इंदौर
ख़ुलासा फर्स्ट : भोपाल में भाजपा कोर कमेटी की बैठक में बोले बड़े नेता- वक्त है संभल जाए : शीर्ष नेतृत्व को दिया चौकाने वाला ज़मीनी फीडबैक
नितिनमोहन शर्मा![ख़ुलासा फर्स्ट : भोपाल में भाजपा कोर कमेटी की बैठक में बोले बड़े नेता- वक्त है संभल जाए : शीर्ष नेतृत्व को दिया चौकाने वाला ज़मीनी फीडबैक ख़ुलासा फर्स्ट : भोपाल में भाजपा कोर कमेटी की बैठक में बोले बड़े नेता- वक्त है संभल जाए : शीर्ष नेतृत्व को दिया चौकाने वाला ज़मीनी फीडबैक](https://cdn.megaportal.in/uploads/0423/1_1681934529-khulasa-first-in-the.jpg)
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सत्ता-संगठन से नाराज " देव दुर्लभ "
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भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को दिया चौकाने वाला ज़मीनी फीडबैक
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जमीन पर काम करने वालो को न सरकार से कुछ मिला, न संगठन में दी तवज्जो
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केंद्रीय संगठन के सामने खुली शिवराज सरकार की कार्यकर्ताओ को तरसाने की पोल
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ख़ुलासा फर्स्ट शुरू से कर रहा था आगाह, चुनावी साल तक क्यो रोककर बैठी सरकार कार्यकर्ताओं के हिस्से के पद
नितिनमोहन शर्मा...✍️
इस बार...200 पार। ये नारा देने वाली भाजपा के लिए जमीन पर इसके ठीक उलट माहौल हैं। " देव दुर्लभ" कहे जाने वाला पार्टी का कार्यकर्ता बुरी तरह से निराश, हताश और नाराज हैं। न उसे सरकार से कुछ मिला। न संगठन ने उसे तवज्जो दी। लगातार मैदान में उसे झोंका जा रहा हैं लेकिन जब जब उसे पारितोषिक देने की बारी आई, सरकार आड़े आ गई।
चुनावी साल आने तक कार्यकर्ताओ को उनके हिस्से के लाभ के पद न दिए गए, न उनकी कही कोई सुनवाई हो रही हैं। संगठन भी सुनवाई नही कर रहा और वो सरकार के साथ गलबहियां कर रहा हैं। प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान बीते दो कार्यकाल की तरह भी इस बार भी लगातार कार्यकर्ताओं को तरसा रहे हैं। जो पद दिए गए है या दिए जा रहे हैं, वो भी "अंधा बाँटे रेवड़ी-अपने अपने को दे" की तर्ज पर दिए जा रहे हैं। अफसरशाही इस कदर हावी है कि सामान्य कार्यकर्ता तो क्या चुने हए जनप्रतिनिधियों तक की सुनवाई नही हो रही हैं।
शिवराज चोहान की कार्यशैली और उनकी सरकार की पोल खुल गई
इन सब बातों के साथ पार्टी के केंद्रीय संगठन के सामने मंगलवार को शिवराज चोहान की कार्यशैली और उनकी सरकार की पोल खुल गई। प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा की कार्यप्रणाली भी कार्यकर्ताओ को अब रास नही आ रही। ये पोल पार्टी के बड़े नेताओं ने ही बेबाकी से खोली और ये हिदायत दी कि अभी भी वक्त है, संभल जाए अन्यथा "दिल्ली दूर है"। प्रदेश के मुखिया की कार्यशैली को ये आईना कल भोपाल में दिखाया गया।
आईना दिखाने वाले पार्टी के वो बड़े नेता थे जिन्हें केंद्रीय संगठन के इशारे के बाद क्षेत्रीय संगठन ने मैदान में उतारा था। इन नेताओं के जिम्मे प्रदेश के अलग अलग जिले किये गए थे और ताक़ीद दी गई थी कि वे सम्बंधित जिले में जाकर उन नेताओं और कार्यकर्ताओं से मिले जो बरसो बरस से पार्टी का काम कर रहे हैं। इसमे ज्यादातर वो लोग थे जिन्हें "सत्ता वाली भाजपा" ने सुनियोजित रूप से हाशिये पर डाल दिया हैं।
सरकार को आइना दिखाने वाला ये फीडबैक
सरकार को आइना दिखाने वाला ये फीडबैक भी कोई हल्के पतले नेताओ ने नही किया। इसमे केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गनसिंह कुलस्ते, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, गोपाल भार्गव, पूर्व प्रदेश संगठन मंत्री माखनसिंह चोहान, कृष्णमुरारी मोघे, डॉ सत्यनारायण जटिया, जयभान सिंह पवैया आदि दिग्गज नेताओं ने दिया। इन नेताओं के जिम्मे सम्बंधित जिले के पूर्व विधायक, जिलाध्यक्ष, नगरीय निकायों के पूर्व अध्यक्ष, जिले के प्रभावशाली नेता और जमीन पर पसीना बहा रहे कार्यकर्ताओं से बात कर जमीनी हालात की जानकारी लेने का काम था।
बाहर से आये नेताओ और मूल भाजपाइयों में अब तक तालमेल नही बैठा
भोपाल में कल कोर कमेटी की बैठक के पहले इन नेताओं ने केंद्रीय सह संगठन मंत्री शिवप्रकाश और प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव को ये फीडबैक दिया और स्पष्ट किया कि सरकार और संगठन के प्रति जमीन पर गहरी नाराजगी है जो समय रहते नही संभाली गई तो चुनावी साल में बहुत भारी पड़ सकती है। बैठक में बताया गया कि पार्टी में बाहर से आये नेताओ और मूल भाजपाइयों में अब तक तालमेल नही बैठा हैं। बल्कि पार्टी का जमीनी कार्यकर्ता स्वयं को ठगा हुआ महसूस भी कर रहा। ग्वालियर-चम्बल बेल्ट का उदाहरण सामने रखा गया कि यहां पार्टी दो हिस्से में विभाजित हो गई हैं। मालवा निमाड़ के मामले में बताया गया कि इस बेल्ट से सत्ता खोने के बाद भी "सरकार" सुधरी नही है और मनमाने फेसले ले रही है और थोप भी रही हैं।
पार्टी के बड़े नेताओं से मिले फीडबैक से सकते में आए केंद्रीय संगठन ने इसे गम्भीरता से लिया और लगे हाथ इस एक्सरसाइज को मुफ़ीद मानते हुए इसका अगला चरण भी तय कर दिया। नया चरण मण्डल स्तर तक के फीडबैक का रखा गया हैं। अब ये ही बड़े नेता मंडल स्तर तक जाकर कार्यकर्ताओं का मिजाज व नाराजगी जानेंगे। इससे स्थिति और स्पष्ट हो जाएगी।
गौरतलब है कि ख़ुलासा फर्स्ट शुरू से ये आगाह कर रहा है कि कार्यकर्त्ताओं और पार्टी के पुराने नेतृत्व को हाशिये पर रखा जा रहा है। इंदौर जैसे जिले और संभाग में तो में तो योजनाबद्ध रूप से स्थानीय नेतृत्व को खत्म करने का निरंतर प्रयास चल रहा है और चुनावी साल तक शिवराज सरकार अपने योग्य नेताओं और क्रयकर्ताओ को राजनीतिक लाभ देने की बजाय टूँगा रही हैं। जो पद दिए गए है वो भी ऐसे नेताओं को जिनका सम्बंधित जिले से कोई नाता नही। इंदौर और इंदौर विकास प्राधिकरण इसका उदाहरण है। आयोग की ताजा नियुक्तियों में भी ये ही परिपाटी अपनाई गई जहा पार्टी के बड़े नेताओं की राय को रत्तीभर तवज्जो नही दी गई और निजी पसन्द पर मुहर लगाई गई।
जामवाल की मेहनत रंग लाई : रंगे हाथों पकड़ाए सरकार-संगठन
आरएसएस समझ गया था कि सरकार और शिवराज कितने पानी मे हैं। नगरीय निकाय के चुनाव इसका पैमाना बने थे। इसके तुरंत बाद आरएसएस ने भाजपा पर अपना शिकंजा कस दिया। भाजपा में पहली बार क्षेत्र स्तर पर निगरानी बढ़ाई गई और क्षेत्रीय स्तर पर संगठन मुखिया का पद गढ़ा गया। अजय जामवाल को इसका मुखिया बनाया गया। जामवाल ने सालभर से भी कम समय मे जी तोड़ मेहनत कर केंद्रीय संगठन के सामने प्रदेश सरकार और संगठन का रिपोर्ट कार्ड रख दिया। जामवाल ने पहले तो स्वयम मैदान पकड़ा और सभी जिलों में जाकर मैदानी हालात को भांपा। फिर बड़े नेताओं को मैदान में उतारा। परिणाम सामने आ गया और शिवराज सरकार और प्रदेश का संगठन रंगे हाथों पकड़ा गए।