स्वास्थ्य

Cow Ghee in the Disease : गाय के घी का महत्त्व

Paliwalwani
Cow Ghee in the Disease : गाय के घी का महत्त्व
Cow Ghee in the Disease : गाय के घी का महत्त्व

आज खाने में घी ना लेना एक फेशन बन गया है. बच्चे के जन्म के बाद डॉक्टर्स भी घी खाने से मना करते है. दिल के मरीजों को भी घी से दूर रहने की सलाह दी जाती है. ये गौमाता के खिलाफ एक खतरनाक साज़िश है. रोजाना कम से कम 2 चम्मच गाय का घी तो खाना ही चाहिए.

बेशक आज की युवा पीढ़ी आधुनिकरण की वजह से अपने ऋषि मुनियों के द्वारा दिए ज्ञान को भूल चुका हो किन्तु आज भी उनके ज्ञान का महत्व और उपयोगिता उतनी ही है. इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिस बीमारी का इलाज आज का विज्ञान नहीं खोज पाता उसे हजारों साल पहले ऋषि मुनियों के आयुर्वेदिक उपायों से ठीक किया जा सकता है. यहीं नहीं हर वैज्ञानिक इस बात को मानता है और प्रमाणित करता है कि उनके द्वारा बताएं गए उपाय अतुलनीय और पुर्णतः लाभदायी है.

 

हमारे उन्ही पूर्वजों ने प्रकृति की मदद से ही हर रोग का निदान खोजा है और हमारे जीवन का आधार रखा है. आज हम आपको उनके दवा बताएं गए गाय के घी के महत्व, लाभ के बारे में बतायेंगे. ऐसे बहुत ही कम लोग है जो गाय के घी की गुणवत्ता से परिचित है किन्तु ये हमारे जीवन में खासा महत्व रखता है.

रोगों में गाय का घी : ( Cow Ghee in the Disease ) : जिस तरह पुराना गुड अधिक लाभदायी होता है ठीक उसी तरह से पुराना गाय का घी भी अधिक फायदेमंद होता है. इस तरह उसके गुण बढ़ जाते है और वो सुनने की शक्ति, नेत्र शक्ति बढ़ता है. साथ ही वो ज्वर, खांसी, संग्रहणी, मस्तक रोग, मूर्छा, विष, उन्माद इत्यादि रोगन से बचाता है. अगर घी दस साल पुराना हो जाएँ तो उसे कोंच कहते है वहीँ इसके ग्यारह साल पुराने होने पर इसे महाघृत कहा जाता है.

  • यह वात और पित्त दोषों को शांत करता है .
  • चरक संहिता में कहा गया है की जठराग्नि को जब घी डाल कर प्रदीप्त कर दिया जाए तो कितना ही भारी भोजन  क्यों ना खाया जाए , ये बुझती नहीं .
  • बच्चे के जन्म के बाद वात बढ़ जाता है जो घी के सेवन से निकल जाता है . अगर ये नहीं निकला तो मोटापा बढ़ जाता है .
  • हार्ट की नालियों में जब ब्लोकेज हो तो घी एक ल्यूब्रिकेंट का काम करता है .
  • कब्ज को हटाने के लिए भी घी मददगार है .
  • गर्मियों में जब पित्त बढ़ जाता है तो घी उसे शांत करता है .
  • घी सप्तधातुओं को पुष्ट करता है .
  • दाल में घी डाल कर खाने से गेस नहीं बनती .
  • घी खाने से मोटापा कम होता है .
  • घी एंटी ओक्सिदेंट्स की मदद करता है जो फ्री रेडिकल्स को नुक्सान पहुंचाने से रोकता है .
  • वनस्पति घी कभी न खाए . ये पित्त बढाता है और शरीर में जम के बैठता है .
  • घी को कभी भी मलाई गर्म कर के ना बनाए . इसे दही जमा कर मथने से इसमें प्राण शक्ति आकर्षित होती है . फिर इसको गर्म करने से घी मिलता है . इसे बनाते वक़्त अगर भगवान का भजन और स्मरण किया जाए तो इसकी खुशबु और स्वाद ही अनोखा होगा ।
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