इंदौर
मातृशक्ति पालीवाल वाणी प्रतियोगिता में हेमा दवे ने जीता प्रथम पुरस्कार
sangita joshi-sangita paliwalइंदौर : अत्यंत हर्ष के साथ सुचित किया जाता है कि मातृशक्ति पालीवाल वाणी ग्रुप में एक जबरदस्त जोश, उत्साह ओर एक नई उमंग...मातृशक्ति में देखने को मिली...प्रोत्साहित पुरस्कार के लिए चयन समिति को काफी सोचने ओर समझने में समय लग गया...किसे बेस्ट पुरस्कार प्रदान करें...फिर भी एक का बेस्ट चयन करना ओर शेष को प्रोत्साहित राशि का पुरस्कार आज दिनांक 2 अप्रैल 2022 को घोषित किया गया हैं.
जिसमें प्रथम पुरूकार के रूप में 500 रूपये का नगद पुरस्कार हेमा कैलाश जी दवे इंदौर को प्राप्त हुआ. द्वितीय पुरस्कार के रूप में 300 रूपये का नगद पुरस्कार माया नरोत्तम जी पुरोहित गुड़ला-राजस्थान एवं तृतीय पुरस्कार के रूप में 200 रूपये का नगद पुरस्कार शारदा जोशी इंदौर ने जीता तथा सात्वांना पुरस्कार के रूप में पहले एक पुरस्कार 200 रूपये की राशि देना तय हुआ था लेकिन मातृशक्तियों का मिला अपार स्नेह और उत्साह को देखते हुए चयन समिति ने निर्णय लिया है कि एक पुरस्कार नहीं देते हुए चार पुरस्कारों के रूप में प्रत्येक को 200-200 रूपये की नगद राशि गुगल पे के माध्यम से अदा की जाए. जिसमें गंगा जी दवे इंदौर, नर्मदा जी दवे इंदौर, लीला महेन्द्र जी दवे इंदौर एवं दुर्गा नरेश जी व्यास को विजेता के रूप में घोषित किया गया हैं. आप सभी विजेताओं को मातृशक्ति पालीवाल वाणी ग्रुप सदस्यों की ओर से हार्दिक...शुभकामनाएं के साथ उज्जवल भविष्य की मंगल कामना करते हैं. आप सभी मातृशक्ति से आशा है कि जो मातृशक्ति वंचित रह गई है, वो निराश ना हो...उनके लिए बहुत सी योजना प्रतियोगिता के माध्यम से संचालित की जाएगी. जिसमें भाग लेकर अपना उत्साह और स्नेह के साथ आशीर्वाद हमें हमेशा के भांति मिलता रहेगा. मातृशक्ति पालीवाल वाणी ग्रुप में श्रीमती उषा जी व्होरा इंदौर, श्रीमती नलिनी जी पुरोहित उदयपुर एवं श्रीमती लीना मनीष जी जोशी ने पुरूस्कार के रूप में विजेताओं के नाम घोषित करने में हमारे लिए खूब मेहनत की...पालीवाल वाणी परिवार आपका भी तहेदिल से आभार प्रकट करते हैं.
हमारी संस्कृति, परंपरा और मातृभाषा को कायम रखना एक चुनौति
हमारी संस्कृति, परंपरा और मातृभाषा को कायम रखने तथा इसे आगे बढाने हेतु जो प्रयास किया गया, यह उम्मीद से अधिक सफल रहा. क्योंकि हमारी सभी बहनों ने इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और यह भी देखा गया कि जो हमारी बड़ी बहनें है, उन्होंने भी बहुत उत्साह से अपनी प्रस्तुति दी. जो बहुत प्रशंसनीय है. और यह एक कार्यक्रम नही होकर यादगार लम्हें हो गया. जो हम संजोकर अगली पीढी के लिए रख सकते हैं. इसमें हार जीत महत्व नही रखती, परंतु हमारी खुशियाँ परम्परा एक दूसरे को पहुँचाने का माध्यम है, सभी का बहुत बहुत आभार और धन्यवाद