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कांकरोली : तेरापंथ धर्म संघ का 263 वा स्थापना दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया

Paliwalwani
कांकरोली : तेरापंथ धर्म संघ का 263 वा स्थापना दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया
कांकरोली : तेरापंथ धर्म संघ का 263 वा स्थापना दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया

कांकरोली : प्रज्ञा विहार तेरापंथ भवन युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण की सुशिष्या साध्वी मंजूयशा  के पावन सान्निध्य में तेरापंथ धर्म संघ का 263 वा स्थापना दिवस बडे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ साध्वीश्री ने नमस्कार महामंत्र एवं श्रीपार्श्वनाथ भगवान की मंगल प्रस्तुति से किया।

तेरापंथ युवक परिषद के मंत्री दिव्यांश कच्छारा दीपक चोरड़िया आदि युवा साथियों ने अपनी मधुर स्वर लहरी में गीत प्रस्तुत किया। साध्वी मंजुयशा ने अपने आराध्य आचार्य भिक्षु के प्रति श्रद्धा सुमन समर्पित करते हुए अपने उद्बोधन में कहा तेरापंथ के आद्य प्रवर्तक आचार्य भिक्षु इस धरा पर एक सूर्य बनकर आए। उन्होंने दीक्षित होने के बाद शास्त्रों का गहन अध्ययन किया। वे महान व्यक्ति थे। महान वह होता है जो नये दर्शन के साथ नये युग में प्रवेश करता है।

धर्म के क्षेत्र में क्रान्ति की लहर ले आता है। आचार्य भिक्षु को आषाढ शुक्ल पूर्णिमा वि.स. 1817 में अंधेरी ओरी केलवा में एक नया आलोक मिला। उनकी जिनवाणी के प्रति अटूट आस्था, आचार विचार की उच्चता, आत्मकल्याण का उनका परम लक्ष्य था। इसके लिए अनेक प्रतिकूल स्थितियों अनेक विरोधों का सहन कर बड़े मनोबल आत्मबल एवं दृढ संकल्प बल के साथ उन्होंने अपने चरण आगे बढाए। आषाढ शुक्ला पूर्णिमा का पावन दिन तेरापंथ का उद्धभव दिन बन गया।

आचार्य भिक्षु और तेरापंथ अलग नहीं है। तेरापंथ का नामकरण जोधपुर में हुआ जिसको आचार्य भिक्षु ने उसको संख्या में नहीं बल्कि पट्ट से उतरकर वीतराग प्रभु को वंदना की मुदा में बोले प्रभो ! आपका पंथ है हम तो उस पथ पर चलने वाले पथीक है। है प्रभो ! यह तेरापंथ ! तब से ही एक सुव्यवस्थित मर्यादित अनुशासित संगठन बन गया। तेरापंथ ' में अहंकार और ममकार का विसर्जन का सूत्र है, विनय और समर्पण का समन्वय है। एक आचार्य की आज्ञा अनुशासना, मर्यादा में रहना। शिष्य शिष्याएं नहीं बनाना, दलबंदी नहीं करना आदि बिन्दु इसके मजबूत पाये है।

सचमुच इन पाये पर चलकर संघ का हर साधु साध्वी अपनी आत्म साधना करता है | साध्वी  श्रीजी ने आगे कहा- ऐसे शुभ समय में तेरापंथ  का उदभव हुआ। धीरे धीरे विकास के स्रोत खुलते गए। एक दो तेजस्वी आचार्य द्वारा आध्यात्मिक सिंचन मिलता रहा. वर्तमान में आचार्य  महाश्रमणजी  इस धर्मसंघ की कुशल अनुशासना करते हुए इस संघ को शिखरों सी  ऊँचाइयाँ प्रदान कर रहे। उनके कुशल नेतृत्व में संघ का हर सदस्य निश्चिन्तता से अपनी साधना करते हुए हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। साध्वी श्रीजी ने एक सुमधुर गीत भी प्रस्तुत कर परिषद को भाव विभोर कर दिया।

उक्त जानकारी पप्पू लाल कीर (राजसमंद) ने पालीवाल वाणी को दी.

इस अवसर पर साध्वी चिन्मय प्रभा, साध्वी चारूप्रभा, साध्वी इन्दुप्रभा  ने गीत, भाषण, कविता के माध्यम से अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति दी। पुनिता सोनी, खुशी तलेसरा, डिम्पल सोनी लीला तलेसरा, नीता श्री श्रीमाल, योगिता चौरड़िया आदि बहनों ने तेरापंथ धर्म संघ के आज्ञा, श्रद्धा, समर्पण, मर्यादा, साहस आदि विषय पर बहुत ही रोचक प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संयोजन साध्वी चिन्मयप्रभा ने किया। मंगलपाठ से कार्यक्रम सानन्द सम्पन्न हुआ।

इस दौरान सभा के अध्यक्ष प्रकाश सोनी, विनोद बडाला, महिला मंडल अध्यक्ष इंदिरा पगारिया, मंत्री मनीषा कछारा, युवक परिषद अध्यक्ष निखिल कछारा, मंत्री दिव्यास कछारा आदि उपस्थित थे। उक्त जानकारी पप्पू लाल कीर (राजसमंद) ने पालीवाल वाणी को दी.

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