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केंद्र सरकार ने सात नए इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोजेक्ट्स को दी मंजूरी, हजारों लोगों को मिलेगा रोजगार
paliwalwani
नई दिल्ली. भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम (ECMS) के तहत सात नए प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को इसकी जानकारी दी।
मंत्री ने बताया कि सरकार को इस योजना के तहत कुल 249 प्रस्ताव मिले थे, जिनमें से प्रारंभिक चरण में 7 प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई है। इन प्रोजेक्ट्स में प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (PCB) यानी मदरबोर्ड बेस, कैमरा मॉड्यूल, कॉपर लैमिनेट और पॉलीप्रोपाइलीन फिल्म्स (जो कैपेसिटर और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स में उपयोग होती हैं) के निर्माण से जुड़े प्रस्ताव शामिल हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी सचिव एस कृष्णन ने बताया कि इन सात प्रोजेक्ट्स में कुल ₹5,532 करोड़ का निवेश किया जाएगा। इससे लगभग 5,195 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलने की संभावना है। उन्होंने कहा कि सरकार ने अब तक ₹1.15 लाख करोड़ मूल्य के निवेश प्रस्ताव प्राप्त किए हैं, जो देश में बढ़ती इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण क्षमताओं का संकेत है।
सरकार की यह पहल ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानों को और बल देगी। इस योजना के तहत देश में इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट्स का घरेलू उत्पादन बढ़ाने, आयात पर निर्भरता घटाने, और भारत को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग सेंटर के रूप में स्थापित करने पर जोर दिया जा रहा है। अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भारत तेजी से इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन हब बनता जा रहा है। मोबाइल फोन से लेकर सेमीकंडक्टर और अब कंपोनेंट्स मैन्युफैक्चरिंग तक, भारत का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभाई जाए।
इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम (ECMS) के पहले चरण की आवेदन प्रक्रिया 30 सितंबर को समाप्त हो चुकी है, जबकि कैपिटल इक्विपमेंट्स के लिए आवेदन की विंडो अभी खुली हुई है। सरकार का कहना है कि इस स्कीम के दूसरे चरण में और कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स को मंजूरी मिलने की संभावना है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक्स सप्लाई चेन में देश की भागीदारी और भी मजबूत होगी।
बीते दस वर्षों में भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन करीब चार गुना बढ़ चुका है। यह 2014 के ₹2.4 लाख करोड़ से बढ़कर 2024 में ₹9.8 लाख करोड़ तक पहुंच गया है। मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग अकेले ₹4.4 लाख करोड़ के स्तर तक पहुंच चुकी है, जिसमें ₹1.5 लाख करोड़ का निर्यात शामिल है। सरकार का कहना है कि आने वाले वर्षों में भारत न सिर्फ मोबाइल, बल्कि चिप्स, कंपोनेंट्स और हाई-टेक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उत्पादन में भी दुनिया का एक प्रमुख केंद्र बनेगा।





