धर्मशास्त्र
मकर संक्रांति, तारीख, समय, शुभ मुहूर्त, कथा और महत्व जानिये
Prabha Joshi-Sunita Paliwalमकर संक्रांति के पर्व का भारत में बहुत विशेष महत्व है । संक्रांति पर ही सूर्य की दिशा बदलती है और इसका धार्मिक के साथ ही भौगोलिक महत्व भी है। मकर संक्रान्ति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है। मकर संक्रान्ति पूरे भारत और नेपाल में बहुत ही उत्साह से मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है। इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। वर्तमान शताब्दी में यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है, लेकिन इस वर्ष 2021 में यह मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी 2021 को श्रवण नक्षत्र में मनाया जाएगा।
संक्रांति पर शुभ मुहूर्त सुबह 8ः30 बजे से शाम 4ःः46 बजे तक है। तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाते हैं जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं। मकर संक्रान्ति पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायणी भी कहते हैं, यह भ्रान्ति है कि उत्तरायण भी इसी दिन होता है। किन्तु मकर संक्रान्ति उत्तरायण से भिन्न है। हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य का उत्तरायण होना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन गंगा नदी या पवित्र जल में स्नान करने का विधान है। साथ ही इस दिन गरीबों को गर्म कपड़े, अन्न का दान करना शुभ माना गया है। संक्रांति के दिन तिल से निर्मित सामग्री ग्रहण करने शुभ होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार असुरों पर भगवान विष्णु की विजय के तौर पर भी मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।
● यह है संक्रांति की पौराणिक कथा : मकर संक्रांति के दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर फेंका था। भगवान की जीत को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। मकर संक्रांति से ही ऋतु में परिवर्तन होने लगता है। शरद ऋतु का प्रभाव कम होने लगता है और इसके बाद बसंत मौसम का आगमन आरंभ हो जाता है। इसके फलस्वरूप दिन लंबे और रात छोटी होने लगती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव के घर जाते हैं। ऐसे में पिता और पुत्र के बीच प्रेम बढ़ता है। ऐसे में भगवान सूर्य और शनि की अराधना शुभ फल देने वाला होता है।
● इस समय से शुरू होंगे मांगलिक कार्य :14 जनवरी 2021को दोपहर 2 बजकर 5 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के उत्तरायण होने के बाद खरमास (ज्ञींतउें) का भी समापन होगा और मांगलिक कार्य आरंभ हो जाएगा। शास्त्रों के अनुसार उत्तरायण की अवधि को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात के तौर पर माना जाता है। इस दिन तिल का दान करने का अत्यधिक महत्व है। सूर्य के उत्तरायण होने से मनुष्य की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।
● मकर संक्रान्ति के विविध रूप : संक्रांति का यह पर्व भारतवर्ष तथा नेपाल के सभी प्रान्तों में अलग-अलग नाम व भांति-भांति के रीति-रिवाजों द्वारा भक्ति एवं उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया जाता है।
● भारत में इसके विभिन्न नाम : मकर संक्रान्ति : छत्तीसगढ़, गोआ, ओड़ीसा, हरियाणा, बिहार, झारखण्ड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल, गुजरात और जम्मू
● तमिलनाडु : ताइ पोंगल, उझवर तिरुनल
● गुजरात, उत्तराखण्ड : उत्तरायण
● हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब : माघी
● असम : भोगाली बिह
● कश्मीर घाटी : शिशुर सेंक्रात
● उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार : खिचड़ी
● पश्चिम बंगाल : पौष संक्रान्ति
● कर्नाटक : मकर संक्रमण
● पंजाब : लोहड़ी
● पालीवाल वाणी ब्यूरों-Prabha Joshi-Sunita Paliwal...✍️
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