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यहां की लड़की पिता और भाई से कर सकती है शादी, मां को भी होती है बेटे के साथ संबंध बनाने की आजादी, अजूबे से कम नहीं है ये जनजाति
Pushplata
दुनिया में कई पकार की जातियां पाई जाती है। जिनका जीवन जीने का तरिका खान-पान और बाकी चीजें आम आदमी से अलग होती है। जो हर किसी को हैरान कर देती है। ऐसी ही एक जनजाति इंडोनेशिया के गोरोन्तालो के माउंटेन में गहरे और घने जंगलों में रहती है, जो आज भी लून के लिए रहस्य बनी हुई है। इस जनजाति में भाई-बहन, मां-बेटों और पिता-बेटियों के साथ संबंध बनाता है। हम जिस जनजाति की बात कर रहे हैं उसका नाम ‘पोलाही’ है।
बाहरी दुनिया से कोसों दूर होते है पोलाही जनजाति के लोग
इंडोनेशिया में जिन जनजातियों को आदिम यानी प्राचीन माना जाता है पोलाही जनजाति उनसे भी काफी पीछे है। कह सकते हैं कि मौजूदा बाहरी दुनिया से कोसों दूर। इंडोनिशिया के गोरोन्तालो प्रांत की राजधानी और एक सिटी है गोरोन्तालो। पोलाही जनजाति यही के अंदरुनी जंगलों में निवास करती है। इनमें भाई-बहन, मां-बेटोंऔर पिता-बेटियों के साथ भी फिजिकल रिलेशन बनते हैं। यानी ये लोग इनब्रीडिंग ट्रेडिशन को निभाते आ रहे हैं। मतलब ये लोग रक्त-संबंधियों से भी शादी करने को स्वतंत्र होते हैं। इनके बीच यह मैरिज सिस्टम डच औपनिवेशिक काल से चला आ रहा है।
पत्तों पर भरोसा करते हैं पोलाही
पोलाही जनजाति ने लाइफस्टाइल में बदलाव (घुमंतू) को एक जंगल से दूसरे जंगल में बदल दिया है। यानी वे सिर्फ एक जंगल से निकलकर दूसरे जंगल में शिफ्ट ही हुए हैं। वे अभी भी कपड़ों से फैमिलियर नही हैं। उन्हें नहीं पता कि कपड़े कैसे पहनते हैं? उनका कोई धर्म भी नहीं हैं। पोलाही अपना पूरा जीवन-हर दिन, हर समय जंगल में बिताते हैं। केवल एक छोटी घास-फूस की एक टेम्परेरी झोपड़ी में समय गुजारते हैं। जिसमें दीवारों और दरवाजों जैसा कुछ नहीं होता। पोलाही दीवारों के बिना पत्तों पर भरोसा करते हैं।
जंगली जानवरों का करते हैं शिकार
अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पोलाही जनजाति आमतौर पर जंगली सूअर, हिरण और सांप का शिकार करते हैं। इसके अलावा वे प्रतिदिन भोजन पत्तियों, कंदों और जड़ वाली फसलों का भी सेवन करते हैं। अगर उन्हे कुछ पकाना होता है, तो बांस की डंडियों को कंटेनर की तरह इस्तेमाल करते हैं। इनका भोजन बिना किसी मसालों के 100% ऑरिनल होता है। यानी भोजन में हल्दी, धनिया, मिर्च, जीरा, लौंग, इलायची, काली मिर्च, नमक आदि का इस्तेमाल नहीं करते। वजह, ये लोग मसालों से परिचित नहीं हैं। इनके खाने पकाने की तौर-तरीका भी बेहद सरल है। ये चिमनी यानी जहां आग जलाई है, उसके ऊपर बांस की छड़ों पर सारी चीजें, जिन्हें पकाना हैं, रख देते हैं। जब आग से जलकर बांस टूट जाता है, तब ये मानकर चलते है कि भोजन पक गया।
पोलाही के बारे में एक अन्य बात और दिलचस्प है कि इनकी ड्रेस कैसे तैयार होती है? जैसा कि हम जानते हैं कि इंडोनेशिया के सबसे पूर्वी प्रांत पापुआ में कुछ जनजातियां कोटेका को नग्नता कवर करने के लिए उपयोग करती हैं। तो पोलाही जनजाति अपने लंगोट के रूप में लकड़ी की बड़े पत्तों को रस्सी से बांधकर उपयोग करती हैं। महिलाएं भी इसी तरह के लंगोट पहनती हैं। पोलाही महिलाएं ब्रेस्टप्लेट यानी ब्रा से फैमिलियर नहीं हैं। इसलिए ये महिलाएं अर्धनग्न हैं। आपको बता दें कि कोटेका को होराम या लिंक गार्ड कहते हैं। इसे लिंग म्यान भी कहते हैं, जिसे पुरुष अपने लिंग को ढंकने के लिए पहनते हैं।
अर्ध नग्न रहती है महिलाएं
रुचि की एक और अनूठी बात यह है कि पोलाही कैसे तैयार की जाती है। यदि हम जानते हैं कि पापुआ में कुछ जनजातियाँ कोटका को नग्नता के रूप में उपयोग करती हैं, तो पोलाही जनजाति अपने लंगोटी का उपयोग लकड़ी के बिस्कुट के बंधी रस्सी के पत्तों से करना पसंद करती है। महिलाओं द्वारा लंगोटी का भी उपयोग किया जाता है। महिलाएं अपने दैनिक पोलाही स्पेयर कनस्तर उर्फ में अर्ध नग्न हैं।
जनजातियों में पोलाही का मैरिज सिस्टम सबसे यूनिक है। यह इंडोनेशिया में एकमात्र जनजाति हो सकती है, जो इनब्रीडिंग का पालन करती हैं। मतलब अगर किसी परिवार में बच्चे-महिला और पुरुष हैं, तो वे आपस में शादी कर सकते हैं, जबकि ये रिश्ते में भाई-बहन होते हैं। यहां तक कि मां भी अपने बेटे से शादी कर सकती थी और पिता अपनी बेटी से शादी कर सकता था।
आधुनिक सभ्यता के संपर्क में नहीं आया पोलाही समुदाय
एक स्टडी के अनुसार करीबी रिश्तेदारों से सेक्सुअल रिलेशन बनाने वालों से जन्मे बच्चे में जन्म दोष विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। अक्सर मनोवैज्ञानिक स्थितियों से पीड़ित होते हैं। जैसे कि सामाजिकता में कठिनाई, आत्मसम्मान मे कमी, मानसिक विकार, अवसाद, किसी हादसे को लेकर तनाव विकार और सीमा रेखा व्यक्तित्व यानी मानसिक बीमारी जो किसी व्यक्ति की भावनाओं को नियंत्रित करने की क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित करती है। लेकिन इस जनजाति में ऐसा कुछ भी नजर नहीं आया है। अगर इंडोनेशिया के गोरोंटालो प्रांत के जंगलों में रहने वाले पोलाही के लोगों के जीवन को देखें, तो शायद हम यह निष्कर्ष निकालेंगे कि यह सबसे अलग-थलग समुदाय है। यह कभी भी आधुनिक सभ्यता के संपर्क में नहीं आया है।
कहते हैं कि पहाड़ी जंगलों में निवास करने वाले पोलाही डचों द्वारा उपनिवेश नहीं बनना चाहते थे। जब गोरोंटालो में इयाटो राजा बने, तो उन्होंने उपनिवेशवाद के खिलाफ विद्रोह किया। हालांकि उन्हें जंगलों में भागकर अपनी जान बचानी पड़ी। चूंकि इनका अतीत बेहद कठिन दौर से गुजरा है, लिहाजा उन आघातों के कारण ये असामाजिक रवैया रखते हैं। यही कारण है कि उठान पोलाही से संबंधित रिसर्च लिट्रेचर अभी भी दुर्लभ है।