दिल्ली

रेपो रेट में वृद्धि का इन 4 बैंकों पर दिखा असर, बड़ी लोन पर ब्याज दरें

Paliwalwani
रेपो रेट में वृद्धि का इन 4 बैंकों पर दिखा असर, बड़ी लोन पर ब्याज दरें
रेपो रेट में वृद्धि का इन 4 बैंकों पर दिखा असर, बड़ी लोन पर ब्याज दरें

नई दिल्ली : आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) द्वारा मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट (बीपीएस) की बढ़ोतरी के बाद आईसीआईसीआई बैंक, पीएनबी, बैंक ऑफ बड़ौदा, केनरा बैंक ने अपनी ब्याज दरों में वृद्धि कर दी है. रेपो रेट में वृद्धि के बाद बैंक जमा राशि और लोन दोनों पर ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं.

संभव है कि आने वाले हफ्ते में हमें और बैंकों से भी इस तरह की बढ़ोतरी देखने को मिले. बता दें कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने 5 अगस्त 2022 को रेपो रेट को बढ़ाकर 5.40 फीसदी कर दिया था. इसका सीधा असर बैंक अब ग्राहकों तक पहुंचाएंगे. आइए देखते हैं कि इन चारों बैंकों ने ब्याज दरों में कितनी वृद्धि की है.

बैंक ऑफ बड़ौदा : रिटेल लोन अब 7.95 फीसदी की ब्याज दर होगी. जो रेपो रेट से 2.55 फीसदी अधिक है. बैंक के रिटेल लोन रेपो रेट के आधार पर संचालित किए जाते हैं.

आईसीआईसीआई बैंक : इसकी एक्सटर्नल बेंचमार्क लैंडिंग रेट (आई-ईबीएलआर) आरबीआई की रेपो रेट से जुड़ी हुई है. 5 अगस्त से आई-ईबीएलआर को 9.10 प्रतिशत प्रति वर्ष कर दिया गया है.

केनरा बैंक- रेपो रेट : लिंक्ड लेंडिंग रेट 50 बीपीएस से बढ़ाकर 8.30 फीसदी कर दिया है. नई दर आज यानी 7 अगस्त से लागू हो गई है.

पंजाब नेशनल बैंक : रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट को भी 7.40 फीसदी से बढ़ाकर 7.90 फीसदी कर दिया गया है. नई दरें 8 अगस्त 2022 से प्रभावी होंगी.

4 महीने में 3 बार बढ़ी रेपो रेट : आरबीआई ने मई और जून कुल 90 बेसिस पॉइंट की वृद्धि के बाद अगस्त में एक बार फिर रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की वृद्धि की है. आरबीआई ने बैंकों के दिए जाने वाले लोन की ब्याज दर 3 महीने 1.40 फीसदी बढ़ा दिया है. जानकारों के अनुसार, इसके आगे भी बढ़ाए जाने का अनुमान है. येस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील पान ने कहा है कि आरबीआई रेपो रेट को दिसंबर तक 6 फीसदी तक ले जाएगा.

महंगाई पर आरबीआई : आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि महंगाई कमोडिटी की कीमतों, दक्षिण पश्चिमी मॉनसून, वैश्विक भू-राजनीतिक परिस्थितियों व वित्तीय बाजारों को निर्भर है. उन्होंने कहा कि वैश्विक कमोडिटी कीमतों में कुछ कमी आई है और अलावा खाद्य तेल कुछ सस्ते हुए हैं. उन्होंने कहा कि ब्लैक सी में गेहूं की आपर्ति बहाल होने से भी राहत मिली है और आगे ऐसा ही जारी रहता है तो महंगाई को नीचे लाने में कुछ सहायता मिलेगी. उन्होंने कहा कि जारी वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 6 फीसदी के नीचे आने की उम्मीद है.

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