नहीं देगा।

'यूरोपीय सुरक्षा को सबसे बड़ा खतरा पैदा हुआ'

पिछले महीने पेरिस में मुलाकात करने वाले जर्मनी, फ्रांस, रूस और यूक्रेन के विदेशी नीति सलाहकारों ने बर्लिन में एक और दौर की वार्ता की। उन्होंने 2015 के शांति समझौते के क्रियान्वयन पर कोई प्रगति नहीं होने की बात कही। वहीं, अमेरिकियों को बचाने के लिए यूक्रेन में सेना भेजने के सवाल पर बाइडन ने कहा, ‘वहां नहीं। यह विश्वयुद्ध होगा अगर अमेरिका और रूस एक-दूसरे पर गोलियां चलाना शुरू कर दें।’ ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और नाटो महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग चेतावनी दे रहे हैं कि यूक्रेन के समीप रूस के सैन्य जमावड़े से हाल फिलहाल में यूरोपीय सुरक्षा को सबसे बड़ा खतरा पैदा हुआ है।

ब्रिटिश नेता ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला लिया है लेकिन साथ ही कहा, ‘हम हमारा खुफिया तंत्र गंभीरता से काम में लगा हुआ है।’ स्टोल्टेनबर्ग ने कहा कि उन्होंने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव को एक नया पत्र भेजकर यूरोपीय सुरक्षा को बेहतर बनाने पर वार्ता के लिए नाटो के निमंत्रण को दोहराया। जॉनसन पोलैंड के प्रधानमंत्री मैत्यूज मोराविकी से वार्ता के लिए ब्रसेल्स से वारसॉ गए। दोनों नेता पोलैंड की राजधानी के समीप तैनात ब्रिटिन सैनिकों से मुलाकात करने गए थे। पोलैंड की सीमा बेलारूस, यूक्रेन और रूस के कालिनिनग्रैंड क्षेत्र से लगती है।

यूक्रेन ने तुर्की की मध्यस्थता की पेशकश को स्वीकार क‍िया

मोराविकी ने कहा, ‘पुतिन का राजनीतिक उद्देश्य नाटो को तोड़ना है इसलिए हमें एक साथ रहने की आवश्यकता है।' वहीं, ब्रिटेन के विदेश मंत्री लिज टुस ने मास्को में लावरोव से बातचीत में फिर चेतावनी दी कि यूक्रेन पर हमला करने के ‘गहन परिणाम होंगे और इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।’ तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कावुसोग्लु ने कहा कि यूक्रेन ने रूस के साथ तनाव कम करने के अंकारा के मध्यस्थता की पेशकश को स्वीकार कर लिया है जबकि रूस ने भी इसे इनकार नहीं किया है। इस बीच, डेनमार्क ने गुरुवार को कहा कि वह अमेरिका के साथ एक नए रक्षा सहयोग समझौते पर बातचीत शुरू करेगा, जिसमें अमेरिकी सैनिकों तथा सैन्य उपकरणों को डेनमार्क में तैनात करना शामिल होगा जो उसकी दशकों पुरानी नीति के विपरीत है।

whatsapp share facebook share twitter share telegram share linkedin share
Related News
Latest News
Trending News