मध्य प्रदेश

MP में अचानक बिजली संकट : कोयले की कमी से 9 यूनिट बंद, बांधों में पानी नहीं होने से उत्पादन घटा

Paliwalwani
MP में अचानक बिजली संकट : कोयले की कमी से 9 यूनिट बंद, बांधों में पानी नहीं होने से उत्पादन घटा
MP में अचानक बिजली संकट : कोयले की कमी से 9 यूनिट बंद, बांधों में पानी नहीं होने से उत्पादन घटा

मध्यप्रदेश में एक सप्ताह से अघोषित बिजली कटौती हो रही है। इसका सबसे ज्यादा असर फसलों पर पड़ रहा है, क्योंकि अधिकतर जिलों के ग्रामीण इलाकों में 2 से 10 घंटे तक बिजली बंद की जा रही है। विपक्ष इसे मुद्दा बनाकर सरकार के खिलाफ हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने की तैयारी में है। 2003-04 में मध्यप्रदेश में BJP को सत्ता मिलने की बड़ी वजह बिजली ही थी।

 

बिजली संकट को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को ऊर्जा विभाग से 2 दिन में रिपोर्ट तलब की है। प्रदेश की बिजली डिमांड 10 हजार मेगावाट है, जबकि बिजली प्लांट, हाइडल और सेंट्रल सेक्टर से 8920 मेगावाट बिजली की उपलब्धता है। प्रदेश बिजली के मामले में सरप्लस स्टेट माना जाता था। बिजली के मामले में सरकार आत्म निर्भर होने का दावा करती आ रही है, लेकिन अचानक बिजली संकट क्यों खड़ा हो गया? 

बिजली प्लांटों में कोयले की कमी

राज्य सरकार के 4 बड़े बिजली उत्पादन प्लांटों में कोयले की कमी है। प्रदेश में सबसे ज्यादा बिजली का उत्पादन 2520 मेगावाट श्री सिंगाजी खंडवा में होता है। यहां महज 4 दिन का कोयला स्टॉक में है। मात्र 600 मेगावाट बिजली पैदा हो रही है। ऐसी ही स्थिति अन्य तीन प्लांटों सतपुड़ा ताप विद्युत सारनी, संजय गांधी पावर प्लांट बिरसिंहपुर और अमरकंटक ताप गृह चचाई की है। इन चार प्लांटों में 16 यूनिट हैं, लेकिन कोयले की कमी के कारण 9 यूनिट बंद करना पड़ी हैं। वर्तमान में जनरेटिंग कंपनी पर तीनों कोल कंपनियों का 1500 करोड़ से अधिक का बकाया है। जनरेटिंग कंपनी को विद्युत वितरण कंपनियां और पावर मैनेजमेंट कंपनियों से 2,500 करोड़ रुपए लेने हैं। विद्युत वितरण कंपनियों को सरकार से सब्सिडी के 8000 करोड़ रुपए लेने हैं। सरकार के स्तर पर भुगतान न होने से ये संकट बना हुआ है। सरकार की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है, ऐसे में वह बिजली कंपनियों को सब्सिडी नहीं दे पा रही है।

संकट में निजी कंपनियों ने खड़े किए हाथ

मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि मध्य प्रदेश सरकार का निजी कंपनियों से 21 हजार मेगावाट बिजली देने का अनुबंध है। इसके तहत बिजली की डिमांड हो या न हो, सरकार कंपनियों को फिक्स चार्ज का भुगतान करती है, लेकिन इन कंपनियों ने संकट के समय बिजली सप्लाई करने से हाथ खड़े कर दिए। ऐसे में सरकार को 31 अगस्त को 1163 मेगावाट यानी 1 करोड़ 5 लाख यूनिट अतिरिक्त बिजली खरीदना पड़ी। बता दें, इस दिन कृष्ण जन्माष्टमी के कारण उस दिन बिजली की मांग 11 हजार मेगावाट से ज्यादा थी।

4200 करोड़ हर साल का फिक्स चार्ज पर खर्च

जिन कंपनियों से सरकार ने बिजली खरीदी के पावर परचेस एग्रीमेंट (PPA) किए हैं। उनसे बिजली नहीं खरीदने पर भी हर साल फिक्स चार्ज के रूप में 4200 करोड़ रुपए का भुगतान करना पड़ता है। एग्रीमेंट के मुताबिक, यदि सरकार ने PPA वाली निजी कंपनियों से बिजली नहीं खरीदी तो उन्हें डेढ़ रुपए प्रति यूनिट की दर से फिक्स चार्ज का भुगतान करना पड़ता है। 2019-20 में नियामक आयोग में दाखिल की गई टैरिफ पिटीशन में निजी कंपनियों को 14 हजार करोड़ रुपए का भुगतान करने का जिक्र था।

महाकौशल में बारिश कम होने से नहीं भरे बांध

महाकौशल में बारिश कम होने से नर्मदा का जल स्तर घट गया है। इससे बरगी, गांधी सागर और ओंकारेश्वर बांध पूरे नहीं भर पाए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को कहा था कि मंडला से लेकर बरमान तक बारिश नहीं होने के कारण जल विद्युत संयंत्र (हाइडल प्लांट) बंद हो गए हैं। जिसके कारण बिजली की कमी हुई। पिछले एक सप्ताह से MP पावर जनरेटिंग कंपनी करीब 3500 मेगावाट ही उत्पादन कर पा रही है। सेंट्रल के कोटे से 5500 से 6000 मेगावाट बिजली ले रहे हैं, जबकि प्रदेश में पिछले दिनों बिजली की डिमांड 10,333 तक हो गई है। 1,500 मेगावाट के अंतर को दूर करने के लिए ग्रामीणों के हक की बिजली काटी जा रही है। 

514 मेगावाट बिजली ओवर ड्रा

मध्य प्रदेश में बिजली के इंतजाम करने में पूरा तंत्र मिस मैनेजमेंट का शिकार हुआ है। समय रहते व्यवस्था नहीं करने से 31 अगस्त जनमाष्टमी के दिन 514 मेगावाट बिजली ओवर ड्रा करनी पड़ी। ओवर ड्रॉ की स्थिति वह होती है, जब कोई राज्य तय सीमा से अधिक बिजली केंद्र (सेंट्रल सेक्टर) ग्रिड से ड्रा करता है। इसके बदले 8 रुपए प्रति यूनिट भुगतान सेंट्रल सेक्टर को करना होता है। यह स्थिति तब है, जब प्रदेश सरकार ने 21 हजार मेगावाट बिजली खरीदने का पावर परचेस एग्रीमेंट भी (PPA) कर रखा है। 27 अगस्त को सेंट्रल कोटे से करीब 1700 मेगावाट ज्यादा बिजली लेने पर MP पावर जनरेटिंग कंपनी पर नेशलन लोड डिस्पेच सेंटर (NLDC) ने पांच करोड़ का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना ग्रिड अनुशासन तोड़ने पर लगाया गया है। ग्रिड अनुशासन के मुताबिक न तो कोई राज्य शेड्यूल के अनुसार बिजली ओवर ड्रा कर सकते हैं और न ही अंडर ड्रा करा सकते हैं। ऐसा करने पर ग्रिड फेल होने का खतरा रहता है।

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