Tuesday, 09 September 2025

दिल्ली

पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ नादान नहीं बल्कि चतुर राजनेता है, इसलिए अपनी मर्जी से चुप हैं...!

S.P.MITTAL BLOGGER
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ नादान नहीं बल्कि चतुर राजनेता है, इसलिए अपनी मर्जी से चुप हैं...!
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ नादान नहीं बल्कि चतुर राजनेता है, इसलिए अपनी मर्जी से चुप हैं...!

नई दिल्ली.

पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति के पद से गत 21 जुलाई 2025 को इस्तीफा दिया था। तभी से धनखड़ चुप है और किसी से भी कोई संवाद नहीं कर रहे। यहां तक कि अपने निकट के रिश्तेदारों से भी मुलाकात नहीं कर रहे हैं। नए उपराष्ट्रपति का चुनाव 9 सितंबर 2025को होना है, लेकिन इससे पहले ही धनखड़ ने उपराष्ट्रपति का अधिकृत सरकारी बंगला छोड़ दिया और हरियाणा के राजनेता अभय चौटाला के दिल्ली के गदईपुर स्थित फार्म हाउस में रहने चले गए।

इस बीच विपक्ष के नेताओं और मीडिया के खोजी पत्रकारों ने धनखड़ से मुलाकात करने की कई तरकीब लगाई, लेकिन सफलता नहीं मिली। एक पत्रकार तो अभय चोटाला के फार्म हाउस तक भी पहुंच गया, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने पत्रकार को बंगले के अंदर नहीं जाने दिया। विपक्ष और देश भर के पत्रकार कह रहे है कि सरकार ने धनखड़ को कैद कर रखा है। यह सही है कि विपक्ष के नेता और मीडिया वाले धनखड़ से मुलाकात करने को उतावले हैं, लेकिन धनखड़ कोई नादान राजनेता नहीं बल्कि एक चतुर राजनेता है।

इसलिए गत 21 जुलाई से चुप है। जो लोग धनखड़ की प्रवृत्ति को जानते हैं उन्हें अच्छी तरह पता है कि धनखड़ का कोई ताकत कैद कर नहीं रख सकती। धनखड़ अपनी मर्जी से ही पहले उपराष्ट्रपति आवास और फिर अभय चोटाला के फार्म हाउस में शांति से बैठे हैं। सब जानते हैं कि केंद्र सरकार ने पांच वर्ष पहले धनखड़ को अचानक पश्चिम बंगाल का राज्यपाल और फिर तीन वर्ष पहले देश का उपराष्ट्रपति बनाया।

धनखड़ जिस चौंकाने वाले अंदाज में राज्यपाल और उपराष्ट्रपति बने, उसी चौकाने वाले अंदाज में धनखड़ ने इस्तीफा भी देना पड़ा। धनखड़ को अच्छी तरह पता है कि वह किन कारणों से उपराष्ट्रपति बने और किन कारणों से उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा देना पड़ा। केंद्र सरकार के किसी भी स्तर पर धनखड़ को लेकर कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद के कार्यकाल की प्रशंसा की है।

धनखड़ को पता है कि उन्हें दो वर्ष पहले उपराष्ट्रपति पद क्यों छोड़ना पड़ा? धनखड़ को यह भी पता है कि आने वाला भविष्य कैसा हागा। इसलिए धनखड़ अब चुप है। उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफे के बाद जो नुकसान हुआ उसे धनखड़ और बढ़ाना चाहते हैं। इस्तीफे  के बाद केंद्र सरकार ही धनखड़ को सरकारी बंगले आदि की सुविधा उपलब्ध करवाएगी। धनखड़ के लिए दिल्ली में सरकारी बंगला तैयार भी करवाया जा रहा है।

ऐसे में विपक्षी नेताओं और मीडिया को धनखड़ से मुलाकात करने के लिए उतावला नहीं होना चाहिए। मीडिया को इस बात का इंतजार करना चाहिए कि धनखड़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कितनी तारीफ करते हैं। 

S.P.MITTAL BLOGGER 

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