भोपाल
दैनिक वेतन भोगी और विनियमित कर्मचारी को स्थाईकरण लाभ का इंतजार, कहीं इनकी नाराजगी मुख्यमंत्री को भारी ना पड़ जाए
Anil Bagoraभोपाल :
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा स्थाई कर्मचारियों को सातवां वेतनमान देने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री के कार्यालय भेजे आज तीन महीने से अधिक हो गए, लेकिन अभी तक मुख्यमंत्री कार्यालय में फाईल धुल खा रही हैं.
मुख्यमंत्री दिन-प्रतिदिन नित्य नई घोषणा करते हुए सभी वर्गों को चुनाव दिनों में खुश करने में लगे हुए है, लेकिन मुख्यमंत्री शायद यह भूल गए है कि छोटे कर्मचारियों के सहारे ही सत्ता का सुख भोगा जा सकता हैं. उसके बाद भी मुख्यमंत्री दैनिक वेतन भोगियों सहित विनियमितिकरण के साथ सातवां वेतन मान देना भूल रहे हैं.
मुख्यमंत्री कार्यालय भेजा गया प्रस्ताव पर से मध्य प्रदेश के स्थाई कर्मचारी संतुष्ट होने के बजाय नाराज हो गए हैं. उनकी अपनी मांगे हैं और उनका कहना है कि सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं कर रही हैं. दैनिक वेतन भोगी, मस्टरकर्मी, विनियमित कर्मचारी अपने-अपने लाभ के लिए मुख्यमंत्री की ओर निरंतर देख रहे है, लेकिन घोषणावीर मुख्यमंत्री अफसरशाही में खो गए. जिसका नतीजा आने वाले दिनों में संकट के बादल ज्यादा मंडरा रहे हैं. अभी भी समय है, मुख्यमंत्री जी जागिए और छोटे कर्मचारियों का भला कर दिजिए. आपको दुआ के साथ-साथ सत्ता में भी लाने का दम रखते हैं. कहीं इनकी नाराजगी भारी ना पड़ जाए.
वेतनमान मूल वेतन महंगाई भत्ता कुल वेतन छठवां
- अकुशल स्थाई कर्मी (चतुर्थ श्रेणी) मूल 7000 + 14840 (212%) = 21,840
- सातवां वेतनमान के तहत प्रस्तावित 21,840 + 8299 (38%) = 30,192
- अर्द्धकुशल स्थाई कर्मी (तृतीय श्रेणी) 7,500 + 15,900 (212%) = 23,400
- सातवां वेतनमान के तहत प्रस्तावित 23,400 + 8,892 (38%) = 32,292
- कुशल स्थाई कर्मी (तृतीय श्रेणी) 8000 + 16,960 (212%) = 24,960
- सातवां वेतनमान के तहत प्रस्तावित 24,960 + 9,685 (38%) = 34,445
स्थाई कर्मचारी नाराज क्यों हैं
कर्मचारियों का कहना है कि सबसे पहली बात तो जनवरी 2016 से अब तक का एरियर चाहिए। दूसरी बात यह कि, सभी कर्मचारियों को सातवां वेतनमान के साथ-साथ नियमितीकरण चाहिए। जब तक उन्हें मध्यप्रदेश शासन का नियमित कर्मचारी नहीं बनाया जाता तब तक उनको दिए जाने वाले सभी प्रकार के लाभ किसी सरकारी योजना की तरह अस्थाई रहेंगे, जिसे कभी भी बंद किया जा सकता है।