Tuesday, 12 August 2025

इंदौर

एक शाम रिश्तों के नाम : रिश्ते निभाना हनुमानजी से सीखें – पं. विजय शंकर मेहता

sunil paliwal-Anil paliwal
एक शाम रिश्तों के नाम : रिश्ते निभाना हनुमानजी से सीखें – पं. विजय शंकर मेहता
एक शाम रिश्तों के नाम : रिश्ते निभाना हनुमानजी से सीखें – पं. विजय शंकर मेहता

इंदौर : व्यवहारिक जीवन में रिश्ते कैसे निभाए जाते हैं, यह हनुमानजी के चरित्र से सीखना चाहिए। हनुमानजी ने अपने राजा सुग्रीम की दोस्ती प्रभु श्रीराम से कराई, श्रीराम ने मित्र बनकर सुग्रीव की मदद की, सुग्रीव श्रीराम के काम करना भूल गया, लेकिन हनुमानजी ने सुग्रीव को याद दिलाया। सुग्रीव जैसे पात्र में जो दुर्बलताएं थी, वे सब हमारे भीतर भी हैं। इसीलिए हम अपने ही लोगों से कभी तो बहुत अच्छे रिश्ते रखते हैं और कभी उन्हें भी भूल जाते हैं। रामजी और हनुमानजी अपनी लीलाओं से हमें  बताते हैं कि हम मनुष्य हैं तो हमें पूरी गरिमा के साथ रिश्ते निभाना चाहिए।

ये प्रेरक विचार हैं प्रख्यात जीवन प्रबंधन गुरू पं. विजय शंकर मेहता के, जो उन्होंने आज शाम रवीन्द्र नाट्य गृह में महात्योहार समिति के तत्वावधान में एक शाम रिश्तों के नाम’ श्रृंखला में ‘जीवन में दस रिश्तों का महत्व’ बताते हुए व्यक्त किए। पं. मेहता ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। प्रारंभ में आयोजन समिति की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवनारायण भूतड़ा, संयोजक रोहित सोमानी एवं समन्वयक ओमप्रकाश पसारी के साथ पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता, रामविलास राठी, रवि सेठी, राजीव मुछाल, डॉ. आलोक गुप्ता, सत्यनारायण गदिया, राधेश्याम सोमानी, कैलाशचंद्र खंडेलवाल आदि ने पं. मेहता का सम्मान किया। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में तिरंगा अभियान के तहत समाजसेवी कैलाशचंद्र खंडेलवाल, के संयोजन में पं. मेहता ने तिरंगा अभियान का भी शुभारंभ किया। कार्यक्रम में उपस्थित सभी श्रोताओं को खंडेलवाल ने राष्ट्र ध्वज और तिरंगे दुपट्टे भेंट किए।

पं. मेहता ने रक्षा बंधन की पूर्व संध्या पर महापाठ समिति एवं जीवन प्रबंधन समूह के इस आयोजन में उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि यदि हमारे जीवन में हनुमानजी हैं, मंत्र के रूप में हनुमान चालीसा है तो हमें भय और भ्रम से डरने की जरूरत नहीं। पं. मेहता ने रावण का उदाहरण देते हुए कहा कि अपनी योग्यता का दुरुपयोग करने वालों का यही हश्र होता है अन्यथा रावण जैसे व्यक्ति को भी पराजय का मुंह नहीं देखना पड़ता। बाली को मारने के लिए जब प्रभु राम जा रहे थे तो उन्होंने सुग्रीम को साथ लिया। वे चाहते तो बाली को अकेले ही मार सकते थे, लेकिन उन्होंने सुग्रीम को आगे किया और कहा कि बीच में खड़ा हो जा। भगवान ठीक हमारे साथ भी यही करते हैं। भगवान कहते हैं – संघर्ष, परिश्रम तुम करो अपनी योग्यता का सदुपयोग करो, मैं तुम्हारे पीछे खड़ा हूं। इसीलिए भरोसे का दूसरा नाम भगवान है। हम जीवन में किसी भी क्षेत्र में हों, परमात्मा पर भरोसा रखें। उसकी शक्ति हमारी योग्यता को और निखारती है।

कार्यक्रम संयोजक ओमप्रकाश पसारी एवं रोहित सोमानी ने बताया कि कोविड 19 के बाद यह कार्यक्रम पुनः बड़े स्तर पर आयोजित किया गया। हालांकि कोविड के समय भी यह कार्यक्रम रूका नहीं और विभिन्न टीवी चैनल्स के माध्यम से अपने भक्तों तक पहुंचता रहा। आज हुए इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण संस्कार टीवी चैनल पर भी किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शहर के श्रद्धालु एवं गणमान्य नागरिक मौजूद थे।

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