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वीडियो देखकर खौला मेरा खून : प्रधानमंत्री मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को ब्रिटिश सांसद ने बताया प्रोपेगैंडा

Paliwalwani
वीडियो देखकर खौला मेरा खून : प्रधानमंत्री मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को ब्रिटिश सांसद ने बताया प्रोपेगैंडा
वीडियो देखकर खौला मेरा खून : प्रधानमंत्री मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को ब्रिटिश सांसद ने बताया प्रोपेगैंडा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की दो एपिसोड वाली डॉक्यूमेंट्री को ब्रिटिश सांसद बॉब ब्लैकमैन ने प्रोपेगैंडा बताया है। BBC की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ (India: The Modi Question) को ब्लैकमैन ने प्रधानमंत्री मोदी की नकारात्मक छवि पेश करने वाला कहा है। साथ ही बीबीसी को ऐसा न करने की सलाह भी दी है। ब्लैकमैन ने कहा है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में दुनिया भर में भारत की साख बढ़ रही है।

2020 में पद्मश्री पा चुके हैं रॉबर्ट जॉन ब्लैकमैन

ब्रिटेन के हॉरो ईस्ट से सांसद रॉबर्ट जॉन ब्लैकमैन उर्फ बॉब ब्लैकमैन साल 2010 से यूके पार्लियामेंट का हिस्सा हैं। उन्हें साल 2020 में पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया था। पद्मश्री भारत का चौथा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है। यह विशिष्ट सेवा के लिए दिया जाता है। ब्लैकमैन के संसदीय क्षेत्र में भारतीय मूल की बड़ी आबादी रहती है। वह भारतीय समुदाय (विशेषकर हिंदू आबादी) के आयोजनों और मुद्दों के साथ निकटता से जुड़े हैं।  

वीडियो को देखकर खौला मेरा खून- ब्रिटिश सांसद बॉब ब्लैकमैन

ब्रिटिश सांसद ने कहा कि भारत सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को बदलने के लिए पीएम मोदी के नेतृत्व में एक उल्लेखनीय काम किया है और यह दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। ब्लैकमैन ने कहा कि पीएम मोदी पर बीबीसी का वीडियो उपहास से भरा था और इसे एक बाहरी संगठन द्वारा निर्मित किया गया था और ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर द्वारा इसकी देखरेख की गई थी। उन्होंने कहा मैंने डॉक्यूमेंट्री के दोनों हिस्सों को देखा है, इसे देखकर मेरा खून खौल उठा। मुझे लगता है कि बीबीसी को ऐसे कार्यों में लिप्त नहीं होना चाहिए।

हिंदू समहती के संस्थापक का कर चुके हैं सम्मान

साल 2017 में कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने हिंदू समहती के संस्थापक तपन घोष को ब्रिटेन की संसद में एक कार्यक्रम के लिए बुलाया था। कार्यक्रम हाउस ऑफ कॉमन कॉम्पलेक्स में हुआ था, जिसे ब्लैकमैन ने ही बुक किया था।

तपन घोष साल 1975 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक थे। साल 2007 में वैचारिक मतभदों के कारण उन्होंने संघ छोड़ दिया था और 2008 में हिंदू समहती का गठन किया था। अपने उग्र और विवादास्पद भाषणों के लिए पहचाने जाने वाले तपन घोष का साल 2020 में कोरोना के कारण निधन हो गया था।

ब्रिटेन के कार्यक्रम में नेशनल काउंसिल ऑफ हिंदू टेम्पल (यूके) और ब्रिटिश बोर्ड ऑफ हिंदू स्कॉलर के सदस्य शामिल हुए थे। इस कार्यक्रम के अलावा घोष ने हिंदू फोरम द्वारा आयोजित एक दीवाली समारोह में भी भाग लिया था। ब्लैकमैन की मदद से आयोजित उस कार्यक्रम पर बाद नेशनल काउंसिल ऑफ हिंदू टेम्पल (यूके)पर यूके की चैरटी वॉचडॉग की गाज भी गिरी थी।

कार्यक्रम के खिलाफ मुस्लिम काउंसिल ने खोला था मोर्चा

साल 2018 में तपन घोष के कार्यक्रम के खिलाफ ब्रिटेन की मुस्लिम काउंसिल ने ब्लैकमैन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। काउंसिल ने ब्लैकमैन पर इस्लामोफोबिक होने का आरोप लगाया था। और साक्ष्य पेश किए थे कि वह अति-दक्षिणपंथी इस्लाम विरोधी कार्यकर्ता टॉमी रॉबिन्सन के पोस्ट को री-ट्वीट करते हैं। इसके अलावा मुस्लिम काउंसिल ने ब्लैकमैन पर इस्लामोफोबिक फेसबुक ग्रुप का सदस्य होने का आरोप लगाया था।

रेप के आरोपी बाबा के प्रतिनिधि को संसद में बुलाया

विवादित तपन घोष के अलावा ब्लैकमैन उच्च सदन ‘हाउस ऑफ लॉर्ड्स’ में भारत के भगौड़े धर्मगुरु नित्यानंद की प्रतिनिधि ‘आत्मदया’ को आमंत्रित कर चुके हैं। नित्यानंद पर अनुयायी का रेप करने और बच्चों को किडनैप करने के आरोप हैं। जांच शुरू होने पर वह साल 2019 में भारत छोड़ भाग गए थे।

ब्लैकमैन के न्योता पर नित्यानंद की प्रतिनिधि हाउस ऑफ लॉर्ड्स में आयोजित दिवाली पार्टी में पहुंची थीं। पार्टी में एक ब्रोशर भी बांटा गया था, जिसमें नित्यानंद की संस्था का फुल पेज विज्ञापन था। पार्टी में शामिल कई लोगों ने विज्ञापन पर आपत्ति दर्ज कराई थी।

अनुच्छेद 370 हटाने का किया था समर्थन

ब्रिटिश सांसद ब्लैकमैन ने मोदी सरकार द्वारा कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था, “पूरा जम्मू-कश्मीर संप्रभु भारत का हिस्सा है। ऐसे लोग, जो वहां संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को लागू करने की बात करते हैं, वे उस प्रस्ताव को भूल जाते हैं, जिसके मुताबिक राज्य के एकीकरण के लिए पाकिस्तानी सेना को कश्मीर छोड़ देना चाहिए।”

इसके अलावा ब्लैकमैन कश्मीरी पंडितों के समर्थन में ब्रिटिश संसद हाउस ऑफ कॉमंस में ‘अर्ली डे मोशन’ पेश किया था। संसद में पेश किए गए इस प्रस्ताव में कश्मीरी पंडितों के सामूहिक पलायन को ‘नरसंहार’ की श्रेणी में रखने की मांग की गई थी। साथ ही नरसंहार के लिए अलग से कानून बनाने की भी बात कही थी।

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