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भारत के इस नदी के पानी को छूने से डरते हैं लोग, शापित मानी जाती है यह नदी, जानिए क्या है इसके पीछे की वजह

Paliwalwani
भारत के इस नदी के पानी को छूने से डरते हैं लोग, शापित मानी जाती है यह नदी, जानिए क्या है इसके पीछे की वजह
भारत के इस नदी के पानी को छूने से डरते हैं लोग, शापित मानी जाती है यह नदी, जानिए क्या है इसके पीछे की वजह

नदी का भारत में बहुत ही ज्यादा महत्व है लेकिन आपने कभी सुना है कि कोई ऐसी नदी भी है जिसके पानी को छूने से लोग डरते हैं। आपको बता दें कि भारत में एक ऐसी नदी है जहां के पानी को छूने से लोग डरते हैं और इसमें लोग बिल्कुल भी नहीं नहाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस नदी में नहाने से सारे अच्छे कर्म नष्ट हो जाते हैं और लोग अपवित्र हो जाते हैं।

आपको लग रहा होगा कि यह एक कहानी है लेकिन यह कहानी नहीं है बल्कि यह एक सच है। आप अगर ट्रेन से दिल्ली से पटना जाते हैं तो बक्सर के पास एक ऐसी नदी आपको नजर आएगी। उत्तर प्रदेश से बिहार में प्रवेश करते समय इस नदी को हर ट्रेन पार करती है इस नदी का नाम कर्मनाशा नदी है।

अपने नाम के अनुसार यह नदी बहुत ही ज्यादा बदनाम है और कहा जाता है कि कर्म और नाश दो शब्दों से मिलकर इस नदी को इसलिए बनाया गया है क्योंकि इस नदी में नहाने से सारे अच्छे कर्म नष्ट हो जाते हैं।

बता दे कि राजा हरिश्चंद्र के पिता सत्यव्रत से जुड़ी यह कहानी है। कहा जाता है कि सत्यव्रत महर्षि वशिष्ठ और महर्षि विश्वामित्र के बीच के प्रतिद्वंदिता के शिकार हो गए। दरअसल सत्यव्रत ने अपने शरीर के साथ स्वर्ग जाना चाहते थे लेकिन गुरु महर्षि वशिष्ठ से जब अपनी इच्छा को उन्होंने बताया तो महर्षि ने ऐसा वरदान देने से मना कर दिया। जब उन्होंने यह इच्छा महर्षि वशिष्ठ से जताया तो महर्षि वशिष्ठ ने ऐसा आशीर्वाद देने की सोची।

जब महर्षि विश्वामित्र को पता चला कि वशिष्ठ ने ऐसा देने से इनकार कर दिया है तो उन्होंने तुरंत अपने बल से शरीर सत्यव्रत को स्वर्ग पहुंचा दिया। इससे इंद्रदेव नाराज हो गए और सत्यव्रत को उल्टा सिर करके धरती पर भेज दिया लेकिन महर्षि विश्वामित्र ने तब केवल से सत्यव्रत को धरती और स्वर्ग के बीच में रोक दिया।

सत्यव्रत को महर्षि विश्वामित्र ने पहले ही चांडाल बन जाने का श्राप दे दिया था अब सत्यव्रत से नीचे की तरफ लटक रहे थे और उनके मुंह से लगातार लार गिर रहा था जो धरती पर नदी का रूप धारण कर लिया। इस नदी को कर्मनाशा नदी कहा गया और कहा जाता है कि इसके पानी का उपयोग बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। बक्सर के पास करमनासा नदी गंगा में जाकर मिल जाती है।

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