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भारत जोड़ो यात्रा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी बोले : ‘ये देश तपस्वियों का है… पुजारियों का नहीं’
Paliwalwaniकुरुक्षेत्र :
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को कहा कि उनके नेतृत्व में भारत जोड़ो यात्रा को देश में हर जगह जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है. उनका यह पैदल मार्च नफरत और समाज में फैलाये जा रहे भय के खिलाफ है. बेरोजगारी और महंगाई के खिलाफ. कुरुक्षेत्र के पास समाना में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा राहुल गांधी ने कहा, “भारत जोड़ो यात्रा को हर जगह जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है. यात्रा का उद्देश्य लोगों को देश की सच्ची आवाज सुनने देना भी है.”
इस दौरान उन्होंने एक सवाल के जवाब में तपस्या और पूजा को लेकर बीजेपी-आरएसएस पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी एक तपस्या का संगठन है. इसको आप तपस्या में लगाते हैं तो एनर्जी आती है. बीजेपी पूजा का संगठन है. उसको अगर आप पूजा में लगाएंगे तो उसमें ताकत आती है. पूजा दो तरह की होती है. एक समान होती है कि मैं भगवान की पूजा कर रहा हूं और कुछ मांगता हूं. आरएसएस की पूजा अलग है. वो चाहता है कि जोर जबरदस्ती से उनकी उनकी पूजा हो.
उन्होंने कहा कि मोदी जी चाहते हैं कि जोर जबरदस्ती उनकी पूजा हो और देश में सब लोग उनकी पूजा करें. उसका जवाब तपस्या ही हो सकती है. इस यात्रा में कांग्रेस ही नहीं, लाखों लोग तपस्या कर रहे हैं. ये ही यात्रा का संदेश है. बीजेपी कहती है कि जो हमारी पूजा करेगा उसकी इज्जत होगी. उन्होंने आगे कहा कि हिंदुस्तान का ऐसा किसान, मजदूर नहीं मिलेगा जो मुझसे कम चला है. मैं तपस्या की इज्जत करता हूं. ये देश तपस्या का, पुजारियों का नहीं है.
उन्होंने कहा कि गीता में कहा गया है – ‘कर्म करो, फल की चिंता न करो’. जब अर्जुन मछली की आंख पर निशाना लगा रहे थे, तो उन्होंने ये नहीं कहा कि निशाना लगाने के बाद वो क्या करेंगे. रोजगार पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि रोजगार कहां से आएगा? जब हम दूसरी हरित क्रांति लेकर आएंगे, कृषि को बढ़ावा देंगे, फूड प्रोसेसिंग फैक्ट्रियों के जाल बिछाएंगे. इससे करोड़ों लोगों को रोजगार मिल सकता है. शिव जी, गुरुनानक देव जी और भगवान बुद्ध का हाथ ‘अभय मुद्रा’ में है. ‘अभय मुद्रा’ का अर्थ है- डरो मत. ‘अभय मुद्रा’ तपस्या का प्रतीक है. यही कांग्रेस के निशान ‘हाथ’ के पीछे का मतलब है.
‘ये यात्रा तपस्या की तरह है’
एक सवाल के जवाब में गांधी ने कहा कि भारत की आवाज जिसे दबाया जा रहा है, जो डर फैलाया जा रहा है और भारत को जिस तरह बांटा जा रहा है, एक जाति को दूसरी जाति के खिलाफ खड़ा किया जा रहा है, एक धर्म को दूसरे धर्म के खिलाफ खड़ा किया जा रहा है, यह यात्रा इसके खिलाफ है. इस यात्रा का एक और उद्देश्य है, जो हम देख रहे हैं कि यह यात्रा एक “तपस्या” की तरह है. हम अपने देश से प्यार करते हैं, हम अपने लोगों, किसानों, गरीबों से प्यार करते हैं और हम उनके साथ चलना चाहते हैं. इसलिए, यात्रा का उद्देश्य यह भी है कि इस देश के लोगों को देश की सच्ची आवाज सुनने को मिले. देश में आर्थिक असमानता है और धन, मीडिया और अन्य संस्थानों को कुछ लोगों द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है. यह यात्रा बेरोजगारी, महंगाई के खिलाफ है.”