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सिद्धिविनायक गणेश पुजन मुहुर्त योग : 31 अगस्त 2022 : महर्षि बाबूलाल शास्त्री

महर्षि बाबूलाल शास्त्री
सिद्धिविनायक गणेश पुजन मुहुर्त योग : 31 अगस्त 2022 : महर्षि बाबूलाल शास्त्री
सिद्धिविनायक गणेश पुजन मुहुर्त योग : 31 अगस्त 2022 : महर्षि बाबूलाल शास्त्री

टोंक : भाद्रपद शुक्ला चतुर्थी बुधवार दिनांक 31 अगस्त 2022 को चतुर्थी तिथि मध्यान्ह व्यापिनी दोपहर 3.23 बजे तक है. अत : इसी दिन सिद्धि विनायक गणेश जी का पुजन एवं व्रत होगा. गणेश जी का जन्म वृश्चिक लग्न में हुआ था। वृश्चिक लग्न दोपहर 11.53 बजे से 2.17 बजे तक है, सूर्योदय से चित्रा नक्षत्र अर्द्ध रात्रि को 12.12 बजे तक है जिसका स्वामी मंगल है. वृश्चिक लग्न कुंडली का स्वामी भी मंगल है, चन्द्रमा कन्या राशि में दोपहर 12.03 बजे तक, उपरान्त तुला राशि में विचरण करेंगे. 

मनु ज्योतिष एवं वास्तु शोध संस्थान टोंक के निदेशक महर्षि बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि  महागणपति पुजन मध्याह्न काल वृश्चिक लग्न सहित को श्रेष्ठ माना गया है. मध्यान्ह काल प्रात: 10.21 बजे से दोपहर 12.52 बजे तक है वृश्चिक लग्न दिन में 11.53 बजे से दोपहर 2.17 बजे तक रहेगा. श्री गणेश जी का पुजन मध्यान्ह काल वृश्चिक लग्न सहित दोपहर 11.53 बजे से 12.52 बजे तक का श्रेष्ठ समय है. इस अवधि में शुभ का चौघडिय़ा सुबह 10.52 से दिन में 12.27 बजे तक है. लाभ अमृत का सुबह 6.09 बजे से 9.18 बजे तक चर लाभ का दोपहर 3.36 बजे से सायं 6.45 बजे तक रहेगा. जिस में पुजन किया जाना शुभ है. महर्षि बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि मानव शरीर में पांच ज्ञानेंद्रियाँ पांच कर्मेन्द्रियां एवं चार अन्त: करण है इन के पिछे जो शक्तियां है, उन्हीं को चौदह देवता कहते हैं इन देवताओं के मुल प्रेरक भगवान श्री गणेश अग्रणीय पुजनीय है. 

गणेश जी के वृश्चिक लग्न में द्वितीय भाव में सर्वग्रही बृहस्पति, पराक्रम भाव में उच्च के मंगल ,पंचम भाव में उच्च के शुक्र, राहु, सप्तम में उच्च के चन्द्रमा, दशम में सर्वग्रही सूर्य, लाभ भाव में उच्च के बुध केतु, मोक्ष द्वादश भाव में उच्च के शनि बैठे है, जो लग्नेश पंचमेश नवमेश का लक्ष्मी योग धन दायक है, वास्तु शास्त्र के अनुसार वास्तु दोष में गणेश जी की मूर्ति आशीर्वाद देते हुये या बैठे हुए की ब्रहम चोक में लगानी चाहिए. गणेश जी की मुख्य द्वार पर बामव्रती एवं उसकी पीठ पिछे  दामव्रती अर्थात बाये एवं दाये सूंड़ की मूर्तिया स्थापित करनी चाहिए. जिससे नकारात्मक ऊर्जा बाहर जाती है एवं सकारात्मक ऊर्जा अंदर जाती है। गणों के सेनापति स्वयं गणपति  गणेश जी है. मंगलनाथ स्वयं मंगल ग्रह जो ग्रहों में सेनापति है, गणेश जी सभी कष्टों के संहारक है.

जय गणेश, कांटों क्लेश

संकलन. महर्षि बाबूलाल शास्त्री टोंक राजस्थान. मो. 9413129502

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