ज्योतिषी

शनि, राहु, केतु, नवग्रहों की बैठक आपकी हथेली में क्या फल देती है

paliwalwani
शनि, राहु, केतु, नवग्रहों की बैठक आपकी हथेली में क्या फल देती है
शनि, राहु, केतु, नवग्रहों की बैठक आपकी हथेली में क्या फल देती है

हाथ की प्रथम उंगली जिसे तर्जनी कहते हैं, के नीचे के स्थान को गुरु पर्वत कहा जाता है और इसी कारण तर्जनी उंगली को जुपीटर फ़िगर या बृहस्पति की उंगली कहते हैं। बृहस्पति को बलवान करने के लिए इसी उंगली में सोने की अंगूठी में पुखराज धारण किया जाता है।

●  हाथ की दूसरी उंगली जो कि हाथ की सबसे बड़ी उंगली होती है, को मध्यमा उंगली कहा जाता है, हस्तरेखा में इसे शनि की उंगली कहते हैं, इस उंगली के नीचे वाला पर्वत शनि पर्वत कहलाता है।

●  हाथ की तीसरी अँगुली अनामिका अथवा सूर्य की उंगली कहलाती है, इस उंगली के नीचे वाले पर्वत को सूर्य पर्वत कहते हैं।

●  हाथ की चौथी उंगली को कनिष्ठिका, बुध की उंगली कहते हैं, इसके नीचे वाला पर्वत बुध पर्वत कहलाता है।

●  अँगूठे के तीसरे पोर और जीवन रेखा के भीतर वाले उभरे हुए स्थान को शुक्र पर्वत कहते हैं।

●  मणिबन्ध रेखाओं के ऊपर और जीवन रेखा के उस पार शुक्र पर्वत के सामने वाले क्षेत्र को चन्द्र पर्वत कहते हैं।

●  शुक्र पर्वत और गुरु पर्वत के बीच के क्षेत्र को मंगल पर्वत कहते हैं।

●  बुध पर्वत और चन्द्र पर्वत के बीच के क्षेत्र को केतु पर्वत कहते हैं।

●  केतु का दूसरा सिरा राहु है, इसलिये केतु पर्वत के सामने के क्षेत्र को जिसे हथेली का गड्ढा भी बोला जाता है वह राहु पर्वत कहलाता है, यह प्रायः शनि और सूर्य पर्वत के नीचे होता है।

फलादेश : जिस हाथ में जो भी पर्वत लुप्त हो, उस व्यक्ति में उस ग्रह विशेष के गुणों की कमी अथवा न्यूनता होती है। जो पर्वत सामान्य रूप से विकसित हो, उस ग्रह के गुण व्यक्ति में सामान्य रूप से होते हैं तथा जो पर्वत अधिक विकसित हो, उस ग्रह के गुण व्यक्ति में विशेष रूप से अधिक पाए जाते हैं। उदाहरण, यदि किसी व्यक्ति के हाथ में गुरु पर्वत सर्वाधिक विकसित है, तो वह व्यक्ति बहुत धनवान, ज्ञानवान होकर जीवन में उच्च पद प्राप्त करता है। यदि बुध पर्वत अधिक विकसित है, तो वह व्यक्ति चतुर और सफल व्यापारी एवं बोलने में दक्ष होता है।

whatsapp share facebook share twitter share telegram share linkedin share
Related News
Latest News
Trending News