इंदौर

भाजपा-कांग्रेस मे राजपूत उपेक्षा से नाराज : प्रमुख पदों पर आगे लाने से कतराति है, पर्टिया

sunil paliwal-Anil paliwal
भाजपा-कांग्रेस मे राजपूत उपेक्षा से नाराज : प्रमुख पदों पर आगे लाने से कतराति है, पर्टिया
भाजपा-कांग्रेस मे राजपूत उपेक्षा से नाराज : प्रमुख पदों पर आगे लाने से कतराति है, पर्टिया
  • विरोध मे अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के पदाधिकारी भी आए साथ

  • जिले में 5  लाख मतदाता राजपूत , ग्रामीणों को हमेशा दोनों ही पार्टी ने किया दरकिनार

मेहनत हमारी..... लेकिन प्रमुख पदों से रखा दूर....

इंदौर :

2 महीने बाद मध्य प्रदेश में विधानसभा का चुनाव होना है, दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस में पार्टी पदाधिकारी का आवागमन लगातार जारी है. इसी बीच राजपूत समाज ने कांग्रेस और भाजपा को घेरते हुए आगामी विधानसभा चुनाव एवं पार्टी में प्रमुख पदों पर नियुक्ति के लिए अपनी आवाज को बुलंद किया है. दोनों पार्टियों से जिला अध्यक्ष पद पर राजपूत समाज की दावेदारी को लेकर मोर्चा खोल दिया है. यही नहीं वह महू और देपालपुर विधानसभा सीट पर भी स्थानीय राजपूत प्रत्याशी की मांग कर रहे हैं. राजपूत समाज के साथ अब अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के पदाधिकारी भी साथ आ रहे हैं. 

अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के जिला अध्यक्ष दुले सिंह राठौर निपानिया, कार्यकारी अध्यक्ष दिलीप सिंह पवार लसूड़िया, राजेंद्र सिंह बुडानिया, मलखान सिंह तामलपुर, दशरथ सिंह, अनिल सिंह सिसोदिया, कमल सिंह डाबी, पवन सिंह सिसोदिया काली बिल्लोद, पदम सिंह चावड़ा ने बताया कि इंदौर जिले में 5 लाख से ज्यादा मतदाता राजपूत समाज के हैं. इसमें आधे मतदाता ग्रामीण क्षेत्र से अपनी भागीदारी करते हैं, लेकिन दोनों ही प्रमुख भाजपा और कांग्रेस पार्टियों ने हमेशा ही राजपूत समाज की उपेक्षा की है, दोनों ही पार्टियों ने अब तक कोई जिला अध्यक्ष राजपूत समाज का नहीं बनाया है. जिला सरकारी बैंक, भूमि विकास बैंक, दूध संघ, कृषी उपज मंडी जैसे प्रमुख पदों पर भी ग्रामीण राजपूत को दूर ही रखा गया है. जिससे समाज में नाराजगी अब खुलकर सामने आ रही है.

राजपूत समाज ने महू और देपालपुर विधानसभा सीट से स्थानिय राजपूत बहुल को प्रत्याशी बनाने की दोनों ही पार्टियों से मांग की है. साथ ही जिला अध्यक्ष के पद पर भी राजपूत समाज के व्यक्ति की नियुक्ति के लिए दोनों ही पार्टी के प्रमुख पदाधिकारी और केंद्रीय शीर्ष नेतृत्व तक अपनी बात को पहुंचाई है. यही नहीं राजपूत समाज आगामी विधानसभा के बाद कैबिनेट और राज्य स्तर के दर्जी में भी समाज के प्रतिनिधित्व की मांग कर रहा है. पत्रकार वार्ता में राजपूत समाज जनों का कहना था कि ग्रामीण क्षेत्र के भोले भाले लोग दशकों से राजनीतिक लोगों के लिए जिंदाबाद मुरादाबाद करते आए हैं. कार्यकर्ताओं के बीच लगातार रात दिन कड़ी मेहनत तन मन धन के साथ सेवा में तत्पर रहते हैं, लेकिन जब पद की बारी आती है तो शहरी क्षेत्र या अन्य जातियों के लोगों को आगे कर दिया जाता ह. प्रमुख पदों से दोनों ही पार्टी हमेशा से राजपूत समाज की अपेक्षा करती आई है लेकिन ऐसा अब नहीं चलेगा.

यह भी बोले राजपूत

राजपूत समाज ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और संगठन के प्रमुख पदाधिकारी के साथ मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री को इशारा कर दिया है कि इंदौर जिले में 5 लाख से ज्यादा राजपूत मतदाता है. अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप सिंह पवार, विजय सिंह परिहार व जिला अध्यक्ष दूलेसिंह राठौर ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी की स्थापना 1980 से लेकर अब तक जिला अध्यक्ष, जिला सरकारी बैंक ,दूध संघ, भूमि विकास बैंक, कृषि उपज मंडी आदि किसी भी महत्वपूर्ण पद पर समाज को प्रतिनिधित्व करने का अवसर नहीं दिया है. क्षत्रिय महासभा के पदाधिकारी का कहना है कि समाज का बड़ा तबका हमेशा से भाजपा समर्थित रहा है.

राजपूत बहुल समाज हमेशा से ही भाजपा में अपने को कुनठित  देख रहा है. राजेश सोनकर को सोनकच्छ विधानसभा का प्रत्याशी बनाने के बाद नए जिला अध्यक्ष की नियुक्ति होना तय है. अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा ने प्रदेश से लेकर केंद्रीय नेताओं तक राजपूत समाज को प्रतिनिधित्व देने के लिए मोर्चा खोल दिया है लगातार समाज के प्रतिनिधि अलग-अलग स्तर पर संगठन और पार्टी पदाधिकारी में अपनी बात पहुंचा रहे हैं.

 जातीगत ग्रामीण मतदाताओं की संख्या

  • राजपूत   2,50,000
  • पाटीदार     30हजार
  • जाट          15 हजार
  • ब्राह्मण     11 हजार
  • धाकड़        12 हजार
  • महेश्वरी।       2 हजार
  • खटीक समाज 1 हजार

साल दर साल उपेक्षा-अब आक्रोश

इंदौर जैसे प्रदेश के सबसे बड़े शहर और जिले में राजपूत समाज जनों का कहना है कि उनकी उपेक्षा कांग्रेस भाजपा में शुरू से कर रही है. भाजपा का प्रदेश में शासन के दो दशक होने को आ रहे हैं. लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद सामान्य होने के बावजूद पिछड़े वर्ग के प्रत्याशी का चुनाव भाजपा के द्वारा किया गया. इसी प्रकार के हालात कृषि उपज मंडी में भी पार्टी की ओर से सामान्य पद होने के बावजूद उपेक्षा की गई. जिला सरकारी बैंक और दूध संघ में भी आज तक किसी राजपूत समाज के व्यक्ति को प्रतिनिधित्व भाजपा की सरकार ने नहीं दिया.

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