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इंदौर गौरव दिवस पर इस बार खेलों की उपेक्षा क्यों...!

धर्मेश यशलहा
इंदौर गौरव दिवस पर इस बार खेलों की उपेक्षा क्यों...!
इंदौर गौरव दिवस पर इस बार खेलों की उपेक्षा क्यों...!

इंदौर खेल गौरव के लिए इंदौर में खेल साधन और सुविधाओं का बढ़ना जरुरी

अहिल्या बाई की नगरी इंदौर को मप्र के खेलों की राजधानी भी कहा जाता है, यह बात अलग है कि शासन की उपेक्षा की वजह से इंदौर को वैसी खेल साधन और सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं जैसी मिलना चाहिए, हर  साधन भोपाल या ग्वालियर में ही मुहैया कराएं गए हैं, इंदौर में तो व्यक्तिगत प्रयासों से ही अभय प्रशाल, बास्केटबॉल खेल परिसर, इंदौर टेनिस क्लब जैसी बेहतरीन सुविधाएं मिली हैं, इस बार इंदौर गौरव दिवस पर इंदौर नगर निगम और जिला प्रशासन ने खेलों को ही भुला दिया !

दो साल पहले इंदौर में  इंदौर गौरव दिवस उपलक्ष में इंदौर गौरव खेल महोत्सव की शुरुआत हुई थी, जिससे सभी खेल संगठन, खिलाड़ी और खेल प्रेमी बहुत खुश हुए कि खेलों की सुध तो ली, पहले साल 2022 में विधायक रमेश मैंदोला ने विधायक निधि से सभी खेल संगठनों और क्लबों को आर्थिक सहायता दी एवं 30 से अधिक खेलों के आयोजन हुए, पिछले साल 2023 में भी यह सिलसिला चलता रहा,

खेल ही ऐसी गतिविधि है जो चुनाव हो या युद्ध हो हमेशा होती हैं, सालभर नियमित चलती हैं, इस बार इंदौर नगर निगम या जिला प्रशासन ने तीसरे इंदौर गौरव खेल महोत्सव को क्या लोकसभा चुनाव के भेंट कर दिया ? जबकि खेलों के साथ ऐसा होना नहीं चाहिए, खेलों की गतिविधियां तो आचार संहिता के दायरे में आती भी नहीं हैं, और सभी खेल गतिविधियां  चलती रहती है एवं चल ही रही हैं, फिर इस साल इंदौर गौरव दिवस पर अन्य आयोजन हुए तो, खेल आयोजन क्यों नहीं !!

वैसे ही जिला प्रशासन याने निर्वाचन अधिकारी की मेहरबानी नहीं होने से हर बार की तरह इस बार भी पूरा ग्रीष्मकालीन समय नेहरु स्टेडियम के अधिग्रहण की वजह से खेलों के लिए बेकार चला गया, 

सिर्फ इंदौर में ही चुनाव मतदान प्रक्रिया स्टेडियम में ही हर बार क्यों ? जबकि अब तो इंदौर जिला कलेक्ट्रेट के सामने निर्वाचन आयोग का भवन बन गया है, उसको ही ऐसा क्यों नहीं बनाया जाए कि खेलों के लिए बने स्टेडियम का उपयोग खेल गतिविधियों के लिए ही हो, चुनाव तो लोकसभा, विधानसभा और नगर निगम के होते हैं, हर बार खेल गतिविधियां कम से कम

2-3 माह के लिए बंद हो जाती है !! पहले ही हमारे यहां क्रिकेट के अलावा सभी खेलों की शासन, प्रशासन, मीडिया, संस्थान सभी उपेक्षा ही करते हैं, 

चुनाव प्रक्रिया इंदौर के नेहरु स्टेडियम में नहीं हो इस संबंध में इंदौर संभागायुक्त दीपक सिंह कहते हैं कि यह तो जिला निर्वाचन अधिकारी ही कर सकता हैं, हर बार चुनाव के समय अन्य उपयुक्त स्थान की तलाश भी होती है, लेकिन नेहरु स्टेडियम से बेहतर और सुरक्षित जगह इंदौर में मिलती ही नहीं हैं, खेल गतिविधियां प्रभावित नहीं हो इसके लिए कोशिश होना चाहिए, चुनाव आयोग और तब का जिला निर्वाचन अधिकारी ही कर सकता है,

इंदौर गौरव दिवस पर इंदौर को खेल गौरव बनाए रखने के लिए हर क्षेत्र में इनडोर स्टेडियम और खेल छात्रावास सहित खेल परिसर की बेहद जरुरत हैं, एक बड़ा इनडोर स्टेडियम भी चाहिए जिसमें 8-10 बैडमिंटन कोर्टस दर्शक दीर्घा सहित हो, हर क्षेत्र में तरण ताल भी जरुरी हैं, खेल मैदानों को भी विकसित करना चाहिए, इंदौर नगर निगम महापौर पुण्यमित्र भार्गव ने पिछले साल इंदौर नगर निगम की ओर से  इंदौर खेल महोत्सव की घोषणा की थी, उन्होंने ही अनेकों अवसरों पर बताया था कि इसके लिए दो करोड़ ₹ इंदौर नगर निगम में मंजूर हुए हैं, ये सितम्बर या अक्टूबर में होंगे, लेकिन वे क्यों नहीं हुए ? वह बजट कहां गया? इंदौर नगर निगम और जिला प्रशासन जागरुक होगा तो इंदौर में खेलों का विकास हो सकेगा और इंदौर खेलों में गौरव बन सकेगा, अधिकांश जन प्रतिनिधि तो खेलों की उपेक्षा ही क्या नहीं करते हैं? इंदौर का खेल एवं युवा कल्याण विभाग भी सुस्त  ही है,

तो इंदौर में आबादी के अनुपात में खेलों की साधन और सुविधाएं बहुत ही कम है, एक अकेला नेहरु स्टेडियम है ,उसको भी पुननिर्माण की योजना में व्यावसायिक भी किए जाने की योजना बन रही हैं, जबकि सिर्फ खेलों को ही प्राथमिकता देकर संबंधित  खेल जानकारों की सलाह मशविरे से काम होगा तो इंदौर खेलों में गौरव बढ़ा सकेगा, अहिल्याबाई होलकर के त्रि शताब्दी जयंती वर्ष में इंदौर में सालभर खेलों के विकास के लिए काम होना चाहिए 

धर्मेश यशलहा : सरताज अकादमी "स्मैश "

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