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भारत के बारे में दुनिया से पूछिए - संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सदस्यता को लेकर बोले मोदी
Paliwalwaniनई दिल्ली. भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को लेकर कई सालों से आवाज उठा रहा है. भारत का कहना है दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश होने के नाते उसे सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाया जाए. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कई बार इस मुद्दे पर देश की ईच्छा व्यक्त कर चुके हैं. मंगलवार को अमेरिका रवाना होने से पहले उन्होंने एक बार फिर से अपनी बात दोहराई है.
यूएस रवाना होने से पहले वॉल स्ट्रीट जर्नल को दिए एक इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की वर्तमान सदस्यता का मूल्यांकन होना चाहिए. दुनियाभार के देशों से यह पूछा जाना चाहिए कि क्या वे भारत को वहां देखना चाहते हैं? बता दें कि सुरक्षा परिषद में फिलहाल पांच स्थायी सदस्य हैं जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और रूस शामिल हैं. इसके अलावा 10 अस्थायी सदस्य हैं जिसमें फिलहाल भारत भी शामिल हैं.
दूसरी ओर पीएम मोदी के अमेरिका दौरे से ठीक पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष साबा कोरोसी ने कहा है कि सुरक्षा परिषद में भारत जैसे देश की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सदस्य देशों की एक अवधारणा है कि परिषद में बेहतर प्रतिनिधियों की जरूरत है. इसमें वे देश शामिल हैं जिनके पास शांति और लोगों की भलाई करने की बड़ी जिम्मेदारी है और निश्चित तौर पर भारत ऐसा मानता है कि वो विश्व के कल्याण में अपना योगदान दे सकते हैं.
पीएम मोदी की मुलाकात का गहरा प्रभाव पड़ा
उन्होंने आगे कहा, कुछ महीने पहले मेरे पीएम मोदी से मुलाकात हुई थी. मुलाकात के दौरान उनकी दूरदृष्टि और रणनीतिक सोच दिख रही थी. उनकी मुलाकात का मुझपर गहरा प्रभाव पड़ा है. संयुक्त राष्ट्र में उनका बहुत स्वागत है. बहुत कम समय में वो यहां आने वाले दुनिया के बेहद सम्मानित नेताओं में से एक हैं. बता दें कि अमेरिका दौरे पर पीएम मोदी 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय जाएंगे.
जो बाइडेन के साथ होगी द्विपक्षीय बैठक
पीएम मोदी के चार दिवसीय दौरे की शुरुआत 21 जून से होगी. पीएम मोदी चार दिनों तक अमेरिका में रहकर जो बाइडेन के साथ निजी और द्विपक्षी मुलाकात करेंगे. इसके अलावा वो अमेरिकी संसद के संयुक्त संत्र को संबोधित करेंगे. ऐसा पहली बार होगा जब पीएम मोदी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे. इससे पहले भारत के कुछ चुनिंदे नेता ही ऐसा कर पाए हैं.