धर्मशास्त्र
दशहरा 2020 : रावण की सोने की लंका एक श्राप के कारण जलकर हुई थी खाक : क्यों मनाया जाता है दशहरा का पर्व...!
Sunil Paliwal-Anil Bagora● देश भर में रविवार को दशहरा का पर्व : रावण दहन के दौरान कई बातों का रखा जाएगा ध्यान
असत्य पर सत्य की, बुराई पर अच्छाई की और अधर्म पर धर्म की जीत का पर्व दशहरा पूरे देश में रविवार को मनाया जाएगा। कोरोना वायरस के चलते रावण दहन का कार्यक्रम हर बार की तरह इस बार धूमधान से नहीं मनाया जाएगा, फिर भी लोग छोटे-छोटे प्रतीकात्मक पुतले दहन करने की तैयारी जरूर कर रहे हैं। रावण दहन की परंपरा बरसों से चली आ रही है और लोगों को इसका प्रसंग भी मालूम है, लेकिन रावण की सोने की लंका किसके श्राप से जलकर राख हुई थी, यह बात कम ही लोगों को पता है।लंका के जलने का प्रसंग जब भी आता है तो हनुमान जी का अशोक वाटिका जाना, माता सीता से मिलना और फिर राक्षसों द्वारा पकड़े जाने के बाद पूरी लंका को आग लगा देने का जिक्र होता है। क्या लंका के जलने का असली कारण यही था या फिर कोई और वजह थी।
● क्यों मनाया जाता है दशहरा का पर्व...!
नवरात्रि के दसवें दिन मनाते हैं, दशहरा पर्व हमारे देश में काफी धूम-धाम से मनाया जाता है। इसे विजय दशमी भी कहा जाता है। शारदीय नवरात्रि के समय 9 दिन मां दुर्गा की पूजा-उपासना करने के बाद दसवें दिन रावण का पुतला बनाकर उसका दहन किया जाता है। इसका संबंध त्रेतायुग से है। त्रेतायुग में श्रीहरि ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के रूप में अवतार लिया था। आइए पूरी कहानी विस्तार से जानते हैं. जब वनवास गए श्रीराम को अपने पिता के दिए हुए एक वचन के कारण 14 वर्ष के वनवास पर जाना पड़ा था। जब राम वन के लिए जाने लगे तो उनके छोटे भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता भी उनके साथ गए। वन में श्रीराम को देखकर लंका के राजा रावण की बहन सूर्पनखा श्रीराम पर मोहित हो गई और उसने श्रीराम के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा।रामजी ने रावण की बहन को समझाई यह बातश्रीराम ने सूर्पनखा को आदरपूर्वक बताया कि वह उनसे विवाह नहीं कर सकते क्योंकि उन्होंने अपनी पत्नी सीता को वचन दिया है कि वह उनके अतिरिक्त किसी और से विवाह नहीं करेंगे। यह कहकर श्रीराम ने सूर्पनखा को लक्ष्मण के पास भेज दिया। लक्ष्मण के पास जाकर सूर्पनखा विवाह करने की हठ करने लगीं तो लक्ष्मण ने उन्हें मना कर दिया। इस पर सूर्पनखा नहीं मानी तो लक्ष्मण ने क्रोधित होकर उसके नाक-कान काट दिए।इस गांव में करवाचौथ का व्रत रखने वाली सुहागिनें हो जाती हैं विधवा, जानें क्या छिपा है राज? सूर्पनखा अपने भाई रावण के पास पहुंचीतब रोती हुई सूर्पनखा अपने भाई रावण के पास पहुंची और उसे राम और लक्ष्मण के बारे में बताया। तब रावण ने छल से माता सीता का हरण कर लिया। फिर राम भक्त हनुमान ने माता सीता की खोज की। बहुत समझाने के बाद भी जब रावण माता सीता को ससम्मान श्रीराम के पास भेजने के लिए तैयार नहीं हुआ तो श्रीराम ने उसका वध कर दिया और माता सीता को लंका से वापस ले आए।ये हैं भारत की सबसे भूतिया जगहें, कहते हैं यहां जाने वाले लौटकर नहीं आतेशारदीय नवरात्र की दशमी को हुआ था रावण वधमर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने जिस दिन रावण का वध किया उस दिन शारदीय नवरात्र की दशमी तिथि थी। इसीलिए इस त्योहार को विजयदशमी भी कहते हैं। रावण के बुरे कर्म पर श्रीराम की अच्छाई की जीत हुई इसलिए इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के त्योहार के रूप में भी मनाते हैं। विजयदशमी पर रावण का पुतला बनाकर उसका दहन किया जाता है। रावण के साथ ही उसके बेटे मेघनाथ और भाई कुंभकरण के पुतले का भी दहन किया जाता है।
● पालीवाल वाणी ब्यूरो-Sunil Paliwal_Anil Bagora...✍️
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