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आज गणगौर पूजा पर बन रहे ये 3 संयोग बहुत शुभ, गणगौर व्रत की इन यह खास बातों को जानें
PushplataGangour Pooja : गणगौर पूजा देवी पार्वती और शिव को समर्पित त्योहार है। इस दिन को गौरी तृतीया के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह त्योहार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत को महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य की पूर्ति के लिए रखती हैं। आज 11 अप्रैल को गणगौर पूजा मनाई जा रही है। इस व्रत को विवाहित स्त्रियों के साथ कुंवारी लड़कियां भी रखती हैं, जिससे कि उन्हें मनचाहे वर की प्राप्ति हो सके।
गणगौर पूजा पर बन रहे हैं तीन योग
11 अप्रैल को गणगौर पूजा है। इस दिन तीन योगों का निर्माण हो रहा है। आयुष्मान योग, प्रीति योग और रवि योग को गणगौर पूजा के लिए बहुत ही शुभ माना जा रहा है। रवि योग प्रात:काल में 06:00 बजे से अगले दिन 12 अप्रैल को मध्य रात्रि 01:38 तक है. वहीं, प्रीति योग सुबह 07:19 तक है और उसके बाद से आयुष्मान योग लगेगा। जो 12 अप्रैल को प्रात: 04:30 तक रहेगा। इसके बाद 12 अप्रैल को सौभाग्य योग बनेगा।
18 दिनों तक मनाते हैं गणगौर पूजा
मुख्य रूप से गणगौर पूजा का त्योहार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को की जाती है लेकिन राजस्थान में गणगौर का पर्व फाल्गुन माह की पूर्णिमा यानी होली से ही शुरू हो जाता है और इसके बाद 18 दिनों तक गणगौर पूजा का त्योहार मनाया जाता है।
हर दिन मनाई जाती है शिव और पार्वती की प्रतिमा
गणगौर पूजा इसलिए भी विशेष मानी जाती है क्योंकि राजस्थान के ज्यादातर क्षेत्रों में 18 दिनों तक प्रतिदिन शिव और पार्वती की प्रतिमा बनाकर उनकी पूजा की जाती है और उन्हें दूल्हा-दुल्हन की तरह सजाकर मंगल गीत गाए जाते हैं। वहीं, चैत्र नवरात्रि की तृतीया तिथि को महिलाएं सोलह श्रृंगार करके शिव-पार्वती से अपने सुहाग की लम्बी उम्र के लिए प्रार्थना करती है।
अपने बड़ों को दिया जाता है सुहाग की चीजों का उपहार
गणगौर पूजा पर केवल शिव और पार्वती को ही शुभ चीजें अर्पित नहीं की जाती बल्कि महिलाएं अपने घर के बड़ों जैसे सास, ननद, देवरानी और जेठानी को भी सुहाग की चीजों को उपहार में देती हैं। माना जाता है कि इससे जीवन में धन-वैभव बढ़ता है और व्रत का कई गुना फल प्राप्त होता है।
पति से छुपाकर की जाती है गणगौर पूजा
गणगौर पूजा पति से छुपाकर की जाती है। मान्यता है कि पति से छुपाकर पूजा करने से ही इस व्रत की पूर्ति होती है। इस कारण से ज्यादातर महिलाएं घर की विशेष जगह पर पूजा का सामान रखती हैं। वहीं, गणगौर पूजा के बाद पति को पूजा का प्रसाद भी नहीं दिया जाता है। गणगौर पूजा का यह नियम बहुत ही विशेष माना जाता है।