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मणिपुर में एकबार फिर भड़की हिंसा : कई मुद्दों को लेकर अशांत-इंटरनेट बंद

Paliwalwani
मणिपुर में एकबार फिर भड़की हिंसा : कई मुद्दों को लेकर अशांत-इंटरनेट बंद
मणिपुर में एकबार फिर भड़की हिंसा : कई मुद्दों को लेकर अशांत-इंटरनेट बंद

मणिपुर :

मणिपुर (Manipur) में एकबार फिर हिंसा भड़की है. अबकी बार हिंसा राजधानी इंफाल (capital is Imphal) में हुई है. स्थिति को काबू करने के लिए आर्मी और पैरामिलिट्री फोर्स (Army and Paramilitary Forces) को मौके पर भेजा गया. बताया गया है कि न्यू चेकॉन इलाके में एक लोकल मार्केट (local market) में जगह को लेकर विवाद हुआ. ये विवाद मैतई और कुकी समुदाय के बीच मारपीट को लेकर हुआ. मामला धीरे-धीरे बढ़ गया, जिसके बाद आगजनी की खबरें सामने आईं. फिलहाल इलाके में कर्फ्यू लगाया गया है.

जानकारी के अनुसार, भड़की हिंसा में एक चर्च में आग लगा दी गई. सेना मौके पर पहुंच गई है और स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है. वहीं, इंफाल में रविवार को कुछ घरों को जला दिया गया. यहां स्थानीय लोगों के प्रदर्शन करने पर रोक लगाई गई है. आगजनी की बढ़ती घटनाओं और फेक न्यूज को देखते हुए मणिपुर सरकार ने तत्काल प्रभाव से इंटरनेट और मोबाइल सर्विस को सस्पेंड कर दिया है. आदेश अगले पांच दिनों यानी 26 मई 2023 तक के लिए जारी किया गया है.

इंटरनेट सर्विस को सस्पेंड करने का निर्णय इसलिए भी लिया गया है ताकि इलाके में घरों और परिसरों को टारगेट न किया जा सके. अधिकारियों को डर है कि असामाजिक तत्व हेट स्पीच फैलाने, सार्वजनिक भावनाओं को भड़काने और हिंसा को जारी रखने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर सकते हैं.

पिछले एक महीने से अधिक समय से मणिपुर कई मुद्दों को लेकर अशांत है. वहीं शांति के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. इस महीने की शुरुआत में पहाड़ी राज्य में तब झड़पें हुई थीं, जब आदिवासियों ने अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में 3 मई को एकजुटता मार्च निकाला था. एक सप्ताह से अधिक समय से चली आ रही हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी.

हिंसा में करोड़ों की संपत्ति खाक हो गई और हजारों लोग अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर हो गए. सरकार की ओर से कैंप लगाए गए, जहां लोगों ने रातें गुजारी. इसके अलावा आरक्षित वन भूमि से कूकी ग्रामीणों को बेदखल करने की खबरें सामने आईं, जिसके बाद तनाव बढ़ा और झड़पें शुरू हो गईं. इसके चलते कई छोटे-छोटे आंदोलन भी हुए.

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