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गोरखा टाइगर राणा की चेतावनी : “नेपाल को इस्लामी आतंक की जड़ें नहीं बनने देंगे”
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नेपाल ने भारत के आतंकवाद विरोधी संघर्ष का समर्थन किया
लेखक : डॉ. परविंदर सिंह- रिपोर्ट: रविंद्र आर्य
भारत / नेपाल
सीमापार आतंकवाद की कड़ी निंदा करते हुए और पड़ोसी देशों के विरुद्ध किसी भी गतिविधि के लिए अपनी भूमि के उपयोग के प्रति सख्त रुख अपनाते हुए नेपाल ने भारत के आतंकवाद विरोधी रुख का पुरजोर समर्थन किया है। नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली ने दो टूक कहा कि किसी भी संघर्ष-प्रेरित संगठन को नेपाल की धरती से किसी अन्य राष्ट्र के खिलाफ संचालित होने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने वैश्विक शांति के प्रति नेपाल की अटूट प्रतिबद्धता दोहराई और आतंकवाद के सभी स्वरूपों की स्पष्ट निंदा की। पहलगाम आतंकी हमले में एक नेपाली नागरिक की हत्या को उन्होंने नेपाल के लिए भी एक गहरी क्षति बताया।
नेपाल के विदेश मंत्रालय (MoFA) ने 8 मई को बयान जारी कर भारत और पाकिस्तान दोनों से संयम बरतने और क्षेत्रीय स्थिरता को प्राथमिकता देने की अपील की। मंत्रालय ने “आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों” के खिलाफ अपनी नीति दोहराई और भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की। मंत्रालय ने यह भी आश्वस्त किया कि नेपाल की भूमि का उपयोग किसी भी शत्रुतापूर्ण गतिविधि के लिए नहीं होने दिया जाएगा।
नेपाल के प्रमुख राजनीतिक दलों ने भी भारत के इस संघर्ष में समर्थन जताया। नेपाली कांग्रेस (NC) के प्रवक्ता प्रकाश शरण महत ने कहा कि आतंकवाद के विरुद्ध भारत की कार्रवाई न्यायसंगत है। NC के महासचिव जीवन परियार ने स्पष्ट किया कि पार्टी वैश्विक स्तर पर आतंक के खिलाफ किसी भी कार्रवाई का समर्थन करती है। राष्ट्रपति के राजनीतिक सलाहकार और कांग्रेस नेता सुनील थापा ने आतंकवाद को धार्मिक मूल्यों का विकृतिकरण बताते हुए इसकी घोर निंदा की। मधेस प्रांत से कांग्रेस नेता महेंद्र यादव और मुख्यमंत्री सतीश सिंह ने भी भारत के साथ खड़े होने की घोषणा की।
गोरखा की आवाज़ : “हम भारत-नेपाल की सुरक्षा के प्रहरी हैं”
भारतीय सेना की गोरखा रेजिमेंट में दशकों तक सेवा दे चुके और अब राष्ट्रवादी मुखरता के प्रतीक बने पूर्व सैनिक टाइगर राणा ने इस्लामी आतंकवाद को लेकर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा, “अब समय आ गया है कि नेपाल के गोरखा रिटायर्ड सैनिक एकजुट होकर इस्लामी आतंक की जड़ें नेपाल में जमने से रोकें।”
टाइगर राणा ने कहा कि भारत इस्लामी आतंकवाद का दशकों से केंद्र रहा है और नेपाल की भौगोलिक नज़दीकी का लाभ उठाकर आतंकी गुट नेपाल-भारत सीमा के ज़रिए जासूसी, नेटवर्किंग और घुसपैठ की गतिविधियों को अंजाम देते रहे हैं। उन्होंने चिंता जताई कि नेपाल में अवैध मस्जिदों और मदरसों का निर्माण एक सुनियोजित “जिहादी योजना” का हिस्सा है, जो पाकिस्तान समर्थित प्रॉक्सी समूहों और स्लीपर सेल के रूप में सक्रिय हो सकते हैं।
“मैं एक गोरखा सिपाही हूं। भारत और नेपाल, दोनों मेरे देश हैं। मुझे चिंता है कि आतंकवाद धर्म की आड़ में अधर्म की लड़ाई लड़ता है, मासूमों की जान लेकर उसे ‘जन्नत’ के नाम पर जायज़ ठहराता है। हिन्दुओं को ‘काफिर’ कहकर आत्मघाती हमलों का निशाना बनाना इसकी विकृत मानसिकता है।”
टाइगर राणा ने भारत-नेपाल सीमा पर फौजियों के पुराने नेटवर्क को सक्रिय कर एक सामूहिक सुरक्षा ढांचा तैयार करने का सुझाव दिया, जिससे किसी भी खूंखार आतंकी को नेपाल की भूमि से भारत में प्रवेश करने से रोका जा सके। उन्होंने नेपाल सरकार से मांग की कि वह कठोर नीतियों के ज़रिए आतंकी गुटों और उनके समर्थकों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही करे।
दक्षिण एशिया में आतंकवाद के विरुद्ध भारत की लड़ाई को नेपाल का समर्थन क्षेत्रीय शांति के लिए सकारात्मक संकेत है। साथ ही, टाइगर राणा जैसे जागरूक गोरखा सैनिकों की चेतावनी इस बात का स्पष्ट संकेत है कि अब केवल राजनीतिक बयानबाज़ी नहीं, ज़मीनी स्तर पर रणनीतिक सुरक्षा पहल की आवश्यकता है।