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इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को दो टूक
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इस्राइली.
इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रविवार को कहा कि गाजा में अंतरराष्ट्रीय बल में कौन-कौन देशों की सेना शामिल होगी, इसका फैसला केवल इस्राइल करेगा। यह योजना अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शांति योजना का हिस्सा है। इसका मकसद जंग को स्थायी तौर से खत्म करना है। हालांकि, नेतन्याहू ने साफ कर दिया है कि किसी भी विदेशी सैनिक की तैनाती तभी होगी जब इस्राइल उसे मंजूरी देगा। अमेरिका को इस पर फैसला लेने का हक नहीं है।
नेतन्याहू ने अपने मंत्रिमंडल के एक सत्र में कहा, हम अपनी सुरक्षा खुद तय करते हैं। कौन-से अंतरराष्ट्रीय बल हमारे लिए अस्वीकार्य हैं, इसका फैसला हम करेंगे, और यही हमारी नीति रहेगी। उन्होंने जोड़ा कि इस नीति को अमेरिका का भी समर्थन है। नेतन्याहू ने यह भी कहा, इस्राइल एक आजाद देश है और अमेरिका इस्राइल की सुरक्षा नीति तय नहीं करता। अमेरिकी प्रशासन मुझे नियंत्रित नहीं करता और न ही हमारी सुरक्षा नीति तय करता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और इस्राइल साझेदार हैं, लेकिन वह अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार ही फैसला लेंगे।
गाजा पर इस्राइल का नियंत्रण
सात अक्तूबर 2023 को हमास के सीमा पार हमले के बाद इस्राइल ने गाजा में हवाई और जमीनी युद्ध शुरू किया। बीते दो साल के इस्राइल ने गाजा पर नाकाबंदी कर रखी है और सभी प्रवेश और निकास मार्गों पर उसका नियंत्रण है। बीते हफ्ते ही नेतन्याहू ने संकेत दिया था कि गाजा में तुर्किये के सुरक्षा बलों की कोई भूमिका नहीं होगी। कभी घनिष्ठ रहे तुर्किये - इस्राइल संबंध गाजा युद्ध के दौरान बेहद खराब हो गए हैं। तुर्किये के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन ने गाजा पर इस्राइल की भारी बमबारी और जमीनी हमलों की तीखी आलोचना की है।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने शुक्रवार को इस्राइल की यात्रा के दौरान कहा कि अंतरराष्ट्रीय बल में केवल वे देश शामिल होंगे जिनके साथ इस्राइल सहज महसूस करता है। हालांकि, वह तुर्किये भागीदारी पर कुछ कहने से बचते रहे, लेकिन उन्होंने कहा कि हमास को गाजा की भविष्य सरकार में कोई भूमिका नहीं मिल सकती। रुबियो ने बताया कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव या अंतरराष्ट्रीय समझौते के जरिए इस बहुराष्ट्रीय बल को मंजूरी दिलाने पर काम कर रहा है और इस मुद्दे पर कतर में चर्चा करेगा।
ट्रंप प्रशासन चाहता है कि अरब देश न केवल सैनिक भेजें बल्कि आर्थिक सहयोग भी करें। हालांकि, अभी यह साफ नहीं है कि अरब या अन्य देश गाजा में सैनिक भेजने के लिए तैयार होंगे या नहीं। ट्रंप प्रशासन पहले ही कह चुका है कि अमेरिकी सैनिक नहीं भेजे जाएंगे। इसके बजाय मिस्र, इंडोनेशिया और खाड़ी देशों के सैनिक शामिल किए जा सकते हैं, लेकिन बड़ी चुनौती यह है कि हमास ने अपने हथियार नहीं छोड़े हैं। ट्रंप की 20 सूत्रीय शांति योजना का पहले चरण के तहत दो हफ्ते पहले हुए युद्धविराम के बाद भी हमास ने अपने विरोधी गुटों पर हिंसक कार्रवाई शुरू कर दी है।





