आपकी कलम
ये धार्मिक शहर अन्य कुकर्मों से भी मुक्ति पाएंगे..?
राजेश ज्वेल
मध्यप्रदेश के 17 धार्मिक शहरों में शराबबंदी लागू करने का फैसला मोहन कैबिनेट ने लिया ... हालांकि बरसों बरस से यहां शराब बिक रही थी और तब भी ये शहर धार्मिक ही रहे...
वैसे तो शराबबंदी उससे जुड़ी समस्या का हल नहीं है उल्टा अवैध शराब का धंधा बढ़ जाता है... गुजरात इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जहां पानी की बोतल जैसे आसानी से अवैध शराब मिलती है और शराब माफियाओं ने अरबों-खरबों कमा लिए... शाहरुख खान की फिल्म रईस इसी पर आधारित थी...
बहरहाल मोहन सरकार का शराबबंदी का निर्णय सही और स्वागत योग्य मान भी लिया जाए तो क्या अगले चरण में ये सभी शहर पूर्ण शाकाहारी घोषित होंगे और क्या इन शहरों को अन्य कुकर्मों से भी मुक्ति मिलेगी... वैसे तो राम राज्य में भी सुरा सेवन, चोरी-चकारी सहित अन्य अपराध होते थे...
उसी तरह इन 17 धार्मिक शहरों में भी सारे अपराध बदस्तूर जारी रहेंगे... क्या आम जनता लूट-खसोट, चोरी-डकैती, हत्या-बलात्कार और भ्रष्ट तंत्र से मुक्ति पा सकेगी..? क्या इन धार्मिक शहरों के बाशिंदे थानों, सरकारी दफ्तरों में बिना चप्पल चटकाएं या लेन-देन सुनवाई पा सकेंगे..?
क्या इन शहरों में पदस्थ सरकारी कारिंदे रिश्वतखोरी नहीं करेंगे या इन शहरों के सारे जनप्रतिनिधि भी हरिश्चंद्र बन जाएंगे.. तय है ऐसा कुछ नहीं होगा... अभी और बाद में भी इन धार्मिक शहरों में दर्शन कराने सहित पूजा-पाठ में पुजारियों-पंडितों की लूट जारी रहेगी...
उज्जैन के महाकाल मंदिर में ही आए दिन ऐसी घटनाएं सामने आती हैं , अभी पिछले दिनों ही एक रैकेट का पर्दाफाश हुआ... जब सारे कुकर्म इन धार्मिक शहरों में बदस्तूर जारी रहना है तो सिर्फ शराबबंदी से क्या हासिल हो जाएगा..? उल्टा इनसे जुड़े जिलों से खूब अवैध शराब सप्लाय होगी , शराब माफिया माल कूटेगा और इन शहरों की सीमा पर शराब दुकानें और बार खुल जाएंगे... आओ फिलहाल तो इस निर्णय पर तालियां ही बजाएं , परिणाम तो बाद में दिखेंगे ...