भोपाल
पुलिस कर्मियों को प्रतिमाह 15 लीटर पेट्रोल भत्ता देने पर वित्त विभाग ने लगाई रोक...!
Paliwalwaniवित्त विभाग ने रोक लगाने के साथ दिया तर्क, बढ़ेगा सरकारी खजाने पर दो सौ करोड़ का बोझ
. ✒️ अनिल भंडारी ( पुलिसवाला पत्रिका ) की कलम से
भोपाल :
प्रदेश में कानून व सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने में अहम भूमिका निभाने वाले पुलिस कर्मियों को प्रतिमाह 15 लीटर पेट्रोल भत्ता देने पर राज्य सरकार सहमत नहीं है। दरअसल, राज्य सरकार की आर्थिक सेहत ऐसी नहीं है कि वह दो सौ करोड़ रुपये प्रति वर्ष का खर्च झेल सके। यही वजह है कि वित्त विभाग ने इस प्रस्ताव को मंजूरी देने से मना कर दिया है। गौरतलब है कि प्रदेश में लगभग एक लाख से अधिक पुलिस बल इस दायरे में आ सकता है।
गौरतलब है कि पुलिसवाला पत्रिका के प्रकाशन का प्रमुख ध्येय ही पुलिस कर्मियों के हितों के लिए आवाज उठाए। थानों में पदस्थ पुलिस कर्मियों को कानून व्यवस्था की ड्यूटी, अपराधों की विवेचना और लगातार भ्रमण के लिए वाहन की आवश्यकता होती है। वर्तमान में पुलिस कर्मी वाहन और पेट्रोल का खर्च स्वयं वहन करते हैं। गृह विभाग ने पुलिस थानों में पदस्थ आरक्षक से लेकर उप निरीक्षक स्तर के पुलिस कर्मियों की समस्या को देखते हुए 15 लीटर पेट्रोल भत्ता प्रतिमाह देने का प्रस्ताव तैयार किया था।
बाइक, कार से अपराधियों को पकड़ने या पेट्रोलिंग के लिए सरकारी रिकार्ड में पुलिसकर्मी अब भी साइकिल के भरोसे हैं। 45 साल पहले आठ मार्च 1977 को 18 रुपये प्रतिमाह साइकिल भत्ता स्वीकृत किया गया था। निरीक्षक एवं उप निरीक्षक को 28 जून 1993 से प्रति माह 230 रुपये वाहन भत्ता दिया जा रहा है, लेकिन अब तक यह दोनों ही भत्ते यथावत हैं। इसी तरह आवास भत्ता महज 400 रुपये और वर्दी भत्ता 700 रुपये दिया जाता है।
44 साल से नहीं बढ़ा विशेष पुलिस भत्ता
अन्य भत्तों की बात करें तो पुलिस कर्मियों को राइफल भत्ता 30 रुपये प्रति माह दिया जाता है। निरीक्षक से आरक्षक तक विशेष पुलिस भत्ता 18 रुपये प्रति माह है, जो 22 सितंबर 1978 को स्वीकृत हुआ था और तब से अब तक 44 साल में यह बढ़ाया ही नहीं गया है। वर्दी धुलाई भत्ता 14 जुलाई 1994 से आरक्षक से हवालदार तक को 20 रुपये एवं एएसआइ से राजपत्रित अधिकारी तक 30 रुपये प्रति माह मिल रहा है।
6 दिसंबर 2003 को राजपत्रित अधिकारियों के लिए यह भत्ता 60 रुपये प्रति माह कर दिया गया, लेकिन अन्य वर्ग का वर्दी धुलाई भत्ता नहीं बढ़ाया गया है। राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री की सुरक्षा में तैनात अंगरक्षकों को 29 जून 2011 से उनके मूल वेतन के 30 प्रतिशत के बराबर जोखित भत्ता दिया जाता है, लेकिन मंत्रियों की सुरक्षा में तैनात अंगरक्षकों को 12 नवंबर 1980 से मात्र 50 रुपये प्रति माह जोखिम भत्ता दिया जा रहा है।
पुलिस कर्मियों का भत्ता एक नजर में...
- विशेष पुलिस भत्ता 18 रुपये
- साइकिल भत्ता- 18 रुपये
- रायफल भत्ता- 30 रुपये
- आवास भत्ता- 400 रुपये
- वर्दी भत्ता- 700 रुपये
जो शांति व्यवस्था बनाये रखने में तीज त्यौहारों को छोड़ ,परिजनों से दूर रह कर कर्त्तव्य निर्वहन कम से कम 18 घंटे कर रहे हैं. उनके लिए बजट नहीं और प्रशासन उम्मीद करता है कि पुलिस घटना स्थल पर तुरंत पहुंचे। नेता मंत्रियों की थोड़ी सी सुविधा कम कर पुलिस विभाग को राहत दी जा सकती है। कब सोचेंगे राज्य के मुखिया? चुनावी वर्ष में सी एम पुलिस कर्मियों के लिए काफी कुछ कर सकते हैं, बस आवश्यकता है दृढ़ इच्छाशक्ति की....