आपकी कलम
मुख्यमंत्री बोले तो सब बोले : भाजपा पार्षद जीतू जाटव (यादव) और कमलेश कालरा दोनों में कोई दूध का धुला नहीं
कीर्ति राणा
कीर्ति राणा
प्रदेश भाजपा ने जीतू जाटव (यादव) को इस्तीफा देकर शहीद होने का मौका देने की अपेक्षा बर्खास्त कर के बेइज्जत करने में तत्परता दिखाई तो महापौर को भी एमआयसी से हटाने की याद आ गई। जीतू के इशारे पर उसके गुर्गों ने जो कांड किया उस पर छह-सात दिन बाद सत्ता और संगठन को भी शर्म महसूस हुई है।
लोकमाता की न्यायप्रियता को बारंबार याद करने वाले इंदौर की फिजाओं में यह चेतावनी तो जाने कब से गूंज रही थी कि शहर की फिजा बिगाड़ने की कोशिश करने वालों को उल्टा लटका दूंगा, लेकिन ये चेतावनी देने वालों ने भी बता दिया कि घुटना पेट की तरफ मुड़ जाता है। मुख्यमंत्री आज शहर में नहीं आए होते तो आननफानन में ये एक्शन भी नहीं होता।
दो भाजपा पार्षदों के विवाद में एक मासूम बालक को जो भोगना पड़ा उसकी भरपाई तो कभी हो ही नहीं सकती। वॉयरल हुए वीडियो में एमआयसी सदस्य जीतू (जो इस कांड के चलते यादव से जाटव हो गए हैं) और कमलेश कालरा दोनों में कोई दूध का धुला नहीं है लेकिन जीतू के गुंडों की फौज के कारण इंदौर की जो जगहंसाई हुई वो अक्षम्य है।
इस पूरे कांड में यह भी गौर करने लायक है कि छह दिन तक शहर के सारे शूरवीर मौन साधे भोपाल की तरफ देखते रहे कि सीएम हाउस से पहले मन की बात का प्रसारण हो।वहां से वाणी गूंजी तो रातोंरात महापौर पहुंच गए कालरा परिवार की व्यथा सुनने, पूरा सिंधी समाज सांसद की खामोशी पर पहले दिन से ही खफा चल रहा था, सांसद ने भी तुरंत जुबान हिला दी।
दोनों पार्षदों को अनुशासनहीनता का नोटिस देने वाले शहर भाजपा अध्यक्ष को भी लगा कि अब मुझे भी बोलना चाहिए, क्षेत्रीय विधायक तो बिना बोले ही घटना वाले दिन से सक्रिय थीं, मामला दो नंबर और चार नंबर की खुन्नस वाला जो हो गया था।
उनके सुपुत्र तो अभी भी सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं ३आगे और लड़ाई है, यानी कल कुछ और उतापा भी हो सकता है। पूरे मामले में दो नंबर के विधायक नहीं बोले तो इसलिये कि जीतू के जन्मदिन वाले पोस्टरों में ये जुगल जोड़ी ही तो शहर में लगे होर्डिंग्ज में खिलखिला रही थी। जीतू के आसपास जो बाकी चेहरे होर्डिंग्ज में नजर आ रहे थे उन्हीं में से अधिकांश की धरपकड़ चल रही है।इस पूरे कांड में उदासीनता का सर्टिफिकेट लेने में पुलिस महकमा सबसे आगे रहा।
सीएम बनने के बाद से इंदौर में उनके खास लोगों ने अपना तगड़ा नेटवर्क बना लिया है, फिर भी हकीकत पता करने में छह दिन लग गए ! दो पार्षदों के अहंकार में घर की महिलाओं ने जो सहा वह तो दुखद है ही, उस बालक के साथ की गई निर्लज्जता को लेकर इंदौर को बहुत कुछ पूछने का हक तो लेकिन पूछे किससे, दादा-बहादर जब शहर को अपने मन मुताबिक चलाने लगेंगे तो इस तरह का गुंडाराज कल फिर किसी नए रूप में सामने आ जाएगा।
बदनामी के छींटों से बदरंग हुए नगर निगम के चेहरे को साफ सुथरा दिखाने के लिये एमआयसी से छुट्टी कर दी गई है। जिन गुंडों ने जीतू की फजीहत कराई उनमें से ज्यादातर नगर निगम में मस्टरकर्मी हैं। महापौर किस दबाव में हैं जो मस्टरकर्मियों के नाम पर पट्ठावाद को संरक्षण दे रहे हैं। कमलेश कालरा से सिंधी समाज भी पूछे कि तुम्हें क्या जरूरत पड़ी कि नगर निगम की कार्रवाई रुकवाने की सुपारी ले ली।
साफ सुथरे इंदौर को निर्वस्त्र करने की इस अकल्पनीय हरकत पर पीएमओ ने संज्ञान नहीं लिया होता तो जीतू की हरकतों को अभी भी प्रदेश संगठन नजरअंदाज करता रहता।इससे पहले बल्ला कांड में पीएमओ ने असलियत पता की थी। यह दूसरी बार है कि दो नंबर फिर निशाने पर है।पुलिस रेकार्ड बताता है कि नाबालिगआरोपी के रूप में चाकूबाजी से अपराधों और राजनीतिक संरक्षण के सहारे फलते फूलते रहे जीतू ने अपने व्यवहार में सुधार के बल पर वार्ड के मतदाताओं का दिल भले ही जीत लिया लेकिन इस कांड ने उनके लिये जेल के दरवाजे खोल दिए हैं।
इस एक कांड ने सरकार को मौका दे दिया है कि शहर की इज्जत को दांव पर लगाने वाले और संरक्षण देने वालों को ठीक करने का साहस दिखाए।जिस शहर के प्रभारी मंत्री खुद सीएम हों वहां एक सप्ताह तक कहीं कोई हलचल ना हो तो जवाबदेही तो प्रभारी मंत्री की भी तय होना चाहिए।