इंदौर
शराबबंदी के निर्णय पर कांग्रेस ने सरकार पर साधा निशाना : 'यह सिर्फ जुमला...'
paliwalwaniइंदौर.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा प्रदेश के 17 धार्मिक शहरों में शराबबंदी का निर्णय लिया गया है, जिसे लेकर राजनीति भी शुरू हो चुकी है. जहां कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह द्वारा धार्मिक क्षेत्रों में स्मैक बेचने, जुआ सट्टा चलने जैसा आरोप लगाते हुए पहले उसे बंद करवाने का बयान दे चुके है.
वहीं अब मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व महासचिव राकेश सिंह यादव ने मोहन यादव सरकार की शराबबंदी को सच छुपाने वाला अर्धसत्य और जुमला बताया हैं. राकेश सिंह यादव ने अपना बयान जारी करते हुए कहा है कि धार्मिक क्षेत्रों में प्रदेश सरकार ने शराब की दुकानों को बंद करने का निर्णय करके इसे शराबबंदी का निर्णय बताया है, लेकिन पूर्ण सत्य यह हैं कि यह सिर्फ शराब की दुकानों को बंद करने का अव्यवहारिक निर्णय करके सरकारी खजाने में 500 करोड़ से ज़्यादा के राजस्व का नुकसान किया हैं.
उन्होंने कहा कि यह भी स्पष्ट नहीं हैं की राजस्व नुकसान की भरपाई कहां से होगी. सबसे बड़ा सवाल यह हैं की जब धार्मिक क्षेत्रों में शराब पीने और शराब रखने पर पाबंदी नहीं हैं तब शराब बेचने की दुकानों पर पाबंदी लगाकर शराबबंदी का दावा करना बेमतलब है.
एक जुमला बनकर रह जाएगी शराबबंदी
आगे उन्होंने कहा कि धार्मिक क्षेत्रों में इस तरह के गैर व्यवहारिक निर्णयों से अवैध शराब का व्यापार जमकर चलेगा. जहरीली अवैध शराब से मौतों का जिम्मेदार कौन रहेगा. यह भी प्रदेश सरकार को शराबबंदी के जुमले के साथ स्पष्ट करना चाहिए. इससे करोड़ों का राजस्व नुकसान सरकार को होने के साथ शराबबंदी एक जुमला बनकर रह जाएगी.
शराबबंदी की नौटंकी कर रही सरकार
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व महासचिव राकेश सिंह यादव ने कहा, "गुजरात की बीजेपी सरकार ने राज्य के एक क्षेत्र में शराब पीने की छूट दे दी है. यह क्षेत्र है गांधीनगर का गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी इसे गिफ्ट सिटी के नाम से भी जाना जाता है.
गुजरात में धीरे धीरे-धीरे शराबबंदी को समाप्त करने वाली बीजेपी की सरकार मध्य प्रदेश में शराबबंदी की नौटंकी कर रहीं हैं. गुजरात में पूर्ण शराबबंदी की वजह से केंद्र सरकार प्रतिवर्ष 1200 करोड़ रुपये टैक्स भरपाई के लिए देता हैं. उन्होंने आगे कहा इसी तरह क्या मध्य प्रदेश को शराबबंदी के जुमले से होने वाले 500 करोड़ के राजस्व हानि को केंद्र सरकार सहायता के रूप में 500 करोड़ देकर पूर्ति करेंगी. इस प्रश्न का जवाब प्रदेश की सरकार को देना चाहिए.