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विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन को दिया कड़ा संदेश

Paliwalwani
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन को दिया कड़ा संदेश
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन को दिया कड़ा संदेश

साओ पाउलो : एजेंसी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि चीन ने दोनों देशों के बीच हुए सीमा समझौतों की अवहेलना की है। गलवन घाटी में हुए संघर्ष का असर दोनों देशों के संबंधों पर पड़ रहा है क्योंकि ये बेहद कठिन दौर से गुजर रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्थायी संबंध एकतरफा नहीं हो सकते और इनमें परस्पर सम्मान होना चाहिए।

चीन ने नहीं किया सीमा समझौतों का सम्मान 

दक्षिण अमेरिकी देशों के साथ समग्र द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से छह दिवसीय यात्रा के पहले चरण में ब्राजील पहुंचे जयशंकर ने शनिवार को भारतीय समुदाय के साथ बातचीत में यह टिप्पणी की। भारत-चीन संबंधों पर एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और चीन के बीच पिछली सदी के आखिरी दशक से समझौते हैं जिनके तहत सीमा क्षेत्र में सैनिकों को तैनात करने की मनाही है। उन्होंने कहा, 'उन्होंने (चीनियों ने) इनकी अवहेलना की है। कुछ साल पहले गलवन घाटी में क्या हुआ था, आप जानते हैं। उस समस्या का समाधान नहीं हुआ है और यह स्पष्ट रूप से प्रभाव डाल रहा है।'

हर कोई चाहता है पड़ोसी से मित्रता

वर्ष 2009 से 2013 तक चीन में भारत के राजदूत रहे जयशंकर ने कहा कि संबंध एकतरफा नहीं हो सकते और इसे बनाए रखने के लिए परस्पर सम्मान होना चाहिए। उन्होंने कहा, 'वे हमारे पड़ोसी हैं और हर कोई अपने पड़ोसी के साथ मित्रता के साथ रहना चाहता है.. लेकिन हर कोई अपने पड़ोसी के साथ उचित शर्तो पर मित्रता चाहता है। मुझे आपका और आपको मेरा सम्मान करना चाहिए।

हमारा दृष्टिकोण बहुत स्पष्ट है कि यदि आपको बेहतर संबंध बनाने हैं तो एक-दूसरे के प्रति सम्मान होना चाहिए। प्रत्येक के अपने हित होंगे और हमें एक-दूसरे की चिंताओं के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत है। संबंध दोतरफा होते हैं। स्थायी संबंध एकतरफा नहीं हो सकते। हमें आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता की आवश्यकता है।'

सम्मान करने व चिंताओं के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत

पिछले सप्ताह बैंकाक में जयशंकर ने कहा था कि चीन ने सीमा पर जो किया है उसके बाद से भारत और उसके संबंध अत्यंत मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि अगर दोनों पड़ोसी देशों ने हाथ नहीं मिलाया तो एशिया की शताब्दी नहीं आएगी। उनका कहना था, 'हमें काफी उम्मीद है कि चीनी पक्ष में बुद्धिमता का उदय होगा।' विदेश मंत्री दक्षिण अमेरिका की इस यात्रा के दौरान पराग्वे और अर्जें टीना भी जाएंगे। विदेश मंत्री के रूप में दक्षिण अमेरिका की उनकी यह पहली यात्रा है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इस यात्रा का उद्देश्य महामारी के बाद के युग में सहयोग के नए क्षेत्रों की तलाश करना है।

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