आपकी कलम

राजस्थान में ऊंट किस करवट बैठेगा...!

Paliwalwani News...✍
राजस्थान में ऊंट किस करवट बैठेगा...!
राजस्थान में ऊंट किस करवट बैठेगा...!

राजस्थान में मतदान का समय जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, चुनावी समीकरण ज्वारभाटे की तरह बदल रहे हैं। प्रारंभिक परिदृश्यों में कांग्रेस भाजपा पर भारी साबित होती दिख रही थी, लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की ताजा चुनावी सभाएं भाजपा की हारी बाजी को जीत में बदलती दिख रही है।

कांग्रेस के भीतर चल रही गुटबाजी से भी यह जमीन तैयार हो रही है, एक तरह से जीत की ओर बढ़ती कांग्रेस को नुकसान होने की पूरी-पूरी आशंका है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषक एवं चुनाव पूर्व के अनुमान अभी भी कांग्रेस के ही पक्ष में हैं और माना जा रहा है कि इस बार सत्ता परिवर्तन होगा और स्पष्ट बहुमत के साथ कांग्रेस की सरकार बनेगी। सट्टा बाजार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस 125 सीटों के साथ सरकार बना रही है वहीं भाजपा 50 से 55 सीटों पर सिमट जाएगी, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है।

? राजस्थान भाजपा की सत्ता में वापसी सर्वाधिक मुश्किल

जिन पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव हैं उनमें राजस्थान ही एकमात्र ऐसा राज्य है जहां भाजपा की सत्ता में वापसी सर्वाधिक मुश्किल मानी जा रही है। राजस्थान में पिछले तीन दशक से अदल-बदलकर सत्ता परिवर्तन की परंपरा रही है। पिछली बार भाजपा सत्तारूढ़ हुई थी। इस परंपरागत रुझान के मुताबिक इस बार मौका कांग्रेस को है। इसी वर्ष हुए उपचनावों में मिली पराजय से भाजपा को करारा झटका भी लगा है और कांग्रेस आशान्वित हुई। अलवर और अजमेर लोकसभा तथा मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर मिली जीत से कांग्रेस की उम्मीदें बढ़ी हैं।

? सत्ता विरोधी लहर से चिंतित मुख्यमंत्री राजे

इस बार भाजपा फिर एक बार वसुंधरा राजे सिंधिया पर अपना दांव लगा रही है, जबकि कांग्रेस ने किसी को भी अपना मुख्यमंत्री प्रत्याशी नहीं बनाया है। सत्ता विरोधी लहर से चिंतित मुख्यमंत्री राजे ने पिछले छह माह से संघर्षरत है। उन्होंने 4 अगस्त को मेवाड़ से ‘राजस्थान गौरव यात्रा’ के जरिए अपना चुनावी अभियान शुरू किया। यात्रा की शुरुआत में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह मौजूद थे। 58 दिनों की इस यात्रा में वह राज्य के लोगों से मिलती रही हैं और आगामी चुनाव के लिए जनादेश मांगती रही हैं। यह यात्रा राज्य की 200 में से 165 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरी।

? भाजपा ने मिशन 180 सीटों पर विजय का लक्ष्य नाम दिया

भाजपा ने 180 सीटों पर विजय का लक्ष्य रखते हुए अपने चुनाव अभियान को ‘मिशन 180’ नाम दिया है। इस मिशन के तहत भाजपा ने ए ग्रेड की 65 विधानसभा सीटों को चिन्हित किया है। ये वे सीटें हैं, जिन पर भाजपा लगातार दो या इससे अधिक बार जीत रही है। अब भाजपा यह रणनीति बना रही है कि कम से कम 65 सीटों से गिनती प्रारंभ हो और फिर मिशन 180 तक पहुंचा जाए। राजनैतिक दलों के लिहाज से राजस्थान हमेशा दो विकल्पों से घिरा रहा है, कांग्रेस और भाजपा। भाजपा ने 2013 के विधानसभा चुनाव में जबरदस्त कामयाबी हासिल की थी। कुल 200 में से 163 सीटें जीतकर तीन चैथाई बहुमत के साथ भाजपा सत्तारूढ़ हुई थी, जबकि कांग्रेस 21 और बसपा 3 सीटों पर ही सिमट गईं थीं। इस चुनाव में भाजपा को 45.50 फीसदी, कांग्रेस को 33.31 और बीएसपी को 3.48 फीसदी वोट मिले थे। बाद में 2014 के लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी 25 सीटों पर भाजपा का परचम लहराया था।

? राहुल गांधी के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाएगा

उधर भाजपा से सत्ता छीनने की हरसंभव कोशिशों में कांग्रेस जुटी है। सत्ता वापसी के लिए कोशिश कर रही कांग्रेस किसी एक नाम पर अभी सहमत नहीं हो पाई है। इसीलिए पार्टी ने साफ कर दिया है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाएगा, ना अशोक गहलोत चेहरा होंगे और ना ही सचिन पायलट। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जयपुर में 13 किमी का रोड शो कर कांग्रेस के चुनावी अभियान की औपचारिक शुरुआत की थी। एक तरफ कांग्रेस वसुंधरा सरकार को घेरने में लगी है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस बूथ स्तर पर अपने संगठन को मजबूत करने में लगी है। बूथ स्तर पर कांग्रेस अपनी मजबूती को सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश में ‘मेरा बूथ, मेरा गौरव’ नाम से एक अभियान भी चलाया है। चुनाव की रणनीति के अन्तर्गत कांग्रेस जातीय समीकरणों का हवाला देते हुए हवा अपने पक्ष में होने का दावा कर रही है। कांग्रेस ने ब्राह्मण, राजपूत और दलितों की नाराजगी को हवा देकर राजनीतिक समीकरण बनाये हंै।

? कोई ठोस प्रस्तुति नहीं दे पाये...राजनीतिक दल

विडम्बनापूर्ण स्थिति तो यह है कि दोनों ही राजनीतिक दल चुनावी मुद्दे के तौर पर कोई ठोस प्रस्तुति नहीं दे पाये हैं। एक तरह से ये चुनाव मुद्दे विहीन चुनाव ही है। हालांकि दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल विकास को अपना मुख्य मुद्दा बता रहे हैं, लेकिन जमीनी तौर पर आरक्षण, किसान और गाय ही प्रमुख मुद्दे बनते नजर आए हैं। गूजर और जाटों के आरक्षण आंदोलन में झुलस चुके राजस्थान में अत्याचार अधिनियम के मुद्दे पर राजपूत और ब्राह्मण भी लामबंद होने की कोशिश में हैं। भाजपा के बागी नेता घनश्याम तिवाड़ी ने तो इस मुद्दे पर तीसरा मोर्चा बनाने का ऐलान किया है। भाजपा को इस बार गाय वोटों की कामधेनु नजर आ रही है। वह गौ-तस्करी को लगातार मुद्दा बनाती रही है तो कांग्रेस गौ तस्करी के शक में पीट पीटकर लोगों को मारने की घटनाओं को लेकर सरकार को घेरती रही है। उधर फसल के सही दाम नहीं मिलने और कर्ज के कारण किसानों की आत्महत्याओं के मामलों को लेकर भी विपक्षी दल भाजपा सरकार को घेरने में जुटे है।

? मुख्यमंत्री की तानाशाही प्रवृत्ति के प्रति असंतोष जाहिर

कांग्रेस वसुंधरा सरकार की कार्यप्रणाली के प्रति उपजे असंतोष को भी चुनावी मुद्दा बनाया है। वसुंधरा सरकार के कई मंत्री सार्वजनिक तौर पर मुख्यमंत्री की तानाशाही प्रवृत्ति के प्रति असंतोष जाहिर कर चुके हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे पूर्व मंत्री घनश्याम तिवाड़ी ने पार्टी से बगावत का ऐलान किया। दोनों ही दलों में बागी स्वर बुलन्द है। जिससे इन चुनावांे में दोनों को ही भारी नुकसान होने की संभावनाएं है। कांग्रेस भी पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट और पूर्व केंद्रीय मंत्री सी पी जोशी के गुटों में बंटी है। जिन लोगों को टिकट नहीं मिला, वे बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं, जिससे दोनों ही दलों की जीत प्रभावित होगी।

? व्यक्तिगत छींटाकशी, जाति, धर्म, सम्प्रदाय और क्षेत्रवाद हावी

राजस्थान में चुनावी प्रचार चरम पर है। इसमें जमीनी मुद्दों के बजाय व्यक्तिगत छींटाकशी, जाति, धर्म, सम्प्रदाय और क्षेत्रवाद हावी है। इसमें कोई भी दल दूसरे से पीछे नहीं रहना चाहता। एक−दूसरे की जाति को लेकर निजी हमले किए जा रहे हैं। राजनीतिक दलों के नेता सत्ता हथियाने के लिए कैसे समाज में जहर घोल कर देश को कमजोर करने का काम करते हैं, इसे राजस्थान में चले रहे विधानसभा चुनावों में देखा−समझा जा सकता है। परवान पर पहुंच चुके चुनाव प्रचार में कांग्रेस और भाजपा ने मानो नैतिकता, देश की एकता−अखण्डता और सौहार्द को गिरवी रख दिया है। चुनावों में दोनों ही प्रमुख दलों के नेता एक−दूसरे के खिलाफ विषवमन करने में पूरी ताकत से जुटे हैं। विकास और तरक्की के वायदे हवा हो गए हैं। राज्य में करोड़ों मतदाताओं की आशा−अपेक्षा अब धूल−धूसरित हो रही है। प्रदेश में आम मतदाताओं की दुख−तकलीफों से लगता है कि किसी दल का वास्ता ही नहीं रह गया। वास्तविक मुद्दों की बजाए मतदाताओं को बांटने की पूरी कोशिश की जा रही है।

? भाजपा और कांग्रेस ने सबक नहीं लिया

यह अलग बात है कि मतदाताओं ने बेतुकी और विकास को भटकाने वाली बातें करने वाले नेताओं को पहले भी कई बार आईना दिखाया है। इसका भाजपा और कांग्रेस ने अपने राजनीतिक इतिहास से सबक नहीं लिया। गौरतलब है कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में सरकार बनाने से पहले देश को सिर्फ बेहतर विकास और भविष्य का ख्वाब दिखाया गया था। कांग्रेस के काले कारनामों से परेशान हो चुके देश के मतदाताओं ने मोदी पर पूरा भरोसा जताते हुए देश की कमान सौंप दी थी। अब देखना है कि राजस्थान में मोदी का जादू कांग्रेस की जीती पारी को हार में बदलने में सक्षम हो? देखना यह भी है कि मतदाता के दिलों पर उनका कैसा असर कायम है!

? ‘फर्श’ से उठा कर ‘अर्श’-या ‘अर्श’ से ‘फर्श’

लेकिन यह तय है कि चुनाव का समय मतदाता को ही लोकतन्त्र का मालिक घोषित करता है। हमने आजादी के बाद से हर चुनाव में मतदाताओं की वह बुद्धिमानी देखी है जो राजनीतिज्ञों को मूर्ख साबित करती रही है। इसकी असली वजह यह होती है कि मतदाता हर चुनाव में उस राजनैतिक एजेंडे को ही गले लगाते हैं जो उनके दिल के करीब होता है। मगर राजनीतिज्ञों को मतदान के दिन तक यह गलतफहमी रहती है कि वे उनकी गढ़ी हुई राजनैतिक शब्दावली के धोखे में आ जायेंगे। अतः जो लोग सोच रहे हैं कि राजस्थान के चुनाव में असंगत बातों को उछाल कर बाजी जीती जा सकती हैं या मतदाता को ठगा या गुमराह किया जा सकता है, उन्हें अंत मंे निराश ही होना पड़ेगा। अब हार-जीत का निष्कर्ष जनता से जुड़े वास्तविक मुद्दे पर टिका है, क्योंकि एक दिन की बादशाह जनता ही होती है जो किसी भी दल या नेता को ‘फर्श’ से उठा कर ‘अर्श’ पर पहुंचा देती है या ‘अर्श’ से ‘फर्श’ पर पटक देती है।

प्रेषक :- ललित गर्ग

B-380, निर्माण विहार, दूसरा माला दिल्ली-110092
मो, 9811051133
*पालीवाल वाणी ब्यूरो- Ayush paliwal... ✍️*
?Paliwalwani News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे...
www.fb.com/paliwalwani
www.twitter.com/paliwalwani
Sunil Paliwal-Indore M.P.
Email- paliwalwani2@gmail.com
09977952406-09827052406-Whatsapp no- 09039752406
पालीवाल वाणी हर कदम... आपके साथ...
*एक पेड़...एक बेटी...बचाने का संकल्प लिजिए...*

whatsapp share facebook share twitter share telegram share linkedin share
Related News
GOOGLE
Latest News
Trending News