इंदौर
पार्षद कमलेश कालरा पर लगे फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आरोप खारिज
sunil paliwal-Anil Bagora
साँच को आंच नहीं... कोर्ट से मिली सच्चाई की जीत : न्याय की जीत... विरोधियों की हार...
इंदौर. वार्ड 65 के लोकप्रिय पार्षद कमलेश कालरा ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि सच्चाई को चाहे जितनी भी साजिशों में घेरने की कोशिश करो, अंत में जीत सच्चाई की ही होती है.
पहले ही चुनाव जीत कर जनता का विश्वास हासिल कर चुके कमलेश कालरा पर कुछ विरोधियों ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र को लेकर आरोप लगाए और मामला कोर्ट तक पहुंचाया.
कोर्ट ने जाति प्रमाणपत्र पर सुनाया ये फैसला
इस मामले में जांच कमेटी ने तय समय के अनुसार कोर्ट के समक्ष प्रमाण प्रस्तुत किए. कलेक्टर और छानबीन समिति द्वारा विभिन्न दस्तावेज भाजपा पार्षद कमलेश कालरा की जाति को लेकर प्रस्तुत किए गए, जिसमें पाया गया कि वे जिस जाति से आते हैं, उन्होंने उसी जाति का प्रमाण पत्र बनवाया था और चुनाव के दौरान लगाया था, जिसके बाद उनपर लगाए गए आरोप और याचिकाकर्ता की याचिका को खारिज कर दिया गया है.
समाज में खुशी की लहर : कोर्ट के इस फैसले के बाद सिंधी समाज में खुशी की लहर है। सभी ने इसे न्याय और सच्चाई की जीत बताया है।
सिंधी समाज के लोगों का कहना है कि यह फैसला उन लोगों के लिए करारा जवाब है, जो अपने ही समाज के सच्चे सेवक के खिलाफ साजिश रचते हैं,
कमलेश कालरा ने कहा : हमेशा सच्चाई और ईमानदारी से जनता की सेवा करता रहूंगा. समाज का विश्वास मेरी सबसे बड़ी ताकत है.
बात दे : मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने इंदौर के वार्ड 65 से भाजपा के पार्षद कमलेश कालरा के साथ प्रमुख सचिव व अन्य अधिकारियों के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है. हाई कोर्ट ने पार्षद के फर्जी जाति प्रमाण पत्र लगाकर चुनाव में भाग लेने की शिकायत पर जांच के निर्देश दिए थे.
निगम चुनाव में वार्ड 65 से कांग्रेस प्रत्याशी रहे सुनील यादव की याचिका पर कोर्ट ने छानबीन समिति को बीते साल फरवरी में जांच का आदेश दिया था. इसमें छह माह में जांच पूरी करने के निर्देश भी थे. सालभर बाद भी जांच पूरी कर रिपोर्ट नहीं देने पर याचिकाकर्ता ने कोर्ट की शरण ली.