आपकी कलम
ममतामयी,पद्म भूषण दीदी माँ साध्वी ऋतंभरा
सुरेश मिश्रसाध्वी ऋतंभरा,
ज्ञान घट भरा-भरा।
राम जी की टेरनी,
हिंदुओं की शेरनी।
म्लेच्छ से तनी-तनी,
है सदा सनातनी।
तू मृदुल,महान है,
हम सभी की शान है।
ज्ञान की पहाड़ हो,
सिंह की दहाड़ हो।
मां मेरी ममतामयी,
हृदय से करुणामई।
नारियों की शक्ति है,
राम-देश भक्ति है।
तू विरक्ति पाग है,
तप विटप विराग है।
सहज,सरल, स्नेह है,
प्रेम सिक्त गेह है।
पद्म खुद मुदित हुआ,
भूषणों का हित हुआ।
हम सभी की शान है,
साध्वी महान है।
तू कभी रुकी नहीं,
तू कभी झुकी नहीं।
राम धाम के लिए,
अवध ग्राम के लिए।
लेकर अपनी टोलियां,
जय श्री राम बोलियां।
राम धाम के लिए,
खा रहीं थीं गोलियां।
दुंदुभी हुंकार की,
शेरनी सवार थी।
तापसी तपस्विनी,
चल पड़ी तनी-तनी।
देश की अभिमान थी,
आप गौरवगान थी।
द्वेष था न राग था,
मन में सिर्फ त्याग था।
राम धाम आ गए,
स्नेह भी लुटा गए।
क्योंकि तू आधार थी,
आंदोलन की सार थी।
राम जी का आगमन,
नैन अश्रु धार थी।
दिल्ली को भी भान था,
प्यार था, सम्मान था।
दिल-कमल खिला-खिला,
पद्म का भूषण मिला।
शबरी तू, मीरा है तू,
भक्ति का हीरा है तू।
मगन आज देश है,
मन मुदित सुरेश है।
तू छुवे ऊंचाइयां,
कोटिश: बधाइयां।
प्रेम से या यत्न से,
सजो भारत रत्न से।
सुरेश मिश्र M. 9869141831
- कविता का सार : सुरेश मिश्र की यह कविता दीदी माँ साध्वी ऋतंभरा को समर्पित है, जो उनके योगदान, त्याग और प्रेरणादायक व्यक्तित्व का गुणगान करती है।
कवि साध्वी दीदी माँ को ज्ञान और करुणा की प्रतीक, हिंदू समाज की शेरनी और राम भक्ति में समर्पित एक महापुरुष बताते हैं। उन्होंने उनके संघर्ष, तपस्या, और राष्ट्र के प्रति समर्पण को सराहा है। कविता में साध्वी दीदी माँ को नारियों की शक्ति, सनातन धर्म की धारक, और रामधाम के लिए अपने प्राणों की परवाह किए बिना संघर्ष करने वाली तपस्विनी के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
पद्म भूषण सम्मान प्राप्त करने पर कवि ने उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की है और उन्हें भारत का गौरव बताया है। अंत में, वे साध्वी दीदी माँ को भारत रत्न से भी सम्मानित करने की इच्छा व्यक्त करते हैं।
रिपोर्ट : लेखक रविंद्र आर्य M. 9953510133