गुजरात
लव जिहाद कानून की पीड़िता का यू-टर्न, जबरन धर्मांतरण से इनकार, FIR रद्द करने की मांग
Paliwalwaniगुजरात धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) ऐक्ट या लव जिहाद कानून के तहत पहली शिकायत दर्ज कराने वाली पीड़िता ने पति और ससुराल पक्ष के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की है। गुजरात हाई कोर्ट के समक्ष अर्जी लगाते हुए पीड़िता ने कहा है कि उसे धर्मांतरण के लिए मजबूर नहीं किया गया।
वडोदरा की निवासी 25 वर्षीय युवती, इस कानून के तहत लगाई याचिका को रद्द करने की मांग करने वाली पहली याचिकाकर्ता है। उन्होंने मामले में यू-टर्न लेते हुए कहा है कि धर्म बदलने को लेकर जबर्दस्ती नहीं की गई। मामले की सुनवाई अगले सप्ताह हो सकती है, जिसकी डिटेल साझा करने से वकील ने इनकार कर दिया।
अमूमन एफआईआर रद्द करने के लिए हाई कोर्ट में पीड़िता एक पार्टी बनती है, जो सहमति दर्ज कराती है। लेकिन यहां इस केस में पीड़िता खुद से याचिकाकर्ता बनकर एफआईआर रद्द करने की मांग कर रही है। गुजरात में लव जिहाद कानून 15 जून को अस्तित्व में आया था। दो दिन बाद ही 17 जून को महिला ने केस दर्ज कराया था।
वडोदरा के गोत्री पुलिस स्टेशन में दर्ज शिकायत में महिला ने आरोप लगाया था कि सोशल मीडिया पर खुद को कथित तौर पर सैम मार्टिन नामक ईसाई बताने वाले शख्स से शादी की, जो कि बाद में मुस्लिम निकला। आरोप लगाया कि फरवरी में शादी के बाद जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया। लव जिहाद कानून के तहत पति, सास-ससुर और शादी कराने वाले काजी के साथ ही दो गवाहों के खिलाफ भी मामला दर्ज हुआ। महिला 2 सप्ताह के बाद अपने बयान से मुकर गई और कहा कि धर्म परिवर्तन के लिए दबाव नहीं बनाया गया था। उन्होंने सेशन कोर्ट में ऐफिडेविट सबमिट करते हुए पति को जमानत देने का निवेदन किया। हालांकि कोर्ट ने पीड़ित के बयान और आरोपी पर लगे चार्ज को ध्यान में रखते हुए जमानत की अर्जी नामंजूर कर दी। इसके बाद हाई कोर्ट से भी जमानत नहीं मिलने पर एफआईआर रद्द करने की याचिका लगाई गई है।