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शिव जी को अक्षत चढ़ाते समय तो नहीं करते आप गलतियां?, जानिए नियम और मंत्र
Pushplata
Sawan 2023 Akshat Chadane Ke Vidhi: हिंदू पंचांग के अनुसार, 31 अगस्त तक श्रावण मास रहेगा। पूरे दो माह पड़ने के कारण भगवान शिव की पूजा करने के लिए शिव भक्तों को काफी समय मिल गया है। भगवान शिव के प्रिय माह में से एक सावन है। इस मास में भगवान शिव की विधिवत पूजा करने के साथ जलाभिषेक, बेलपत्र चढ़ाने से वह जल्द प्रसन्न हो जाते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। सभी देवी-देवताओं की पूजा के लिए विभिन्न तरीकों की चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। इन्हीं चीजों में से एक है अक्षत या साबुत चावल। देवी-देवता की पूजा से लेकर मांगलिक कार्यों तक में अक्षत का इस्तेमाल किया जाता है। हर देवी-देवता को अलग-अलग तरीकों से अक्षत चढ़ाया जाता है। जानिए भगवान शिव को अक्षत चढ़ाते समय किन बातों का रखें ख्याल।
क्या होता है अक्षत?
अक्षत यानी जिसकी कोई क्षति न हुई है। इसे पूर्णता से जोड़ा जाता है। देवी-देवता की पूजा के दौरान बिना टूट चावल का इस्तेमाल किया जाता है जिसे अक्षत कहा जाता है। अक्षत का रंग सफेद होता है,जो जीवन में सुख- शांति को दर्शाता है।
अक्षत के बिना शिव पूजा अधूरी
भगवान शिव को चावल यानी अक्षत चढ़ाएं बिना पूजा पूरी नहीं मानी जाती है। इसलिए कहा जाता है कि अगर किसी शिव मंदिर गए हैं, तो अक्षत जरूर चढ़ाएं। फिर चाहे वह एक टुकड़ा ही क्यों न हो। हाथों में एक मुट्ठी अक्षत ले लें। अगर एक मुट्ठी नहीं ले सकते हैं, तो 5 या फिर 7 दाने ले सकते हैं।
शिवलिंग में ऐसे चढ़ाएं अक्षत
वेद शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव को अकेले चावल कभी नहीं चढ़ाना चाहिए। हमेशा चावल के साथ हल्दी, फूल, रोली, अबीर आदि जरूर रखें। आप चाहे, तो हल्दी से रंगे हुए पीले चावल भी चढ़ा सकते हैं। भगवान शिव को चावल चढ़ाने के लिए सबसे पहले हाथ की मध्यमा और अनामिका उंगली के साथ अंगूठे का इस्तेमाल करें। इसके बाद इस मंत्र को बोले- अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुंकमाक्ता: सुशोभिता:. मया निवेदिता भक्त्या: गृहाण परमेश्वर॥ फिर श्रद्धा के साथ शिवलिंग में अक्षत चढ़ा दें।
शिवलिंग में न चढ़ाएं खंडित चावल
अक्षत का पूर्णता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए कहा जाता है कि अगर पूजा में कोई कमी रह गई है, तो उस चीज के बगले अक्षत चढ़ा दें। इससे वह कमी पूरी हो जाती है। शिवलिंग में अक्षत यानी साबुत कच्चे चावल चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखें कि वह टूट हुए न हो। इससे आपकी पूजा खंडित हो सकती है।