आमेट
शीतला अष्टमी पर्व धूमधाम से मनाया, सुहागिनों ने सुख शांति समृद्धि का आशीर्वाद मांगा
Mubarik ajnabiआमेट : (Mubarik ajnabi...✍️)
आमेट नगर सहीत ग्रामीण क्षेत्रो मे बुधवार को शीतला अष्टमी का पर्व शीतलामाता जी की विधि विधान से पूजा अर्चना कर बडे हर्षोल्लास से मनाया गया।नगर में मध्य रात्रि से ही राजमहल सहित होलीथान, शनि महाराज, गांधी चौराहे, माई राम मंदिर, रेगर मोहल्ला, सेवकों का मोहल्ला, बड़ी पोल, खटीक मोहल्ला, मारु दरवाजा आदि मोहल्लों की महिलाऐ सज धज कर अपने हाथो मे पूजन सामग्री लेकर नगर के मारू दरवाजा के समि शितला माता मंदिर व रेलवे स्टेशन क्षेत्र मे फाटक के पास शीतला माता के थान पर पहुंची।
जहां पर शीतला माता जी का अभिषेक कर विधिवत पूजा अचंना एवं आराधना कर सुख शांति एंव समृद्धि की मंगल कामना की। मान्यता है की शीतला माता पूजन के जल से चेचक शहित अन्य चरम रोग ठीक हो।जाते है । हिन्दू धार्मिक परंपराओं में चैत्र माह कृष्ण पक्ष अष्टमी को शीतलाष्टमी का व्रत रखा जाता है। इसमें भगवती स्वरूप शीतलादेवी को बासी या शीतल भोजन का भोग लगाया जाता है। इसलिए यह व्रत बसोरा या बासीडा के नाम से भी जाना जाता है।
पुराणों में है इस पर्व का उल्लेख
पुराणों में माता शीतला जी के रूप का जो वर्णन किया गया है, उसके मुताबिक उनके वाहन गधा को बताया गया। उनके हाथ में कलश, झाडू होते हैं। वह नग्र स्वरुपा, नीम के पत्ते पहने हुए और सिर पर सूप सजाए हुए होती है। इस व्रत और रोग के संबंध में धार्मिक दर्शन यह है कि पुराणों में माता के सात मुख्य रूप बताए गए हैं। स्कन्द पुराण में इनकी अर्चना का स्तोत्र शीतलाष्टक के रूप में प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र की रचना भगवान शंकर ने लोकहित में की थी।शीतलाष्टक शीतला देवी की महिमा गान करता है। साथ ही उनकी उपासना के लिए भक्तों को प्रेरित भी करता है।
शास्त्रों में भगवती शीतला की वंदना के लिए यह मंत्र बताया गया है:
वन्देऽहंशीतलांदेवीं रासभस्थांदिगम्बराम्।।
मार्जनीकलशोपेतां सूर्पालंकृतमस्तकाम्।।
गर्दभ पर विराजमान,
व्रत के इस दोरान महिलाओं द्रारा शीतला माता जी की कथा का श्रवण भी किया जाता है।