Wednesday, 10 December 2025

उत्तर प्रदेश

मां-बाप संस्कार नहीं देते तो लड़कियां अर्धनग्न रहती : प्रज्ञा ठाकुर ने अनिरुद्धाचार्य के लिव-इन वाले बयान का किया समर्थन

paliwalwani
मां-बाप संस्कार नहीं देते तो लड़कियां अर्धनग्न रहती : प्रज्ञा ठाकुर ने अनिरुद्धाचार्य के लिव-इन वाले बयान का किया समर्थन
मां-बाप संस्कार नहीं देते तो लड़कियां अर्धनग्न रहती : प्रज्ञा ठाकुर ने अनिरुद्धाचार्य के लिव-इन वाले बयान का किया समर्थन

वृंदावन. ‘मां-बाप संस्कार नहीं देते तो लड़कियां अर्धनग्न रहती’, यह कहना है भोपाल से पूर्व बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर का। उन्होंने वृंदावन में अनिरुद्धाचार्य से मुलाकात के दौरान यह बात कही। अपने फेसबुक अकाउंट में पूर्व बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के लिव इन में पराए पुरुषों और महिलाओं को लेकर दिए गए बयान का समर्थन किया है। साध्वी प्रज्ञा 31 जुलाई 2025 को मालेगांव ब्लास्ट केस से बरी होने के बाद वृंदावन पहुंचीं थीं।

वृंदावन में गौरी गोपाल आश्रम पहुंचकर कथावाचक अनिरुद्धाचार्य से मुलाकात के दौरान कहा कि ऐसे परिदृश्य से दुराचार भी बढ़ते हैं प्रज्ञा ने अनिरुद्धाचार्य से कहा कि मैं मानती हूं कि आपने जो कहा, वह समाज की स्थिति को स्पष्ट करता है। आपने अपनी बात आत्मविश्वास से कही है। आपने कोई बात मन से नहीं बनाई, मैं आपकी बात का समर्थन करती हूं। उन्होंने कहा कि जब समाज में ऐसे परिदृश्य बढ़ने लगते हैं तो दुराचार की घटनाएं भी बढ़ती हैं।

प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने आगे कहा कि माता-पिता अपनी बेटियों को संस्कार नहीं दे पाते और जो बढ़ते वेस्टर्न कल्चर का परिणाम यह है कि स्कूल-कालेज, जहां भी लड़कियां जाएंगी वो अर्धनग्न दिखाई देती हैं। मुझे लगता है कि माताओं को मर्यादा सिखाना चाहिए। बेटियों के साथ-साथ बेटों को भी सिखाना चाहिए। बेटों को यह भी पूछना चाहिए कि आप कितने बजे घर आ रहे हो और बेटियों को भी पूछना चाहिए। घर आने का समय भी एक अनुशासन होता है, उतने बजे घर आना चाहिए।

अगर माताएं बेटियों को नहीं सिखाएंगी, पिता बेटों को नहीं सिखाएंगे तो यह समाज में जिस तरह से विकृति फैल रही हैं, वो सही नहीं हैं। वेल्टर्न कल्चर के कारण जो बिना नाम लिए (लिव इन) जैसी बातें हमारे समाज में नहीं आती हैं और यह सनातन धर्म में पाप हैं और हम ऐसी बातों का विरोध करते हैं।

प्रज्ञा सिंह ठाकुर आगे अनिरुद्धाचार्य जी कहती हैं कि मुझे लगता है कि जैसा आपने कहा है, आपने मौजूदा समाज की स्थिति व्यक्त की है। आपने अपनी तरफ से बनाकर नहीं बोला है। मैं आपकी बात का पूर्ण समर्थन करती हूं। मैं यह भी कहती हूं कि ऐसे परिदृश्य जब हमारे समाज में बढ़ने लगते हैं तो गलत आदतें बढ़ती हैं।

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