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Under world DON : प्रेमिका के चलते बना अंडरवर्ल्ड डॉन वही बनी मौत का कारण, जानिए पूरी कहानी
Paliwalwani
70 के दशक में दुनिया के सामने आया मुंबई का माफिया राज बड़े-बड़े डॉन दे गया। इसी में एक राजन नायर उर्फ बड़ा राजन नाम का माफिया था। यही वह डॉन था जो छोटा राजन का गुरु कहा जाता था।
सबसे पहला अपराध:
मुंबई में कभी दर्जी का काम करने वाले राजन नायर ने अपराध की शुरुआत अपनी प्रेमिका के लिए की थी। राजन नायर जो काम करता था उसमें कमाई बहुत ही कम थी। प्रेमिका की जरूरतों को पूरा करने के लिए उसने महंगे टाइपराइटर की चोरी शुरू की। लेकिन एक दिन वह पकड़ा गया और चोरी के जुर्म में तीन साल के लिए जेल भेज दिया गया। जेल से निकलकर आया तो उसने छोटे अपराधों को अंजाम देने वाले अपराधियों की एक गैंग बना ली और उसका नाम ‘गोल्डन गैंग’ रखा।
इन धंधों में शामिल था बड़ा राजन:
साल 1970 के बाद इस गोल्डन गैंग का नाम राजन गैंग हो गया। ने अपना सारा धंधा मुंबई के चेंबूर से शुरू कर दिया। पैसे लेकर कब्ज़ा दिलाना, जबरन वसूली, तस्करी, फिल्म टिकट ब्लैक करना मुख्य धंधा हो गया था। बड़ा राजन अपने गुर्गों की मदद से इन सारे कामों को अंजाम देता था। साल 1979 में बड़ा राजन को एक लड़का मिला, नाम राजेंद्र सदाशिव निखलजे था। राजेंद्र, विक्रोली इलाके में टिकट ब्लैक करने का काम करता था।
जब साथ आया छोटा राजन:
साल 1979 में आपातकाल हटने के बाद पुलिस गैरकानूनी धंधा करने वालों पर नकेल कस रही थी। एक दिन विक्रोली के एक सिनेमाहाल के बाहर पुलिस टिकट ब्लैक करने वालों को पकड़ने पहुंची। पुलिस और बदमाशों में झड़प हुई तो पुलिस ने लाठियां भांजनी शुरू कर दी। इसी बीच एक 5 फुट 3 इंच का लड़का सामने आया और पुलिस की लाठी छीनकर उन्हें ही मारने लगा। पूरी भीड़ तितर-बितर हो गई और बड़ा राजन ने लड़के को अपनी गैंग में के कहने पर शामिल कर लिया।
बड़ा राजन का सबसे करीबी:
बड़ा राजन ने गैंग की कमान राजेंद्र के हाथ में दे दी और उसे ‘‘ नाम दिया। इसके बाद इन दोनों ने मिलकर पूरी मुंबई में अपने धंधे को जमकर आगे बढ़ाया। नशीले पदार्थों के साथ सोने की तस्करी में इन्होंने खूब पैसा बनाया। वहीं बड़ा राजन दाउद के इशारे पर बिल्डरों से फिरौती वसूलने, जमीन में पैसे के साथ हिस्सा लेने और प्रॉपर्टी विवाद जैसे कामों को पूरा करता था। इसके अलावा छोटा राजन भी बड़ा राजन के साथ इन कामों में लगा रहता।
इस डॉन की संभाली विरासत:
1980 में जब डॉन वरदराजन मुंबई से चेन्नई चला गया तो बड़ा राजन ने ही उस धंधे को आगे जारी रहा। एक समय ऐसा आ गया था, जब इन दोनों माफियाओं ने करीम लाला और को तस्करी के धंधे में पीछे छोड़ दिया था। इसके बाद 1980 के अंत में बड़ा राजन ने अब्दुल कुंजू नाम के अपराधी को अपनी गैंग में जगह दी। लेकिन कुछ ही समय बाद अब्दुल कुंजू ने बड़ा राजन की प्रेमिका से शादी कर ली। बड़ा राजन का खून खौल गया और दोनों एक दूसरे के दुश्मन हो गए। लेकिन एक साल बाद ही पठान भाइयों की मदद से अब्दुल कुंजू ने बड़ा राजन की हत्या कर दी।
छोटा राजन यानी खौफ का दूसरा नाम:
साल 1982 में बड़ा राजन की हत्या के बाद सारा दारोमदार छोटा राजन के पास आ गया। वहीं छोटा राजन ने बड़ा राजन के हत्यारों को जान से मारने की ठानी। अब्दुल कुंजू को छोटा राजन का इतना डर बैठा कि उसने एक साल बाद 9 अक्टूबर 1983 में पुलिस में सरेंडर कर दिया। छोटा राजन व उसके गुर्गों ने अब्दुल कुंजू की कई बार हत्या के प्रयास किए, लेकिन वह हर बार बचता रहा। एक बार तो छोटा राजन ने भरे अस्पताल में कुंजू पर फायर खोल दिया था, जिससे प्रभावित होकर दाउद ने उसे अपनी गैंग में शामिल कर लिया था।
साल 1984 तक छोटा राजन, दाउद का भी खास बन गया था। इसी दौरान छोटा राजन को पता चला कि अब्दुल कुंजू किसी खेल के मैदान में देखा गया है। फिर क्या था, छोटा राजन ने वहां पहुंच कर भरे मैदान में अब्दुल कुंजू को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था। अब्दुल की मौत के बाद उसके उस्ताद की हत्या का बदला पूरा हो चुका था ।