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Good News : ओडिशा के तीन जिलों में सोने का भंडार, जम्मू कश्मीर में लिथियम मिलने के बाद बड़ी खुशखबरी

Paliwalwani
Good News : ओडिशा के तीन जिलों में सोने का भंडार, जम्मू कश्मीर में लिथियम मिलने के बाद बड़ी खुशखबरी
Good News : ओडिशा के तीन जिलों में सोने का भंडार, जम्मू कश्मीर में लिथियम मिलने के बाद बड़ी खुशखबरी

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और ओडिशा के भूविज्ञान निदेशालय के सर्वे में देवगढ़, क्योंझर और मयूरभंज जिले में सोने के भंडार होने के संकेत सामने आए हैं। इससे पहले केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में लिथियम का खजाना मिलने की खबर सामने आई थी। ओडिशा के इस्पात और खनन मंत्री प्रफुल्ल मल्लिक ने सोमवार को विधानसभा में जानकारी दी कि राज्य के तीन जिलों के कई जगहों पर सोने की खदानें मिली हैं।

दोबारा सर्वे में सामने आए सोने के भंडार के संकेत

खनन मंत्री प्रफुल्ल कुमार मलिक ने बताया कि GSI के नेतृत्व में बीते दो सालों में इन तीनों जिलों की कई जगहों पर दोबारा सर्वे किया गया था। सर्वे में ओडिशा के देवगढ़, क्योंझर और मयूरभंज के कई इलाकों में सोने के भंडार मिलने के संकेत सामने आए हैं। इन जगहों में क्योंझर जिले का दिमिरिमुंडा, कुशकला, गोटीपुर, गोपुर, मयूरभंज जिले का जोशीपुर, सुरियागुडा, रुआंसिला, धुशूरा पहाड़ी और देवगढ़ जिले का अदास शामिल है। ओडिशा के खनन विभाग, भूविज्ञान निदेशालय और GSI ने इन इलाकों में पहला सर्वे 1970 और 80 के दशक में किया था। तब इसके परिणाम सार्वजनिक नहीं किए गए थे।

सोने के भंडार को लेकर विधानसभा में उठा था सवाल

दरअसल, ओडिशा विधानसभा में ढेंकनाल से विधायक सुधीर कुमार सामल ने राज्य में से जुड़ा एक सवाल किया था। खनन मंत्री प्रफुल्ल कुमार मलिक ने इसके लिखित जवाब में राज्य के तीन जिलों में सोने के भंडार मिलने की संभावनाओं के बारे में सदन को जानकारी दी। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि यह सोने का भंडार कितना बड़ा है। इसके अलावा यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इन तीनों जिलों में मिले सोने के भंडारों में कितनी मात्रा में सोना हो सकता है।

जम्मू-कश्मीर में मिला था बेशकीमती लिथियम का भंडार

इससे पहले केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में बेशकीमती लिथियम के 59 लाख टन क्षमता के भंडार की खोज की गई थी। चिली और ऑस्ट्रेलिया के बाद यह दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा भंडार है। अब लिथियम क्षमता के मामले में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर आ गया है। नॉन फेरस मेटल लिथियम का इस्तेमाल मोबाइल-लैपटॉप, इलेक्ट्रिक-व्हीकल समेत कई जरूरी चीजों में काम आने वाली चार्जेबल बैटरी बनाने में किया जाता है। भारत फिलहाल इस रेअर अर्थ एलिमेंट के लिए दूसरे देशों पर निर्भर है। देश में लिथियम की कुल जरूरत का 96 फीसदी आयात किया जाता है और इसके लिए बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है।

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