आपकी कलम

एक पिता का दर्द : स्वय की शादी का कुछ भी निर्णय लेवे पर एक बार इस कहानी को तीन बार पढ़े और सोचे फिर...!

paliwalwani
एक पिता का दर्द : स्वय की शादी का कुछ भी निर्णय लेवे  पर एक बार इस कहानी को तीन बार पढ़े और सोचे फिर...!
एक पिता का दर्द : स्वय की शादी का कुछ भी निर्णय लेवे पर एक बार इस कहानी को तीन बार पढ़े और सोचे फिर...!

आज पूनम लव मैरिज कर अपने पापा के पास आयी, और अपने पापा से कहने लगी. पापा मैंने अपनी पसंद के लड़के से शादी कर ली, उसके पापा बहुत गुस्सें में थे, पर वो बहुत सुलझें शख्स थे.

उसने बस अपनी बेटी से इतना कहा, इस घर से निकल जाओं. बेटी ने कहा अभी इनके पास कोई काम नही हैं, हमें रहने दीजिए हम बाद में चलें जाएगें, पर उसके पापा ने एक नही सुनी और उसे घर से बाहर कर दिया.

कुछ साल बित गयें, अब पूनम के पापा नही रहें और दुर्भाग्यवश जिस लड़के ने पूनम ने शादी की वो भी उसे धोखा देकर भाग गया. पूनम की एक लड़की एक लड़का था. पूनम खुद का एक रेस्टोरेंट अपने ताऊ से उधार लेकर चला रही थी, जिससे उसका जीवन यापन मुश्किल और दर्द भरा हो रहा था...खेर खुद का गलत निर्णय किसको दोष...

  1. पूनम जब अपने पापा के घर आयी तो परिवार के सब सदस्य उनकी अंतिम यात्रा की तैयारी कर रहें थें और दुखी थे. पूनम को देख कर, पर पूनम को उनके मरने का कोई दुख नही था. वो तो बस अपने ताऊजी के कहने पर आयी थी. अब पूनम के पापा अंतिम यात्रा शुरू हुई. सब रो रहें थे... पर पूनम दूर खड़ी हुई देख रही थी. जैंसे-तैसे सब कार्यकम निपट गया. 

पूनम को जब ये खबर हुई उसके पापा नही रहें, तो उसने मन में सोचा अच्छा हुआ. मुजे घर से निकाल दिया था. दर-दर की ठोकरें खाने छोड़ दिया. मेरे पति के छोड़ जाने के बाद भी मुजे घर पर नही बुलाया. मैं तो नही जाऊंगी उनकी अंतिम यात्रा में, पर उसके ताऊ जी ने कहा पूनम हो आऊ, जाने वाला शख्श तो चला गया. अब उनसे दुश्मनी कैसी. पूनम ने पहले हाँ ना किया फिर सोचा चलों हो आती हूं, देखू तो सही जिन्होने मुजे ठुकराया वो मरने के बाद कैसे सुकून पाता हैं...

पूनम जब अपने पापा के घर आयी तो परिवार के सब सदस्य उनकी अंतिम यात्रा की तैयारी कर रहें थें और दुखी थे. पूनम को देख कर, पर पूनम को उनके मरने का कोई दुख नही था. वो तो बस अपने ताऊजी के कहने पर आयी थी. अब पूनम के पापा अंतिम यात्रा शुरू हुई. सब रो रहें थे... पर पूनम दूर खड़ी हुई देख रही थी. जैंसे-तैसे सब कार्यकम निपट गया. 

आज पूनम के पापा की तेरहवी थी. उसके ताऊ जी आए और पूनम के हाथ में एक खत देते हुये कहा, ये तुम्हारे पापा ने तुम्हें दिया हैं, हो सके तो इसे पढ़ लेना...रात हो चुकी थी सारें मेहमान जा चुके थे, पूनम ने वो खत निकाला और पढ़ने लगी. उसने सबसे पहले लिखा था, मेरी प्यारी गुड़िया मुजे मालूम हैं, तुम मुजसे नराज हो...पर अपने पापा को माफ कर देना, मैं जानता हूं, तुम्हें मैंने घर से निकाला था. तुम्हारे पास रहने की जगह नही थी. तुम दर-दर की ठोकरे खा रही थी, पर मैं भी बहुत उदास था. तुम्हें कैसे बताऊँ...

"याद हैं तुम्हें जब तुम पाँच साल की थी, तब तुम्हारी माँ हमें छोड़ के चली गयी थी. तब तुम कितना रोती थी, डरती थी, मेरे बिना सोती नही थी, रातों को उठकर रोती थी, तब मैं भी सारी रात तुम्हारे साथ जागता था. तुम जब स्कूल जाने से डरती थी. तब मैं भी सारा वक्त तुम्हारे स्कूल के खिडकी पर खड़ा होता था और जैसे ही तुम स्कूल से बाहर आती थी. तुम्हें सीने से लगा लेता था. वो कच्चा-पक्का खाना याद हैं, जो तुम्हें पसंद नही आता था. मैं उसे फेंक कर फिर से तुम्हारे लिए नया बनाता था. की तुम भूखी ना रहों...

याद हैं तुम्हें जब तुम्हें बुखार आया था, तो मैं सारा दिन तुम्हारे पास बैठा रहता था, अंदर ही अंदर रोता था. पर तुम्हें हंसाता था, की तुम ना रोओ वरना मैं रो पड़ता था, वो पहली बार हाईस्कूल की परीक्षा जब तुम रात भर पढ़ती थी, तो मैं सारी रात तुम्हें चाय नाश्ता बनाकर देता था. याद है तुम्हें जब तुम पहली बार कालेज गयी थी और तुम्हें लड़को ने छेंड था, तो मैं तुम्हारे साथ कालेज गया और उन बदतमीज लड़को से भीड गया. उम्र हो गयी थी और मैं कमजोर भी, कुछ चोटे मुजे भी आयी थी पर हर लड़की की नजर में पापा हीरों होते हैं, इसलिए अपना दर्द सह गया...

"याद हैं, तुम्हें वो तुम्हारी पहली जीन्स वो छोटे कपड़े, वो गाड़ी, सारी कालोनी और रिश्तेदार एकतरफ थे. की ये सब नही चलेगा, लड़की छोटे कपड़े नही पहनेगी पर मैं तुम्हारे साथ खड़ा था. किसी को तुम्हारी खुशी में बाधा बनने नही दिया. तुम्हारा वो रातों को देर से आना कभी-कभी शराब पीना, डिस्को जाना, लड़को के साथ घूमना, इन सब बातों को कभी मैंने गौर नही किया और रिश्तेदारों से भी बुरा बना. क्यूकि जिस उम्र में तुम थी. उस उम्र मे ये सब थोड़ा बहुत होता हैं, .ऐसा में बाप के मां का रोल निभाने के कारण समझता था. बस यही मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल थी मुझे मां का रोल सिर्फ खाने पीने में निभाना था. बाप का रोल निभाना था खेर...

पर एक दिन जब तुम एक लड़के से शादी कर आयी, वो भी उस लड़के से जिसके बारे में तुम्हें कुछ भी पता नही था. तुम्हारा पापा हूं, आज मुझे याद और मेने बाप का फर्क निभाया और मैंने उस लड़के के बारे मे सब पता किया, उसने ना जाने वासना और पैंसे के लिए कितनी लड़कियों को धोखा दिया पर तुम तो उस वक्त प्रेम में अंधी थी, तुमने एक बार भी मुजसे नही पूछा और सीधा शादी कर के आ गयी. मेरे कितने अरमान थें, तुम्हें डोली में बिठाऊ, चाँद, तारों की तरह तुम्हें सजाऊ, ऐसी धूमधाम से शादी करूँ की लोग बोल पड़े वो देखों शर्माजी, जिन्होने अपनी बच्ची को इतने नाजों से अकेले ही पाला हैं, पर तुमने मेरे सारे ख्वाब तोड़ दियें, "खैर" इन सब बातों का कोई मतलब नही हैं...

मैंने तो तुम्हारें लिए खत इसलिए छोड़ा है की कुछ बात सकूं....

मेरी "गुड़िया" आलमारी में तुम्हारी माँ के गहने और मैंने जो तुम्हारी शादी के लिए गहने खरीदें तो वो सब रखें हैं, तीन चार घर और कुछ जमीने है, मैंने सब तुम्हारे और तुम्हारे बच्चों के नाम कर दी हैं, कुछ पैसें बैंक में है वहा भी नामिनी बना दिया था. तुम बैंक जाकर उसे निकाल लेना.

"और आखिरी में बस इतना ही कहूंगा गुडिया काश तुमने मुजे समझा होता और मेने भी बाप का असली फर्ज अदा किया होता और मां के रोल को बीच में ना लाया होता, तो मैं भी वैसे तुम्हारा दुश्मन नही था, तुम्हारा पापा था, वो पापा जिसने तुम्हारी माँ के मरने के बाद भी, दूसरी शादी नही की. लोगो के ताने सुने, गालियाँ सुनी, ना जाने कितने रिश्तें ठुकराय पर तुम्हें दूसरी माँ से कष्ट ना हो इसलिए खुद की ख्वाहिशें मार दी...

अंत में बस इतना ही कहूंगा मेरी गुड़िया, जिस दिन तुम शादी के जोड़े पर घर आयी थी ना, तुम्हारा बाप पहली बार टूटा था और जीते जी मर गया था. तुम्हारे माँ के मरने के वक्त भी उतना नही रोया, जितना उस वक्त और उस दिन से हर दिन रोया हूं इसलिए नही की समाज-जात-परिवार और रिश्तेदार क्या कहेंगें...

इसलिए वो जो मेरी नन्ही सी गुड़िया सु...सु तक करने के लिए, सारी रात मुजे उठाती थी, पर जिसने शादी का इतना बड़ा फैसला लिया पर मुजे एक बार भी बताना सही नही समझा. गुड़िया अब तो तुम भी माँ हो औलाद का दर्द खुशी सब क्या होता हैं, वो जब दिल तोड़ते हैं, तो कैसा लगता हैं, ईश्वर तुम्हें कभी भी ये दर्द की शक्ल दिखाए, एक खराब पिता ही समझ के मुजे माफ कर देना... 

मेरी गुड़िया, तुमारा पापा अच्छा नही था. जो तुमने उसे इतना बड़ा दर्द दिया. अब खत यही समाप्त कर रहा हूं, हो सकें तो माफ कर देना और खत के साथ एक ड्राइंग लगी थी जो खुद कभी पूनम ने बचपन में बनाई थी और उसमें लिखा था आई लव यू मेरे पापा मेरे हीरो मैं आपकी हर बात मानूंगी...

पूनम रो ही रही थी, उतने में उसके ताऊजी आ गयें, पूनम ने उन्हें रोते-रोते सब बताया  पर एक बात उसके ताऊजी ने बताई, उसके ताऊजी ने कहा पूनम वो जो तुम्हें रेस्टोरेंट खोलने और घर खरीदने के पैंसे मैंने नही दियें थें, वो पैंसे तुम्हारे पिताजी ने मुजसे दिलवाए थें, क्यूकि औलाद चाहें कितनी भी बुरी, माँ-बाप कभी बुरे नही होतें, औलाद चाहें माँ-बाप को छोड़ दे माँ-बाप मरने के बाद भी अपने बच्चों को दुआ देते हैं...

दोस्तों पूनम के पापा को सुकून मिलेगा या नही मुजे नही पता. पर उस खत को पढ़ने के बाद शायद सारी जिंदगी, पूनम को सुकून नही मिलेंगा...की उसने क्षणिक भौतिक सुख के लिए कितनी बड़ी गलती की थी. अगर आप जैविक खाए और बच्चो को जैविक संगत, जैविक पंगत और जैविक सत्संग की और मुखातिफ करे तो भले आपके पास पैसे और संपति कम आप और आपका परिवार सबसे धनी परिवार होगा. ऐसी मेरी जैविक मंगल कामना है... 

मंगलम पढ़े और शेयर करे. शायद किसी की पूनम दुखी होने से बच जाए... आपके विचार में ये सही है. किसी भी घर में ऐसी पूनम ना हो ईश्वर से गुजारिश है...!

  1. मेरी गुड़िया, तुमारा पापा अच्छा नही था. जो तुमने उसे इतना बड़ा दर्द दिया. अब खत यही समाप्त कर रहा हूं, हो सकें तो माफ कर देना और खत के साथ एक ड्राइंग लगी थी जो खुद कभी पूनम ने बचपन में बनाई थी और उसमें लिखा था आई लव यू मेरे पापा मेरे हीरो मैं आपकी हर बात मानूंगी...

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