आपकी कलम
आएगा तो मोदी ही..! लौट रहे फिर मोदी : आत्मविश्वास से लबरेज नजर आ रहे प्रधानमंत्री
नितिनमोहन शर्मा-
● मोदी की हैट्रिक देश ही नहीं, दुनिया के बड़े देशों ने भी स्वीकार ली
● जी-7 देशों के सम्मेलन का आया बुलावा, मोदी ने स्वीकार किया आमंत्रण
● अंतिम तीन चरण के प्रचार में और भी ज्यादा आक्रामक हुए प्रधानमंत्री
● जीत ही एकमेव लक्ष्य, राम मंदिर पर बुलडोजर जैसी बातें भी बोलने लगे सभा में
नितिन मोहन शर्मा M. 94250-56033
आएगा तो मोदी ही..! ये बात अब देश से बाहर भी गूंजने लगी है। जबकि अभी देश में आम चुनाव का दौर चल ही रहा है। चुनाव के 7 में से 4 चरण ही हुए हैं। 3 शेष हैं, लेकिन दुनिया के बड़े देशों में भी अब भाजपाई नारा बोला जा रहा है- आएगा तो मोदी ही। अन्य देशों का ये भरोसा प्रधानमंत्री कार्यालय में मोदी की तीसरी पारी के बन रहे कार्यक्रमों से पता चल रहा है। पीएमओ के सूत्र बता रहे हैं कि अक्टूबर 2024 तक मोदी के अन्य देशों से कार्यक्रम तय हो चुके हैं। इसमें सबसे बड़ा कार्यक्रम जी-7 देशों का सम्मेलन है, जो जून के आखिरी सप्ताह में है। है न हैरत की बात। देश में अभी ये ही तय नहीं कि मोदी सत्ता में लौटेंगे कि नहीं, जबकि दुनिया के बड़े देश मान चुके कि आएगा तो मोदी ही।
लौट रहे फिर मोदी? अब ये सवाल नजर नहीं आ रहा, बल्कि जवाब की तरह ही दिख रहा है। देश की राजनीति इसे स्वीकार भले ही नहीं कर रही, क्योंकि अभी चुनाव चल ही रहे हैं, लेकिन देश का एक बड़ा हिस्सा भी इसे स्वीकार रहा है कि मोदी हैट्रिक लगा रहे हैं। इस भरोसे के पीछे दुनिया के बड़े देशों का भारत के चुनाव और परिणाम का संभावित आकलन है।
इसी आकलन के आधार पर दुनिया के देश मोदी के आगमन के कार्यक्रम तय कर रहे हैं। इनमें सबसे बड़ा न्योता जी-7 देशों के सम्मेलन का है। ये सम्मेलन इस बार जर्मनी में होगा। ये 48वां सम्मेलन है और इस बार भारत अतिथि देश बनाया गया है। इस सम्मेलन का निमंत्रण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिल चुका है। देश के आम चुनाव के परिणाम 4 जून को आना हैं, जबकि सम्मेलन 22 जून को है। भारत को न्योता रूस के राष्ट्रपति पुतिन से मिला है और पुतिन को दुनियाभर की हर घटना पर बारीक नजर के लिए जाना जाता है। इसके अलावा भी प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार मोदी के पास अक्टूबर तक के अन्य देशों के कार्यक्रम तय हो चुके हैं।
फिर से सत्ता में लौटते मोदी इन दिनों आत्मविश्वास से लबरेज नजर आ रहे हैं। उनकी भाव-भंगिमाएं साफ इशारा कर रही हैं कि वे बाजी लगभग जीत चुके। जी-7 देशों से मिले बुलावे का भी वे ये कहकर ही जिक्र कर रहे हैं कि देश ही नहीं, दुनिया भी जानती है कि आएगा तो मोदी ही। इसके लिए मोदी ने भी ताकत झोंक दी है। अंतिम तीन चरण का मतदान शेष है और मोदी ने प्रचार में स्वयं को झोंक रखा है। वे एक दिन में तीन से चार रैलियां तक कर रहे हैं।
अंतिम दौर तक आते-आते मोदी का प्रचार और ज्यादा आक्रामक हो गया है। वे अब सीधे-सीधे मंच से "मुसलमान’ शब्द बोलने लगे। "वोट जिहाद’ जैसे शब्दों से भी गुरेज नहीं कर रहे। कल से तो उन्होंने एक नया राग भी अलापना शुरू कर दिया है कि इंडी गठबंधन-कांग्रेस सत्ता में आई तो राम मंदिर पर ये लोग बुलडोजर चलवा देंगे। वे इस बात को यह कहकर मजबूती भी दे रहे हैं कि देश विभाजन के पहले भी भारत के लोगों को लगता था कि अरे, कोई देश का बंटवारा कर सकता है क्या? किसी को भरोसा ही नहीं था, लेकिन हो गया बंटवारा।
मोदी की "मीडियागिरी’ और मन की बात
लौटते मोदी का आत्मविश्वास ही उन्हें मीडिया के कैमरों के सामने लेकर जा पहुंचा है। वे मीडिया से न सिर्फ मुखातिब हो रहे, बल्कि हर सवाल का जवाब भी दे रहे हैं। मोदी पर अब तक सबसे बड़ा आरोप ये ही लगता रहा है कि वे मीडिया का सामना करने से बचते हैं और सिर्फ चुनिंदा इंटरव्यू ही देते हैं। लेकिन इन दिनों मोदी हर प्रकार के मीडिया से बात कर रहे हैं। इसमें देशी-विदेशी दोनों हैं।
विपक्ष भले ही उनकी "मीडियागिरी’ को "गोदी मीडिया’ बोलकर स्वीकार न करे, लेकिन मोदी उसी मीडिया के जरिये अपने "मन की बात’ चलते चुनाव में बखूबी से बोले जा रहे हैं और देश का अटेंशन पाते जा रहे हैं। वे हर उस मुद्दे पर मुखर हैं जो विपक्ष का हथियार माना जा रहा था। इसमें "हिंदू-मुस्लिम’ से लेकर "संविधान-आरक्षण’ जैसे विषय भी हैं। मोदी विपक्ष के इन हथियारों को "बूमरेंग’ बना चुके हैं, जो विपक्ष को ही एक तरह से कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।
खुलकर "मैदान’ में आ गए अब मोदी
पुनरागमन करते मोदी के आत्मविश्वास के पीछे उनकी अपनी पार्टी और संगठन भी है। सर्वविदित है कि भाजपा में जमीन पर संगठन काम करता है और वो भी सिर्फ कागजी नहीं, मैदानी रूप से। हर चरण के मतदान के बाद संगठन की समीक्षा बैठकें हुई हैं। इन बैठकों के निष्कर्ष ने मोदी को निश्चिंत कर रखा है।
पहले दो चरण के चुनाव में कम हुए मतदान ने मोदी की पेशानी पर पसीना ला दिया था, जो संगठन की रिपोर्ट के बाद सूख गया। उसके बाद के दो चरण में मतदान का प्रतिशत आश्चर्यजनक रूप से उछल भी गया। अब बचे तीन चरण के चुनाव में ये औऱ भी ऊपर जा सकता है। मोदी ने जैसे तय कर लिया हो कि अंतिम फैसला तो जीत से ही होगा। आंकड़े मायने नहीं रखेंगे। लिहाजा वे खुलकर मैदान में आ गए हैं और चुनावी सभाओं में ये तक कहने में संकोच नहीं कर रहे कि बुलडोजर कैसे और कहां चलना चाहिए, ये योगीजी से पूछिए। ‘राम मंदिर पर बाबरी ताला’ जैसे शब्द बोलकर वे सबको चौंका रहे हैं और विपक्ष सफाई देता फिर रहा है।