आमेट
आमेट : चमत्कारी शिवालय में एक है वेवर महादेव मंदिर : उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
Mubarik ajnabiआमेट : (माधवसिंह पंवार) नगर के चंद्रभागा नदी तट पर विराजीत भगवान वेवर महादेव का प्राचीन मंदिर बरसों पुराना है।यह साधु संतों की तपो भूमि है।शिवभक्त समाजसेवी भरत बागबान ने बताया कि करीब 500 वर्ष से भी समय पहले मेवाड़ के तत्कालीन महाराणा भीम सिंह राठौड़ के द्वारा भगवान वेवर महादेव के शिवलिंग की स्थापना करवाई गई। स्थापना के साथ ही यहां पर साधु संतों के सिद्धि योग करने हेतु 9 यज्ञ धूनी की भी स्थापना करवाई गई। तथा प्राचीन काल में उक्त धार्मिक स्थल का नाम भीमाशंकर महादेव के नाम से जाना जाता रहा है।
महाराणा द्वारा धर्मस्थल में ही माताजी व भेरुजी बावजी के मन्दिर कई स्थापना करवाई गई।साथ ही यज्ञधुनी के सामने हनुमान जी का मंदिर भी स्थापित किया गया। कालांतर में माताजी के चमत्कार से प्रभावित होकर समय के साथ ही धर्म स्थल का नाम वेवर महादेव व वेवर माताजी के नाम से प्रचलित हो गया। कालांतर में 9 में से पांच यज्ञ धूनिया विलुप्त हो गई तथा वर्तमान में चार यज्ञ धुनि अभी भी मंदिर परिसर में स्थापित है । जहां पर साधु संतों नगर वासियों द्वारा भी यज्ञ हवन किया जाता है। श्रावण मास में नगर सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन एवं पूजा पाठ करने आते है। वर्तमान में टांक परिवार के सदस्यों द्वारा भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना की जा रही है।
लक्ष्मण सिंह टांक वर्तमान में पुजारी है।महा शिवरात्रि पर प्रतिवर्ष भगवान भोलेनाथ की विशाल शोभायात्रा निकाली जाती है। जो पूरे मेवाड़ में प्रसिद्ध है। महाशिवरात्रि के दूसरे दिन एक दिवसीय मेले का आयोजन वेवर महादेव समिति व नगरपालिका के तत्वाधान में आयोजित किया जाता है। लगातार 10 वर्षों से नगर वासियों की ओर से कावड़ यात्रा भी इसी श्रावण महीने में निकाली जाती है। मंदिर परिसर में ही भेरुजी बावजी मंदिर से निकलने वाली गुफा 10 किलोमीटर दूर अरावली की पहाड़ियों में स्थापित हीम माता मंदिर के पीछे निकलती है। गुफा में निकलती है।
इस शिवालय के चमत्कारों के चलते ही प्रतिदिन लोग अपनी मनोकामना लेकर आते रहते तो मनोकामना पूर्ण होने पर यज्ञ हवन, प्रसादी,अभिषेक करवा कर भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।श्रावण मास में वेवर महादेव सेवा समिति द्वारा पूरे महीने भर तक भगवान के अभिषेक यज्ञ हवन प्रसादी आदि धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे हैं। श्रावण में पूरे महीने पंडितों द्वारा भगवान भोलेनाथ का अभिषेक एवं विशेष श्रंगार किया जाता है। सावन मास में भगवान भोलेनाथ के दर्शनार्थ हेतु लोगों का तांता लगा रहता है।